Baba Barfani: नीती घाटी में आकार लेने लगे बाबा बर्फानी, बर्फ से स्वत: बन रहा शिवलिंग; दर्शन की कर लें तैयारी
Niti Valley Baba Barfani नीति घाटी की टिम्मरसैंण गुफा में कड़ाके की ठंड के बाद बाबा बर्फानी शिवलिंग का आकार लेने लगे हैं। इस शिवलिंग की खास बात यह है कि इस पर चट्टान से निकलने वाले पेयजल की धारा से स्वत ही निरंतर जलाभिषेक होता रहता है। अगर बर्फबारी अच्छी होती रही तो फरवरी तक बाबा बर्फानी पूर्ण रुप ले लेंगे।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। उत्तराखंड के सीमांत चमोली जिले में नीती घाटी की टिम्मरसैंण गुफा में बाबा बर्फानी आकार लेने लगे हैं। यहां बर्फ से बनने वाले शिवलिंग का आकार उभरने लगा है, जिसके दर्शन के लिए निरंतर श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
चीन सीमा से सटी नीती घाटी में नीती गांव से करीब एक किलोमीटर पहले टिम्मरसैंण महादेव की गुफा में बाबा बर्फानी हर वर्ष सर्दियों में भक्तों को दर्शन देते हैं। यहां बर्फ के कई शिवलिंग प्राकृतिक तौर पर बनते हैं। इनमें एक मुख्य शिवलिंग विराजमान होता है, जिसे बाबा बर्फानी के रूप में पूजा जाता है।
बाबा बफार्नी ले रहे है रूप
बर्फबारी ठीक हो तो इस शिवलिंग की ऊंचाई तकरीबन 10 फीट तक पहुंच जाती है। पहाड़ी से टपकने वाली जलधारा से निरंतर बाबा बफार्नी का अभिषेक होता रहता है। इन दिनों कम बर्फबारी होने के चलते नीती गांव जाने वाला मोटर मार्ग खुला है। इसलिए जोशीमठ और नीती घाटी के निवासी बड़ी संख्या में बाबा बर्फानी के दर्शन को पहुंच रहे हैं। इसके अलावा सेना, आईटीबीपी व बीआरओ के जवान और अधिकारी भी निरंतर पूजा-अर्चना के लिए यहां पहुंच रहे हैं।फरवरी तक आकार ले लेंगे बाबा बर्फानी
नीती गांव निवासी प्रेम सिंह फोनिया के अनुसार, टिम्मरसैंण गुफा में बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन होने लगे हैं। गुफा के आसपास पहाड़ियों पर अच्छी-खासी बर्फ जमा है। हालांकि, नीती घाटी में जमी बर्फ पिघल चुकी है। अगर आगामी दिनों में अच्छी बर्फबारी हुई तो फरवरी तक बाबा बर्फानी पूर्ण आकार ले लेंगे।
चमोली में शून्य से नीचे है तापमान
बाबा बर्फानी के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए फरवरी से मार्च तक बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं। इस समय घाटी में कड़ाके की ठंड के बीच तापमान शून्य से नीचे चल रहा है। इससे झरने सहित प्राकृतिक स्रोतों में पानी जमने लगा है।मकर संक्रांति पर खुलेंगे आदिबद्री के कपाट
पंचबदरी में प्रथम आदि बद्री धाम के कपाट 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इस अवसर पर मंदिर को दो कुंतल फूलों से सजाया जाएगा और सप्ताह भर तक महाभिषेक समारोह का आयोजन होगा। परंपरा के अनुसार पौष संक्रांति पर मंदिर के कपाट एक माह के लिए बंद किए गए थे।
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