पांडुकेश्वर स्थित कुबेर मंदिर में विराजमान हुए धन कुबेर
धन के देवता कुबेर मकर संक्रांति पर्व पर पांडुकेश्वर स्थित अपने मंदिर में विराजमान हो गए। बदरीनाथ के कपाट खुलने से पहले तक उनकी पूजा इसी मंदिर में होगी।
पांडुकेश्वर, चमोली [जेएनएन]: धन के देवता कुबेर मकर संक्रांति पर्व पर पांडुकेश्वर स्थित अपने मंदिर में विराजमान हुए। इसके साथ ही बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने तक हक-हकूकधारी मेहता, कंद व भंडारी थोक के लोग ही उनकी पूजा संपन्न करेंगे। अब तक कुबेर जी भगवान नारायण के बाल सखा उद्धव जी के साथ पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर में विराजमान थे। यहां उनकी पूजा डिमरी जाति के पुजारी संपादित कर रहे थे।
परंपरा के अनुसार देवताओं के खजांची कुबेर प्रतिवर्ष कपाट खुलने पर कर्ज वसूली के लिए बदरीनाथ धाम में भगवान नारायण के साथ गर्भगृह में विराजमान रहते हैं। इस दौरान बदरीनाथ धाम के रावल उनकी पूजा करते हैं। जबकि, कपाट बंद होने के साथ ही भगवान के बाल सखा उद्धव जी व कुबेर जी की डोली पांडुकेश्वर के योग-ध्यान बदरी मंदिर लाई जाती है।
यहां डिमरी पुजारियों द्वारा उनकी पूजा की जाती है। मकर संक्रांति के मौके पर कुबेर जी की मूर्ति को योग-ध्यान बदरी मंदिर से कुबेर मंदिर में लाया गया।
भोग पूजा के बाद कुबेर जी की मूर्ति डोली योग-ध्यान मंदिर से बाहर लाई गई। सबसे पहले कुबेर जी बदरीनाथ हाइवे पर स्थित क्षेत्रपाल घंटाकर्ण मंदिर पहुंचे। यहां देव मिलन के बाद उन्होंने योग-ध्यान मंदिर की परिक्रमा की और फिर कुबेर मंदिर में विराजमान हो गए। इस दौरान कुबेर जी के पश्वा अखिल पंवार व नंदा जी के पश्वा भगत मेहता ने गंगाजल व दूध से स्नान कर आसन ग्रहण किया। कार्यक्रम में संजीव भंडारी, गोविंद राणा, अनूप भंडारी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की।
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