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Uttarakhand News: भूस्खलन के कारण 350 घंटे से ज्यादा बंद रहे राजमार्ग, दैनिक वस्तुओं की आपूर्ति हो रही बाधित

Uttarakhand Latest News उत्तराखंड में वर्षाकाल शुरू होने के साथ ही प्रदेशभर में राजमार्गों पर भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय हो गए हैं। इस कारण सड़कें निरंतर बाधित हो रही हैं और यात्रियों को आवाजाही के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। इस वर्षाकाल में भूस्खलन क्षेत्रों में राजमार्ग अवरुद्ध होने से 350 घंटे से ज्यादा समय तक आवाजाही बाधित रही है।

By Devendra rawat Edited By: Abhishek Pandey Updated: Mon, 15 Jul 2024 09:31 AM (IST)
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नैनीताल के कैलाखान क्षेत्र में धंसाव होने से भवाली नैनीताल मार्ग पर दरार आ गई है। जागरण
जागरण टीम, देहरादून। वर्षाकाल शुरू होने के साथ ही प्रदेशभर में राजमार्गों पर भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय हो गए हैं। इस कारण सड़कें निरंतर बाधित हो रही हैं और यात्रियों को आवाजाही के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। इस वर्षाकाल में भूस्खलन क्षेत्रों में राजमार्ग अवरुद्ध होने से 350 घंटे से ज्यादा समय तक आवाजाही बाधित रही है।

कई भूस्खलन क्षेत्र ऐसे हैं, जहां वर्षा नहीं होने पर भी पहाड़ियों से पत्थर और मलबा गिर रहा है। कुछ राजमार्गों पर नए भूस्खलन क्षेत्र भी उभर आए हैं। इससे यात्रियों के साथ प्रशासन की चुनौती भी दोगुनी हो गई है। सर्वाधिक सात नए भूस्खलन क्षेत्र चमोली जिले में बदरीनाथ राजमार्ग पर उभरे हैं।

आवश्यक सेवाओं पर भी असर

राजमार्ग बंद होने से यात्रियों और स्थानीय निवासियों के साथ दैनिक उपयोग की सामग्री की आपूर्ति भी बाधित हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी दूध, रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल, सब्जी और खाद्य सामग्री की आवक थमने से होती है।

चमोली

चमोली जिले से एकमात्र बदरीनाथ राजमार्ग गुजरता है। गौचर से बदरीनाथ धाम तक 131 किमी लंबे इस राजमार्ग पर कुल 17 भूस्खलन क्षेत्र हैं। इनमें सात भूस्खलन क्षेत्र पीपलकोटी के पास, जोशीमठ-जोगीधारा के बीच, भनेरपानी, पातालगंगा, टैया पुल, घुड़सिल, चटवापीपल इसी वर्षाकाल में उभरे हैं।

बीते दिनों जोशीमठ-जोगीधारा के बीच भूस्खलन होने से लगातार 84 घंटे तक राजमार्ग बाधित रहा। इसके अलावा पुराने भूस्खलन क्षेत्र नंदप्रयाग, पागलनाला, टंगणी, लामबगड़ नाला, कचनगंगा, कमेड़ा, मैठाणा, क्षेत्रपाल, बिरही चाड़ा, हाथी पहाड़ भी चुनौती बने हुए हैं। इस कारण लगभग 200 घंटे तक आवाजाही बाधित रही।

टिहरी

टिहरी गढ़वाल जिले के अंतर्गत दो राजमार्ग हैं। ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग पर दो भूस्खलन क्षेत्र बगड़धार और संयासू सक्रिय हैं। जबकि, ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग पर शिवपुरी और बछेलीखाल में रुक-रुक कर भूस्खलन हो रहा है। वर्षाकाल में अब तक चारों भूस्खलन क्षेत्र 10 से अधिक बार बंद हो चुके हैं। इस कारण लगभग 50 घंटे तक आवाजाही बाधित रही।

रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग जिले में 76 किमी लंबे गौरीकुंड (केदारनाथ) राष्ट्रीय राजमार्ग पर 13 भूस्खलन क्षेत्र भटवाड़ीसैंण, नैल, रामपुर, सिल्ली, चंद्रापुरी, बांसवाड़ा, काकड़ा गाड़, कुंड, सेमी, नारायणकोटी, देवीधार, फाटा, मुनकटिया सक्रिय हैं। इनमें कई भूस्खलन क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां वर्षा नहीं होने पर भी पहाड़ी से पत्थर गिरने लगते हैं।

जिले में बदरीनाथ राजमार्ग का भी 40 किमी हिस्सा पड़ता है। इस मार्ग पर सिरोबगड़, खांखरा, नरकोटा, जवाड़ी बाईपास, शिवानंदी में भूस्खलन क्षेत्र हैं। सिरोबगड़ समेत पूरे मार्ग पर कब और किस जगह पहाड़ी से पत्थर गिरने लगें, कहा नहीं जा सकता। दोनों राजमार्ग पर कोई नया भूस्खलन क्षेत्र विकसित नहीं हुआ है। वर्षाकाल में दोनों राजमार्ग अब तक 55 घंटे से अधिक बंद रहे हैं।

पौड़ी  जिले में इन दिनों नजीबाबाद-बुआखाल राजमार्ग ही कोटद्वार और दुगड्डा के बीच दो स्थानों पर भूस्खलन से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। चारधाम यात्रा रूट नहीं होने के कारण इस मार्ग पर यात्रियों के फंसने के कम ही मामले सामने आते हैं। इस वर्षाकाल में यह मार्ग 30 घंटे से अधिक अवरुद्ध रहा है।

इसके अलावा पौड़ी-श्रीनगर राजमार्ग पर मल्ली के समीप भूस्खलन क्षेत्र खतरा बना हुआ है। थलीसैंण- बूंगीधार, कर्णप्रयाग नौटी-पैठाणी, टिहरी हिंडोलाखाल-देवप्रयाग व्यासघाट बिलखेत और धुमाकोट-पीपली मोटर मार्ग पर भी एक-एक भूस्खलन क्षेत्र हैं। नया भूस्खलन क्षेत्र कोई भी नहीं बना है।

उत्तरकाशी  जिले में दो राजमार्ग हैं और दोनों पर नए भूस्खलन क्षेत्र नहीं उभरे हैं। लेकिन, धरासू से जानकीचट्टी तक 110 किमी लंबे यमुनोत्री राजमार्ग पर जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर धरासू बैंड और यमुनोत्री धाम से 32 किमी पहले डाबरकोट भूस्खलन क्षेत्र चुनौती बने हुए हैं। यहां मलबा आने से अक्सर मार्ग बंद हो रहा है। इस कारण अब तक डाबरकोट के पास करीब 15 घंटे और धरासू बैंड के पास करीब आठ घंटे राजमार्ग अवरुद्ध रहा।

यमुनोत्री धाम से 32 किमी पहले करीब 500 मीटर क्षेत्र में फैला डाबरकोट भूस्खलन क्षेत्र वर्ष 2017 से सक्रिय है। इसी तरह चिन्यालीसौड़ से गंगोत्री धाम तक 140 किमी लंबे गंगोत्री राजमार्ग पर सात भूस्खलन क्षेत्र हैं, लेकिन वर्षा बेहद कम होने से अभी कोई भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय नहीं हुआ।

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