बर्फबारी के बाद वन्य जीवों ने छोड़े प्राकृतिक वास, नदी घाटी की ओर किया रुख
बर्फबारी वन्य जीवों के लिए मुसीबत भी बन गई है। प्राकृतिक आवास बर्फ से ढक जाने के कारण वन्य जीव नदी घाटी की ओर रुख कर रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 10 Jan 2019 04:39 PM (IST)
चमोली, जेएनएन। बर्फबारी से चमोली जिले के पर्यटन स्थल जहां पर्यटकों से गुलजार है, वहीं यह बर्फबारी वन्य जीवों के लिए मुसीबत भी बन गई है। प्राकृतिक आवास बर्फ से ढक जाने के कारण वन्य जीव नदी घाटी की ओर रुख कर रहे हैं, जहां तस्कर उन पर नजरें गड़ाए हुए हैं। हालांकि, वन विभाग वन्य जीवों की पूरी सुरक्षा का दावा कर रहा है।
चमोली जिले में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग व बदरीनाथ वन प्रभाग का लंबा-चौड़ा क्षेत्र फैला हुआ है। इन प्रभागों में काला भालू, भूरा भालू, स्नो लेपर्ड, लाल लोमड़ी, हिरण, भरल, घुरड़, काकड़ जैसे कई दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के प्राकृतिक वास हैं। मगर, इन दिनों बर्फबारी के चलते वन्य जीव ठंड से बचने के लिए नदी घाटी की ओर आ रहे हैं। बता दें कि नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व कुख्यात वन्य जीव तस्करों का पहले से ही अड्डा रहा है। ये तस्कर बर्फबारी की आड़ में वन्य जीवों के शिकार के लिए चुनिंदा स्थानों पर डटे रहते हैं।
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर का कहना है कि वन्य जीव तस्करों से निपटने के लिए इस समय लंबी दूरी की गश्त लगाई गई है। इसके अलावा मुखबिरों की संख्या बढ़ाने के साथ स्थानीय ग्रामीणों की मदद भी ली जा रही है। वहीं, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ किशन चंद का कहना है कि वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए वन प्रभाग पूरी तरह मुस्तैद है। इसके लिए जंगलों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं।
यह भी पढ़ें: भारी बर्फबारी से उच्च हिमालयी क्षेत्र के 30 गांवों में बिजली-पानी ठप, दस हजार की आबादी संकट में
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।