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उत्‍तराखंड में विकास दर में गिरावट थामने की चुनौती

प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक विकास की तस्वीर जानने को कराए गए आर्थिक सर्वेक्षण को पहली मर्तबा विधानसभा में पेश कर त्रिवेंद्र रावत सरकार ने नई पहल कर दी है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 22 Mar 2018 09:22 PM (IST)
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उत्‍तराखंड में विकास दर में गिरावट थामने की चुनौती
गैरसैंण, चमोली [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक विकास की तस्वीर जानने को कराए गए आर्थिक सर्वेक्षण को पहली मर्तबा विधानसभा में पेश कर त्रिवेंद्र रावत सरकार ने नई पहल कर दी है। उत्तराखंड यह कदम उठाने वाला असोम के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है। आर्थिक सर्वेक्षण में राज्य के विकास की मिली-जुली तस्वीर उभरकर सामने आई है। विधानसभा में बजट पेश होने से एक दिन पहले बुधवार को सदन में रखे गए आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य की विकास दर में वर्ष 2017-18 में 6.77 फीसद रहने का अनुमान है। 

वर्ष 2016-17 की तुलना में विकास दर में हो रही गिरावट को रोकने की चुनौती सरकार के सामने है। वहीं  प्रति व्यक्ति आय में भी इजाफा हुआ है और यह 1,77,356 रुपये अनुमानित है। देहरादून की विकास दर सर्वाधिक और चंपावत की सबसे कम आंकी गई है। पेयजल, विद्युत के क्षेत्र में चुनौतियां कम नहीं हैं।

किसी भी राज्य के आर्थिक विकास का मापदंड है उसका सकल राज्य घरेलू उत्पाद। यह अनुमान प्रदेश की अर्थव्यवस्था के आकार को भी प्रदर्शित करता है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य की विकास दर 2016-17 में 6.95 फीसद की वृद्धि आंकी गई, जबकि 2017-18 में इसमें 6.77 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

स्थिर भावों पर सकल घरेलू उत्पाद पिछले वर्ष 162451 करोड़ आंका गया, जो चालू वित्तीय वर्ष में बढ़कर 173444 करोड़ अनुमानित है। जिलावार आर्थिक विकास दर (स्थिर भाव पर) को देखें तो इसमें देहरादून की आर्थिक विकास दर सबसे अधिक 7.62 फीसद है, जबकि चंपावत की सबसे कम 5.75 फीसद।

वहीं, प्रचलित भावों पर सकल घरेलू उत्पाद 2,17,609 करोड़ आंकलित हुआ है, जो गत वर्ष 1,95,606 करोड़ था। सकल घरेलू उत्पाद में अन्य सेवाएं, परिवहन, संचार, प्रसार, निर्माण उद्योग, बिजली, गैस, पानी व अन्य उपयोगी सेवाओं में उच्च वृद्धि दर आंकी गई, जबकि कृषि, वन, मत्स्य व विनिर्माण क्षेत्र में नि न वृद्धि दर आंकी गई।

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में राज्य में कुल राजस्व प्राप्तियां 31593.08 करोड़ हैं, जो कि 2016-17 के पुनरीक्षित अनुमान से 25.09 फीसद अधिक है। राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष 2.51 फीसद अनुमानित है, जो गत वर्ष 2.31 फीसद था। चालू वित्तीय वर्ष में 31 दिसंबर तक राज्य को करों से 5351.04 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई।

पर्यटन, हेली सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास, प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, रुर्बन मिशन, स्वच्छता मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन, ोल एवं युवा कल्याण समेत अन्य क्षेत्रों में राज्य की तस्वीर ठीक है।

खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी

राज्य में वर्ष 2016-17 में खाद्यान्न का उत्पादन 18.72 लाख मीट्रिक टन होने की संभावना है। इससे पहले वर्ष में यह 17.56 लाख मीट्रिक टन था। सर्वेक्षण के मुताबिक फल, सब्जी व पुष्प उत्पादन के क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं सामने आई हैं।

23 वर्ग किमी बढ़ा वन क्षेत्र

प्रदेश में 23 वर्ग किमी वन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है। इसमें सर्वाधिक वृद्धि पौड़ी जनपद में हुई, जबकि सबसे कम उत्तरकाशी में। जल प्रक्षेत्र में 1.46 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। यही नहीं, राज्य के वन क्षेत्रों से 95102.7 करोड़ की पर्यावरणीय सेवाएं मिल रही हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक वानिकी क्षेत्र का राज्य की जीडीपी में योगदान 3462 करोड़ अनुमानित है।

