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Hemkund Sahib Yatra : अंतिम अरदास के बाद बंद हुए कपाट, 1500 से अधिक श्रद्धालु बने इस पावन पल के साक्षी

Hemkund Sahib Yatra श्री हेमकुण्ड साहिब जी के कपाट सोमवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद किए गए। सोमवार को विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद कपाट बंद हुए।

By Devendra rawatEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 10 Oct 2022 02:05 PM (IST)
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Hemkund Sahib Yatra : अंतिम अरदास के बाद बंद हुए कपाट। जागरण
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: Hemkund Sahib Yatra : पूर्ण विधिविधान एवं अंतिम अरदास के साथ श्री हेमकुण्ड साहिब जी के कपाट सोमवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सोमवार दोपहर डेढ़ बजे बैंड की मधुर धुन व पंच प्यारों की अगुवाई में कपाट बंद किए गए।

अलौकिक बेला के साक्षी बने 1500 से अधिक श्रद्धालु

इस अवसर पर लगभग 1500 से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने की इस अलौकिक बेला के साक्षी बने। वहीं अत्यधिक बारिश एवं बर्फबारी के बीच पुलिस एवं एसडीआरएफ की टीम द्वारा पवित्र निशान साहिब एवं कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद सभी यात्रियों को सकुशल गोविन्दघाट लाया गया।

लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद

श्री हेमकुण्ड साहिब जी के साथ लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद किए गए। सोमवार को विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद कपाट बंद हुए।

पिछले दो दिन से हो रही है बर्फबारी

हेमकुंड साहिब में पिछले दो दिन से बर्फबारी हो रही है। आज सोमवार की सुबह भी हल्की बर्फबारी हुई। इसके बावजूद 1500 से अधिक श्रद्धालु कपाटबंदी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे। समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब के कपाट 22 मई को खुले थे। इस बार 1.89 लाख श्रद्धालुओं हेमकुंड साहिब में मत्‍था टेका।

गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि तीर्थ यात्रियों ने सोमवार तड़के चार बजे घांघरिया से सतनाम वाहेगुरु का जाप करते हुए हेमकुंड साहिब के लिए प्रस्थान किया। उनकी मदद के लिए 418-स्वतंत्र ब्रिगेड के कैप्टन अनमोल प्रीत सिंह के नेतृत्व में सेना के 25 जवान भी साथ में चले।

कपाटबंदी के उत्सव में शामिल होने के लिए दिल्ली से जनक सिंह, करनाल से अमरीक सिंह व जालंधर से भगत सिंह के नेतृत्व में जत्थे भी पहुंचे। उत्सव को यादगार बनाने के लिए मोगा से पूर्व फौजियों का बैंड भी पहुंचा। कपाटबंदी के दौरान निशान साहेब से जोड़े भी बदले गए।

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