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हरेला पर्व को लेकर उत्तराखंड सरकार की नई पहल, परंपरा को मिलेगा नया स्वरूप; पर्यावरण संरक्षण में हर परिवार की होगी भागीदारी

उत्तराखंड के लोक पर्वों में से एक हरेला को कुमाऊं मंडल में मनाया जाता है। हर साल लोकपर्व हरेला पर्व से उत्‍तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सावन का महीना शुरू होता है। इस बार यह पर्व 16 जुलाई को है। इस बार इस लोकपर्व के मद्देनजर उत्तराखंड में सरकार ने एक विशेष पहल शुरू की है। हर परिवार को दो-दो पौधे भेंट किए गए।

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 07 Jul 2024 06:47 PM (IST)
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हरेला पर्व की परंपरा को नया स्वरूप देगी उत्तराखंड सरकार

घनश्याम जोशी, बागेश्वर। उत्तराखंड में प्रकृति के संरक्षण का पारंपरिक पर्व है हरेला। हरेला यानी हरियाली। इस बार यह पर्व 16 जुलाई को है और यह दिन विशेष बनने जा रहा है। बागेश्वर जिले में राज्य सरकार और प्रशासन की पहल से हर परिवार को दो-दो पौधे भेंट किए। परिवारों को ही रोपित फलदार पौधों की देखभाल भी करनी होगी।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान से निपटने के उद्देश्य से लिया गया निर्णय राज्य ही नहीं बल्कि देश के लिए नजीर बन सकता है। बस इस पर्व को कामयाब बनाने और पर्यावरण को हरा-भरा करने के लिए पौधों की रक्षा की जिम्मेदारी का निर्वहन भी शिद्दत से करना होगा।

पहली बार हर परिवार को दो-दो फलदार पौधे मुफ्त

उत्तराखंड में यह पहला मौका है, जब बागेश्वर जिले में हर परिवार को दो-दो फलदार पौधे निश्शुल्क दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हरेला पर्व को भव्य तरीके से मनाए जाने के निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने पांच लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है। हर परिवार को पौधे देने के साथ ही उन्हें इन पौधों को पेड़ बनाने के लिए संकल्प भी दिलाया जाएगा।

राज्य व जिला योजना के तहत जिला प्रशासन की ओर से उद्यान और वन विभाग के माध्यम से पौधे ग्राम पंचायतों को वितरित होंगे। उद्यान विभाग की नर्सरी में आम, मालटा, नींबू, संतरा, अनार, लीची के अलावा वन विभाग की नर्सरी में बांज, उतीस, नीम, आंवला आदि के पौध तैयार किए गए हैं।

पयार्वरण की रखवाली, घर-घर हरियाली

पर्यावरण संरक्षण में प्रत्येक परिवार की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए इस वर्ष की थीम 'पर्यावरण की रखवाली, घर-घर हरियाली, लाए समृद्धि और खुशहाली' तय की गई है। 16 जुलाई से 15 अगस्त तक वृहद पौधारोपण कार्यक्रम होगा। हरेला पर्व के दिन जिला जजी परिसर के समीप मुख्य कार्यक्रम आयोजित होगा। इतना ही नहीं बागेश्वर जिला खड़िया उद्योग के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां खड़िया खदानों के आसपास भी चौड़ी पत्ती वाले पौधे रोपे जाने हैं। इसके लिए खदान संचालकों को जिम्मा दिया जाएगा।

बागेश्वर जिलाधिकारी अनुराधा के अनुसार, हमारी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध वातावरण मिल सके। इसके लिए सबको पौधारोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति ध्यान देना होगा। गधेरे, नौले, प्राकृतिक स्रोतों तथा नदियों का संरक्षण करने के लिए भी हमने हर परिवार को पौधारोपण के लिए प्रेरित करने को यह संकल्प लिया है।

बागेश्वर जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह का कहना है कि वन विभाग तथा उद्यान विभाग की नर्सरी में फलदार, छायादार एवं जल संरक्षण में कारगर चौड़ी पत्ती वाले विभिन्न प्रजाति के पौधे तैयार हैं। हरेला पर्व पर उन्हें रोपित किया जाएगा। इसके अलावा चंपावत, पिथौरागढ़ तथा देहरादून से भी डिमांड मिली है। वहां भी पौधे भेजे जाएंगे।

बागेश्वर वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा के अनुसार, पर्यावरण संरक्षण तथा संवर्धन के लिए पौधारोपण जरूरी है। जिला प्रशासन का निर्णय स्वागत योग्य है। फलदार पौधों का रोपण होने से पहाड़ में बढ़ती जा रही बंदर व लंगूरों से फसल के नुकसान के मामलों में भी कमी आएगी। इस साल जैसी गर्मी सभी ने झेली है उसे देखते हुए सभी को पौधारोपण व संरक्षण करना ही होगा।

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