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Uttarakhand Tourism: देवताल की सुंदरता से अंजान है दुनिया, देश की सबसे ऊंचाई में स्थित झील होने का दावा

Uttarakhand Tourism देवताल की सुंदरता से दुनिया अंजान है। इसको लेकर देश की सबसे ऊंचाई में स्थित झील होने का दावा किया जा रहा है। स्की माउंटेनिंग एसोसिएशन ने हाल ही में माणा पास के देवताल तक निकाली गई बाइक व साइकिल यात्रा के दौरान विशेषज्ञों की टीम द्वारा जीपीएस कॉडिनेट तकनीकी के माध्यम से ली गई ऊंचाई 17926 फीट आंकी गई है।

By Devendra rawat Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 13 Nov 2024 12:24 PM (IST)
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Uttarakhand Tourism : भारत की उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रथम लेक का दर्जा मिल सकता है। प्रतीकात्‍मक
संवाद सहयोगी,जागरण, गोपेश्वर।  Uttarakhand Tourism : माणा पास में देवताल को भारत की उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रथम लेक का दर्जा मिल सकता है। स्की माउंटेनिंग एसोसिएशन ने हाल में ही माणा पास के देवताल तक निकाली गई बाइक व साइकिल यात्रा के दौरान विशेषज्ञों की टीम द्वारा जीपीएस कॉडिनेट तकनीकी के माध्यम से ली गई ऊंचाई 17926 फीट आंकी गई है।

सबसे ऊंचाई की प्राकृतिक झील

एसोसिएशन ने जिला प्रशासन व शासन को यह रिपोर्ट भेजते हुए दावा किया कि यह लेख भारत की उच्च हिमालयी क्षेत्र में समुद्रतल से सबसे ऊंचाई की प्राकृतिक झील है।

गौरतलब है कि 27 सिंतबर विश्व पर्यटन दिवस पर स्की माउंटेनिंग एसाेसिएशन के नेतृत्व में साइकिल व बाइक रैली का आयोजन बदरीनाथ से माणा पास तक किया गया था। इसका शुभारंभ स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़कर किया गया था।

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रैली के दौरान 140 से अधिक बाइकर्स साइकिलिस्ट माणा से 54 किमी दूर चीन सीमा के पास देवताल तक गए थे। इस रैली को लेकर बकायदा प्रशासन से अनुमति भी ली गई थी। एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय भट्ट के नेतृत्व में इस यात्रा में जीपीएस कॉडिनेट विशेषज्ञ भी रैली में शामिल हुए थे। अजय भट्ट ने बताया कि देवताल की ऊंचाई को लेकर जो सांकेतिक बोर्ड लगाया गया है। उसमें समुद्रतल से इस झील की ऊंचाई 17800 बताई गई है। हालांकि इस सांकेतिक बोर्ड में इस लेख को भारत की सबसे ऊंचाई वाली झील बताई गई है।

स्की मांउटेनिंग के विशेषज्ञों ने जीपीएस कॉडिनेट लिए हैं। जिसकी रिपोर्ट में इसकी ऊंचाई समुद्रतल से 17926 फीट निकली है। एसोसिएशन ने इसकी रिपोर्ट प्रशासन को भेजी है। चारों ओर बर्फ हिमाच्छादित पहाड़ों से ढकी इस झील को लेकर हर कोई बेनजीर बताता है।

स्थानीय लोगों सहित पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि माणा पास सीमा दर्शन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। इस झील के बेनजीर नजारों को देश दुनिया के सामने रखने से पर्यटन के साथ तीर्थाटन को एक नई ऊर्जा मिल सकती है। इस झील तक पहुंचने के लिए माणा से आगे इनर लाइन परमिट की जरुरत पड़ती है। यह निर्धारित जांच प्रक्रिया के बाद जिला प्रशासन द्वारा उपजिलाधिकारी के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है।

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इस पूरे क्षेत्र में माणा से आगे सिर्फ सेना चौकियां ही मौजूद हैं। वर्तमान समय में भारत की सबसे ऊंचाई पर स्थित झील सिक्किम में गुरुडोंगमार झील मानी जाती है। इंटरनेट मीडिया पर मौजूद दस्तावेजों में यह झील 17,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित बताई है।

अगर उत्तराखंड सरकार देवताल को लेकर सर्वेक्षण के बाद इस दावे को आगे बढ़ाता है तो देवताल की देश की सबसे ऊंचाई पर स्थित झील का नाम  मिल सकता है।

स्थानीय लोगों का धार्मिक स्थल है देवताल

इस झील का नाम स्थानीय भाषा में देवताल है। देवताल यानि देवताओं के स्नान का तालाब । मान्यता है कि यहां पर स्वंय देवता स्नान के लिए आते हैं। माणा सहित सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीण पूजा अर्चना के लिए प्रतिवर्ष यहां जाते हैं। इस तालाब के किनारे समतल मैदान के साथ हनुमान का मंदिर भी है। तालाब में स्नान या फिर पूजा अर्चना से पहले हनुमानजी की पूजा अर्चना की जाती है। सरस्वती नदी का उद्दगम शास्त्रों में इसी झील यानि देवताल से माना गया है।

परी ताल भी है मौजूद

हिमालयी में परियों के वास को लेकर कई दंत कथाएं मौजूद हैं। मान्यताा है कि देव कन्याएं इन हिमालयी की श्रृखलांओं में विचरण करती हैं। देवताल से एक किमी पहले लगभग एक किमी लंबी सुंदर झील मौजूद है। जिसमें वर्षभर पानी मौजूद रहता है। शीतकाल में यह झील बर्फ से ढक जाती है। मान्यता है कि परियां इस झील में स्नान करती है। इसलिए इस झील का नाम परी झील रखा गया है।

राक्षस ताल भी है मौजूद

माणा पास के इस सीमावर्ती क्षेत्र में आधा किमी नीचे माणा की ओर राक्षस ताल भी मौजूद है। मान्यता है कि इस तालाब में राक्षस स्नान करते रहे हैं। यह तालाब शापित होने के कारण लोग इसमें स्नान करने से परहेज करते हैं। राक्षस, भूत-प्रेत के निवारण के लिए भी इस तालाब के किनारे भी पूजा अर्चना की जाती है। यह तालाब 150 मीटर आकार का है।

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