संघर्ष से तपकर चमक बिखेरने को तैयार 19 साल की भागीरथी, ये अंतरराष्ट्रीय एथलीट दिखा रहे राह
देवाल ब्लॉक स्थित छोटे से गांव वाण की रहने वाली भागीरथी के सपने आसमान के विस्तार से भी बड़े हैं। महज 19 साल की भागीरथी पैदल चाल (वॉक रेस) में अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी छाप छोड़ना चाहती है।
By Edited By: Updated: Sun, 18 Oct 2020 09:40 PM (IST)
गोपेश्वर(चमोली), देवेंद्र रावत। चमोली जिले के देवाल ब्लॉक स्थित छोटे से गांव वाण की रहने वाली भागीरथी के सपने आसमान के विस्तार से भी बड़े हैं। महज 19 साल की भागीरथी पैदल चाल (वॉक रेस) में अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी छाप छोड़ना चाहती है। भागीरथी ने उत्तराखंड के कठिन ट्रैक में शुमार रोंटी पर्वत (6063 मीटर) की ट्रैकिंग महज 36 घंटे में बिना संसाधन और रुके बिना पूरी कर अपनी प्रतिभा साबित भी की है, जबकि इस ट्रैक को पूरा करने में आठ से दस दिन का समय लगता है। भागीरथी की इसी प्रतिभा से प्रभावित होकर हिमाचल प्रदेश निवासी अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुनील शर्मा ने उसे साथ चलने को कहा। फिलहाल भागीरथी सुनील शर्मा की देखरेख में गवर्नमेंट कॉलेज संगड़ाह में पैदल चाल का अभ्यास कर खुद को ओलंपिक के लिए तैयार कर रही है।
संघर्ष और अभावों में बीता जीवन भागीरथी को संघर्ष विरासत में मिला। महज तीन वर्ष की आयु में पिता की मृत्यु हो गई, जैसे-तैसे परिस्थितियों से लड़कर होश संभाला और कभी हार नहीं मानी। भागीरथी पढ़ाई के साथ घर का सारा काम भी खुद ही करती थी। यहां तक कि अपने खेतों में हल भी खुद ही लगाया करती थी। यही वजह रही कि उसने मेहनत से कभी मुंह नहीं मोड़ा।
स्कूल में अंकुरित हुआ सपनों का बीज
भागीरथी की प्रतिभा को सबसे पहले राजकीय इंटर कॉलेज वाण के शिक्षकों ने पहचाना। स्कूल में भागीरथी कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल के साथ ही एथलेटिक्स में भी हमेशा अव्वल आती थी। धीरे-धीरे उसने जिला स्तर पर भी पहचान बनानी शुरू कर दी, लेकिन राज्य स्तर पर वह अक्सर पिछड़ जाती थी। हालांकि उसने हौसला नहीं खोया और न हार मानी। राजकीय इंटर कॉलेज वाण के प्रधानाचार्य गजेंद्र अग्निहोत्री कहते हैं, भागीरथी में ओलंपिक में पदक जीतने का जज्बा है। स्कूल की खेलकूद प्रतियोगिता में वह लड़कों को भी पटकनी दे देती थी। बताया कि इसी साल भागीरथी ने राजकीय इंटर कॉलेज वाण से इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।
सपनों को मिला फलक, उड़ान बाकी
सिरमौरी चीता के नाम से मशहूर अंतरराष्ट्रीय एथलीट और ग्रेट इंडिया रन फेम सुनील शर्मा बीते दिनों उत्तराखंड की ऊंची पर्वतमाला पर अभ्यास के लिए वाण गांव आए थे। यहीं उनकी मुलाकात भागीरथी से हुई। जब वह रोंटी ट्रैक पर जाने लगे तो भागीरथी भी तैयार हो गई। दोनों ने वाण गांव से महज 36 घंटे में रोंटी रूट को बिना रुके और बिना संसाधनों के नापकर रिकॉर्ड बना डाला। इतनी कम उम्र में भागीरथी के जुनून और प्रतिभा को देखकर सुनील शर्मा प्रभावित हुए बिना न रह सकें।
यह भी पढ़ें: हौसलों ने भरी उड़ान तो छोटा पड़ गया आसमान, उत्तराखंड की सविता कंसवाल ने विपरीत परिस्थितियों से लड़कर बनाया रास्ताउन्होंने भागीरथी के सामने संगड़ाह चलने का प्रस्ताव रखा तो भागीरथी को विश्वास ही नहीं हुआ। उसकी मुराद तो बिना मांगें ही पूरी हो चुकी थी। यहीं से भागीरथी ने अपने सपने की ओर कदम बढ़ाते हुए गवर्नमेंट कॉलेज संगड़ाह में दाखिला ले लिया। अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुनील शर्मा का कहना है कि भागीरथी में प्रतिभा के साथ कुछ कर दिखाने का जज्बा भी है। उनका मकसद उसे तराशकर ओलंपिक में भेजना है।
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