Chamoli: हेमकुंड साहिब और लक्ष्मण मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद, शामिल हुए 3000 से अधिक श्रद्धालु
दोपहर 1230 बजे इस वर्ष की अंतिम अरदास पढ़ी गई। दोपहर एक बजे हुक्मनामा लिया गया और फिर पंज प्यारों की अगुआई में गुरुग्रंथ साहिब को दरबार साहिब से सतखंड में स्थापित किया गया। ठीक डेढ़ बजे धाम के कपाट बंद किए गए। इससे पूर्व श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई और दर्शन के बाद लंगर में प्रसाद ग्रहण किया।
जागरण संवाददाता, चमोली। उत्तराखंड में स्थित गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट बुधवार दोपहर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस मौके पर तीन हजार से अधिक श्रद्धालु अंतिम अरदास में शामिल हुए। पहली बार ननकाना साहिब (पाकिस्तान) से आए 29 श्रद्धालु भी कपाटबंदी के साक्षी बने। इस वर्ष 20 मई को धाम के कपाट खोले गए थे।
बीती रात हल्की बर्फबारी होने के बावजूद बुधवार सुबह हेमकुंड साहिब में मौसम खुला हुआ था। तड़के श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा घांघरिया से हेमकुंड साहिब पहुंचे। इसके बाद मुख्य ग्रंथी मिलाप सिंह व कुलवंत सिंह की अगुआई में धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। सुबह दस बसे से सुखमणि साहिब पाठ और 11:15 बजे से सबद-कीर्तन हुए।
डेढ़ बजे धाम के कपाट किए गए बंद
दोपहर 12:30 बजे इस वर्ष की अंतिम अरदास पढ़ी गई। दोपहर एक बजे हुक्मनामा लिया गया और फिर पंज प्यारों की अगुआई में गुरुग्रंथ साहिब को दरबार साहिब से सतखंड में स्थापित किया गया। ठीक डेढ़ बजे धाम के कपाट बंद किए गए। इससे पूर्व श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई और दर्शन के बाद लंगर में प्रसाद ग्रहण किया।
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उधर, हेमकुंड साहिब परिसर में स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी गुरुद्वारा के साथ ही शीतकाल के लिए बंद हो गए। मान्यता है कि इस स्थान पर श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने पूर्व जन्म में शेषनाग के रूप में तपस्या की थी। इस मौके पर मंदिर के हक-हकूकधारी व भ्यूंडार घाटी के ग्रामीणों के साथ हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।