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    उत्तराखंड के चमोली में भारी बारिश से हाहाकार, कई घरों में घुसा मलबा; एक मकान पूरी तरह ध्‍वस्‍त

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 01:07 PM (IST)

    चमोली उत्तराखंड में बुधवार रात भारी बारिश के कारण कई घरों में मलबा घुस गया जिससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। थराली के डूंगाखोली सकबाड़ा गांव में जगतपाल सिंह का मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया जबकि खिलाप सिंह और जय सिंह के घरों में मलबा भर गया। राहत की बात यह रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। ताजा अपडेट के लिए जागरण के साथ जुड़े रहें।

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    भेसुणा तोक में अतिवृष्टि से एक मकान पूर्ण क्षतिग्रस्त। जागरण

    जासं, चमोली। सगवाड़ा (थराली) जनपद चमोली के पिंडरघाटी में बारिश के बाद गांव और नगरीय आबादी आपदा से जूझ रही है। गुरूवार की सुबह क्षेत्र में अतिवृष्टि के चलते सुबह साढ़े चार बजे थराली विकासखंड के सगवाड़ा गांव में अचानक आए मलबे ने ग्रामीणों को भयभीत कर दिया।

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    तेज आवाज हुई और गांव के जगतपाल सिंह बिष्ट पुत्र स्व. आलम सिंह का मकान मलबे की चपेट में आकर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। सूचना मिलने पर थराली राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया।

    राजस्व उपनिरीक्षक राबर्ट सिद्दकी ने बताया कमान में जगतपाल सिह की छोटी बहिन सुषमा रहती थी, लेकिन खतरे की आशंका के चलते पहले ही सतर्कता रखते हुए गांव के अन्य भवन में उसने शरण ली थी। भूस्खलन के चलते खिलाफ सिह का दो मंजिले भवन को भी नुकसान पहुंचा है।

    फिलहाल गांव के छह परिवारों को पंचायती भवन में अस्थायी रूप से रहने और भोजन आदि की व्यवस्था की गई है। हादसे के बाद आसपास दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने बताया कि मलबा बढ़ने से पुष्पा देवी पत्नी स्व. दुर्लभ सिंह का मकान भी खतरे की जद में आ गया है। मौके पर पहुंचे तहसीलदार थराली, राजस्व उपनिरीक्षक की टीम मौके पर पहुंची और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया।

    ग्रामीण रविन्द्र सिह ने बताया वर्ष 2013 की भीषण आपदा में भी इसी स्थान के समीप मलबा आने से जगतपाल सिंह बिष्ट के पिता आलम सिंह की मृत्यु हो गई थी और इस बार आपदा से उनका आवासीय भवन ही जमींदोज हो गया है। अक्टूबर माह में जगत पाल की बहिन सुषमा का विवाह लग्न भी था ऐसे में जहां परिवार विवाह की तैयारियां कर पुश्तैनी मकान में बारात की तैयारियां होनी थी वहीं अब पूरा मकान क्षतिग्रस्त होने से परिवार वाले दु:खी है।

    ग्रामीणों ने कहा कुराड़–पार्था सड़क पर उचित नालियां व कॉजवे न होना और गांव में जल निकासी की व्यवस्था का अभाव है आपदा की वजह बना है और बरसाती पानी मलबे के साथ सीधे बस्तियों की ओर पहुंच गया जिससे नुकसान हो गया। आपदा के चलते गांव जाने वाले पैदल रास्ते, गौशाला, कृषि भूमि, पेयजल योजना और प्राकृतिक जलस्रोतों को भी खासा नुकसान पहुंचा है।

    आपदा के चलते जगतपाल सिंह का ही आवासीय भवन और डुंगाखाली, भैंसाड़ा तोक, खवा तोक, कमखोली तोक, मलटनवा तोक, गमील तोक और गुलामोड तोक में भी कई मकानों और खेतों में दरारें पड़ गई हैं। भैंसाड़ा तोक में कुलदीप सिंह , दिनेश सिंह और खिलाफ सिंह की मकान भी खतरे की जद में आ गए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापन और मुआवजे की मांग उठाई है।

    थराली और चेपडों में बीते माह आई आपदा के बाद पहाड़ी से गिर रहे मलबे के साथ पेडों के गिरने का डर बना है। ऐसे में खतरे की आशंका को देखते हुए प्रशासन के निर्देश पर वन विकास निगम द्वारा खतरनाक पेडों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया पूरी कर पातन शुरू कर दिया है।

    उपजिलाधिकारी थराली ने बताया थराली में रूक-रूक कर कई स्थानों पर जारी बारिश के चलते भूस्खलन और मलबा गिर रहा है जिसके साथ पेड भी जद में है ऐसे में सभी खतरनाक बने पेड़ो को काट कर हटाने के निर्देश वन विभाग को दिए गए थे जिसपर कार्रवाई गतिमान है।

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