युवाओं को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण देकर राजेंद्र ने तैयार किया मजबूत आर्थिकी का आधार
चमोली जिले के ग्राम किरुली निवासी राजेंद्र बंडवाल बेरोजगारों को हस्तशिल्प से जोड़कर उनमें भविष्य की उम्मीद जगा रहे हैं। ताकि वह पहाड़ में रहकर ही रोजगार का मजबूत आधार तय कर सकें।
By Edited By: Updated: Wed, 24 Jun 2020 11:31 AM (IST)
गोपेश्वर, देवेंद्र रावत। लॉकडाउन के दौरान महानगरों में रह रहे पहाड़ के हजारों युवा जब अपना रोजगार गंवा बैठे हों, तब चमोली जिले के ग्राम किरुली निवासी राजेंद्र बंडवाल बेरोजगारों को हस्तशिल्प से जोड़कर उनमें भविष्य की उम्मीद जगा रहे हैं। वह चमोली जिले के बंडवाल क्षेत्र के युवाओं को रिंगाल से उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। ताकि वह पहाड़ में रहकर ही रोजगार का मजबूत आधार तय कर सकें।
हस्तशिल्प में खासतौर पर रिंगाल के उत्पादों का निर्माण अब बीते जमाने की बात हो गई है। पहले पहाड़ में सैकड़ों लोग रिंगाल उद्योग से जुड़कर रोजगार प्राप्त किया करते थे। समय बदला और धीरे-धीरे युवा इस पुश्तैनी हुनर को छोड़कर रोजगार की तलाश में मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन करने लगे। ऐसे हालात में भी किरुली गांव के राजेंद्र बंडवाल ने पलायन करने के बजाय अपने इसी पुश्तैनी कारोबार को आगे बढ़ाया।वह कहते हैं कि-पहले मैं रिंगाल से परंपरागत कंडी, सुप्पा आदि वस्तुएं तैयार करता था। इनकी खपत बेहद सीमित होने के कारण बाद में मैंने नया प्रयोग करते हुए कलमदान, लैंप शेड, टी ट्रे, डस्टबिन, फूलदान, टोकरी, टोपी, ऐशट्रे आदि बनाने शुरू कर दिए।
इन वस्तुओं को राजेंद्र बदरीनाथ हाइवे पर यात्रियों को बेचते हैं। इससे उन्हें अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है। इसके अलावा उन्होंने किरुली समेत आसपास के गांवों के 20 से अधिक युवाओं को भी रिंगाल के वस्तुएं तैयार करने का प्रशिक्षण दिया है। आज ये युवा भी आज रिंगाल उत्पाद तैयार कर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं।
किरुली निवासी संजय सिंह चौहान बताते हैं कि राजेंद्र आज क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। वह लॉकडाउन के चलते वापस लौटे कई प्रवासी युवाओं को भी रिंगाल से उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।यह भी पढ़ें: गांव लौटे प्रवासियों ने पेश की मिसाल, बना दी ढाई किमी लंबी सड़क
प्रवासी युवा बैंक से ऋण लेकर शुरू कर सकते हैं अपना उद्यम जिला उद्योग केंद्र, चमोली के महाप्रबंधक डॉ. एमएस सजवाण के मुताबिक, राजेंद्र बंडवाल ने हस्तशिल्प को नई ऊंचाइयां दी हैं। सरकार भी हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। प्रवासी युवा भी रिंगाल समेत अन्य उद्योगों को संचालित करने के लिए बैंक से ऋण लेकर भी अपना उद्यम शुरू कर सकते हैं।
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