Jogidhara Waterfall बदरीनाथ हाईवे पर जोशीमठ से दो किमी पहले जोगीधारा अपना सम्मोहन बिखेर रहा है। यह झरना इस बार मई में पूरी तरह सूख गया था लेकिन वर्षाकाल में झरने के दोबारा अपने मूल स्वरूप में लौटने से प्रकृति प्रेमी खुश हैं। यह झरना बदरीनाथ हाईवे से गुजरने के बाद अलकनंदा नदी में मिल जाता है। स्थानीय होटल कारोबारी यात्री व पर्यटकों को यहां पर भेजते हैं।
संवाद सहयोगी, जागरण, गोपेश्वर। Jogidhara Waterfall: बदरीनाथ हाईवे पर जोशीमठ से दो किमी पहले जोगीधारा अपना सम्मोहन बिखेर रहा है। यही वजह है कि यहां से गुजरने वाले यात्री इस झरने में स्नान का मोह नहीं त्याग पा रहे। झरने के पास सेल्फी लेने के लिए भी यात्री व पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।
यह झरना इस बार मई में पूरी तरह सूख गया था, लेकिन वर्षाकाल में झरने के दोबारा अपने मूल स्वरूप में लौटने से प्रकृति प्रेमी खुश हैं।
अलकनंदा नदी में मिल जाता है झरने का पानी
औली के जंगल में मौजूद प्राकृतिक स्रोत से निकलने वाला यह झरना बदरीनाथ हाईवे से गुजरने के बाद अलकनंदा नदी में मिल जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले बदरीनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले साधु-संत इस धारे के आसपास स्थित गुफाओं में विश्राम करते थे।
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साधु-संतों को प्रिय होने के कारण ही इस धारे का नाम जोगीधारा पड़ा। इस बार मई आखिर में यह झरना पूरी तरह सूख गया था, लेकिन अब यह पहले जैसे ही मनोहारी स्वरूप में यहां से गुजरने वालों को आनंदित कर रहा है।
जोगीधारा अपने आप में ही एक खूबसूरत पर्यटन स्थल
औली के होटल कारोबारी अजय भट्ट कहते हैं कि जोगीधारा अपने आप में ही एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। स्थानीय होटल कारोबारी इसे डेस्टिनेशन के रूप में प्रचारित कर यात्री व पर्यटकों को यहां पर भेजते हैं।
जोशीमठ के पूर्व पालिकाध्यक्ष शैलेंद्र पंवार कहते हैं कि नगर पालिका की ओर से इस नए पर्यटन डेस्टिनेशन का सुंदरीकरण किया गया है। यहां पुल के साथ नहाने के लिए एक तालाब और पास ही में एक प्रतीक्षालय व एक शौचालय भी बनाया गया है। इस झरने में मिट्टी-पत्थर बहकर भी नहीं आते, इसलिए यहां स्नान करना पूरी तरह सुरक्षित है। जोगीधारा को नगर के पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए कार्ययोजना बनाए जाने की आवश्यकता है।
जलवायु परिवर्तन के चलते जोगीधारा जून में सूख गया था। लेकिन, वर्षाकाल में औली सहित अन्य स्थानों पर पेयजल स्रोत रिचार्ज होने से जोगीधारा फिर अपने मूल स्वरूप में आ गया है। वन विभाग इसके मूल स्रोतों के संवर्धन में जुटा हुआ है।
- वीवी मार्तोलिया, प्रभागीय वनाधिकारी, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क, जोशीमठ
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