विद्युत उत्पादन कम, मांग ज्यादा

राज्य में विद्युत की मांग 11327.31 एमयू है, जिसके सापेक्ष उत्पादन हो रहा 6318.33 एमयू। सर्वेक्षण के मुताबिक यदि विभिन्‍न कारणों से बाधित परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया जाए तो मांग से कहीं ज्यादा विद्युत उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, लाइन लॉस कम करने की दिशा में गंभीरता से कदम उठाए गए हैं। ऊर्जा बचत पर भी फोकस किया जा रहा है।

1.7 गुना बढ़ी सड़कों की लंबाई

राज्य में मार्च 2017 तक सड़कों की लंबाई 43762 किमी थी, जिसमें 2002-03 की अपेक्षा 1.7 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। इसी अवधि में ऑन रोड वाहनों की सं या में छह गुना इजाफा हुआ है। दिसंबर 2017 तक राज्य में ऑन रोड वाहनों की संख्या 24.52 लाख हो गई थी। ऑन रोड वाहनों में 90 फीसद से ज्यादा निजी वाहन हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों से सर्वाधिक पलायन

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में अधिकांश पलायन संबंधित जनपद के ग्रामीण क्षेत्र से हुआ है। यह 54.35 फीसद है, जबकि लगभग 12.38 फीसद व 6.85 फीसद पलायन अन्य राज्यों  के ग्रामीण व नगरी क्षेत्रों में हुआ है। वहीं पर्वतीय जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि दर तीव्र गति से कम हो रही है। अल्मोड़ा और पौड़ी जिलों में यह दर ऋणात्मक पाई गई है।

अर्थव्यवस्था में योगदान

क्षेत्र-----------------------------------योगदान फीसद में

प्राथमिक----------------------------------10.50

द्वितीयक---------------------------------49.74

तृतीयक------------------------------------39.76

इनका अधिक योगदान

विनिर्माण----------------------------------37.57

व्यापार, होटल व रेस्तरां----------------12.72

कृषि व संबंधित क्षेत्र-------------------- 9.95

निर्माण उद्योग-------------------------- 8.70

परिवहन, संचार व प्रसारण------------ 8.07

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आर्थिक सर्वेक्षण के अन्य बिंदु

-राज्य में बैंकों का ऋण-जमा अनुपात 57 फीसद, ऊधमसिंहनगर में सर्वाधिक 123 फीसद तो अल्मोड़ा में सबसे कम 22 फीसद

-प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत दिसंबर 2017 तक खुले 2278050 नए बैंक खाते, इनमें से 1627419 आधार से लिंक

-प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा व जीवन बीमा योजना में 2255262 लोगों को बीमा योजना से जोड़ा गया

-स्टैंड अप भारत योजना में 915 नए उद्यम स्थापित करने को 199.94 करोड़ की राशि स्वीकृत

-राज्य में जीएसटी प्रणाली में 48219 नए पंजीकरण हुए, 83273 व्यापारी वैट से जीएसटी में परिवर्तित 

-31 दिसंबर 2017 तक आबकारी विभाग ने 1743.56 करोड़ का राजस्व संग्रहीत किया

-दिसंबर 2017 में राज्य में मुद्रास्फीति की दर अपने अधिकतम स्तर 5.92 पर रही

-राज्य में सभी 9299 राशन की दुकानों को सामान्य सेवा केंद्र के रूप में विकसित करना प्रस्तावित

-सहकारी बैंकों ने पिछले साल 728.16 करोड़ के ऋण 1.34 सदस्यों को वितरित किए

-प्रदेश की 17433 बस्तियों को आंशिक रूप से मिल पा रही पेयजल की सुविधा

-प्रदेश में पंजीकृत 55545 लघु उद्यमों में 11633.45 करोड़ का पूंजी निवेश

-सिडकुल में 1836 इकाइयों में से 1412 में हो रहा उत्पादन, इनमें 25924.95 करोड़ का निवेश प्रस्तावित

-वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं से नवंबर, 2017 तक ग्रीन सेस के रूप में एकत्र की गई 151.08 करोड़ की राशि

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