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56 साल पहले विमान हादसे में लापता उत्‍तराखंड के जवान को नम आंखों से दी अंतिम विदाई, 1968 में ग्लेशियर में 'गायब' हो गए थे 102 लोग

1968 IAF Plane Crash 56 साल पहले विमान हादसे में लापता हुए उत्तराखंड के जवान नारायण सिंह बिष्ट के पार्थिव शरीर के अवशेष आज गौचर हवाई पट्टी लाए गए। 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास हुए हादसे में लापता हुए नारायण सिंह के अवशेषों को सेना के विशेष विमान से देहरादून से लाया गया। गुरुवार को उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी में अंतिम विदाई दी गई।

By Dinesh thapaliyal Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 03 Oct 2024 01:13 PM (IST)
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1968 IAF Plane Crash: बलिदानी के पार्थिव शरीर के अवशेष गुरुवार सुबह कोलपुड़ी गांव पहुंचाए गए। जागरण

संवाद सूत्र, जागरण, थराली (चमोली): चमोली के कोलपुड़ी गांव निवासी शहीद नारायण सिंह का गुरुवार को उनके पैतृक घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद नारायण सिंह को उनके भतीजे जयवीर सिंह व सुजान सिंह ने मुखाग्नि दी।

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे की पहाड़ियों के बीच वर्ष 1968 में हुए विमान हादसे में लापता थराली ब्लाक के कोलपुड़ी गांव निवासी जवान नारायण सिंह बिष्ट के पार्थिव शरीर के अवशेष सेना के विशेष विमान से बुधवार दोपहर बाद देहरादून से गौचर हवाई पट्टी लाए गए।

इस मौके पर स्थानीय प्रशासन और रुद्रप्रयाग से पहुंची सेना की टुकड़ी ने बलिदानी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। बलिदानी के पार्थिव शरीर के अवशेष गुरुवार सुबह कोलपुड़ी गांव पहुंचाए गए, जहां पैतृक घाट पर बलिदानी को अंतिम विदाई दी गई। 

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अंतिम दर्शन के लिए पैतृक गांव लाए गए पार्थिव शरीर के अवशेष

बलिदानी नारायण सिह के भतीजे कुंवर सिह बिष्ट ने बताया उन्हें दूरभाष पर पार्थिव शरीर के अवशेष रुद्रप्रयाग स्थित रेजीमेंट पहुंचाए जाने की जानकारी मिली थी। गुरुवार को सेना के वाहन से पार्थिव शरीर के अवशेष अंतिम दर्शन के लिए पैतृक गांव लाए गए।

ग्राम पंचायत कोलपुड़ी के प्रधान जयबीर सिंह बिष्ट ने बताया कि उनके ताऊ नारायण सिंह का विवाह वर्ष 1962 में बसंती देवी के साथ हुआ था। सेवाकाल के दौरान उनका गांव आना साल में सिर्फ एक ही बार होता था।

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जब कई साल तक नारायण सिंह घर नहीं आए तो एक दिन डाक तार के माध्यम से सूचना मिली कि वह विमान दुर्घटना में लापता हो गए हैं। इसके बाद उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। बताया कि वर्ष 2011 में उनकी पत्नी बसंती देवी का भी निधन हो गया।

102 लोगों का कुछ अता-पता नहीं चल सका

गौरतलब है कि सात फरवरी 1968 को वायुसेना के विमान ने चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी थी। लेह मे मौसम खराब होने के कारण यह विमान वापस लौट गया। इस बीच हिमाचल प्रदेश के रोहतांग रेंज के अंतर्गत ढाका ग्लेशियर में विमान दुघर्टनाग्रस्त हो गया। जिसके बाद विमान और इसमें सवार 102 लोगों का कुछ अता-पता नहीं चल सका।

वर्ष 2003 में अटल बिहारी बाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोही दल ने लाहौल-स्पीति जिले में मलबे में दबे अवशेष खोजने शुरू किए। कुछ दिन पहले डोगरा स्काउट व तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के संयुक्त दल को इस बर्फीले मलबे से जवान नारायण सिंह समेत चार और लोगों के अवशेष मिले। सेना की डोगरा स्काउट के एज्युडेंट की ओर से भेजा गया पत्र जवान नारायण सिंह के स्वजन को दो दिन पहले ही मिला था।

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