केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में इस साल अब तक 30,546 VIP व VVIP ने किए दर्शन, BKTC को 91,63,800 रुपये की प्राप्ति
इस वर्ष 25 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक 8198 विशिष्ट व अतिविशिष्ट और उनके संदर्भों से आए महानुभावों ने दर्शनों का लाभ उठाया है। इससे बीकेटीसी को 2459400 रुपये का लाभ हुआ। इसी प्रकार बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के पश्चात वहां अभी तक 22348 हजार विशिष्ट व अतिविशिष्ट महानुभाव दर्शनों के लिए पहुंचे। इनसे बीकेटीसी को 6704400 रुपये प्राप्त हुए।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Thu, 27 Jul 2023 06:40 PM (IST)
जागरण टीम, चमोली: श्री बदरीनाथ व श्री केदारनाथ धाम में इस साल (2023) अब तक 30,546 वीआईपी (VIP) और वीवीआईपी (VVIP) महानुभाव दर्शन कर चुके हैं। इससे श्री बदरीनाथ - केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को 91,63,800 रुपये की आय प्राप्त हुई है।
अब तक पहुंच चुके श्रद्धालु
बीकेटीसी द्वारा जारी एक आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार, इस वर्ष 25 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक 8,198 विशिष्ट व अतिविशिष्ट और उनके संदर्भों से आए महानुभावों ने दर्शनों का लाभ उठाया है। इससे बीकेटीसी को 24,59,400 रुपये का लाभ हुआ। इसी प्रकार बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के पश्चात वहां अभी तक 22,348 हजार विशिष्ट व अतिविशिष्ट महानुभाव दर्शनों के लिए पहुंचे। इनसे बीकेटीसी को 67,04,400 रुपये प्राप्त हुए।
यात्राकाल में दोनों धामों में श्रद्धालुओं की भीड़
उल्लेखनीय है कि यात्राकाल में दोनों धामों में वीआईपी व वीवीआईपी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। बीकेटीसी वीआईपी श्रद्धालुओं को प्राथमिकता के आधार पर दर्शन कराती थी और निःशुल्क प्रसाद भी देती थी। वीआईपी व वीवीआईपी श्रद्धालुओं से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता था। वीआईपी व वीवीआईपी श्रद्धालुओं के नाम पर अनेक अव्यवस्थाएं भी पैदा होती थीं।अध्ययन दलों के सुझाव पर प्रति व्यक्ति 300 रुपये निर्धारित
इस वर्ष यात्राकाल से पहले बीकेटीसी ने देश के चार बड़े मंदिरों श्री वैष्णोदेवी, श्री तिरूपति बाला जी, श्री सोमनाथ व श्री महाकाल मंदिर में विभिन्न व्यवस्थाओं के अध्ययन के लिए एक - एक अध्ययन दल भेजे थे। इन दलों ने वहां की व्यवस्थाओं का अध्ययन कर मंदिरों में आने वाले विशिष्ट व अति विशिष्ट महानुभावों से दर्शनों के लिए शुल्क निर्धारित करने का प्रस्ताव रखा था। बीकेटीसी ने अध्ययन दलों के सुझाव पर प्रति व्यक्ति 300 रुपये निर्धारित किया था।