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यहां हिमालयी चुनौतियों से जूझने का गुर सीख रहे हैं हिमवीर

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के हिमवीर हिमालयी चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं। इसके लिए वे रात दिन औली और निकटवर्ती गौरसों बुग्याल की ढलानों पर जमकर पसीना बहा रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 13 Jan 2019 06:11 PM (IST)
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यहां हिमालयी चुनौतियों से जूझने का गुर सीख रहे हैं हिमवीर
जोशीमठ, रणजीत रावत। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और हिम क्रीड़ा केंद्र औली में आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के हिमवीर हिमालयी चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं। इसके लिए वे रात-दिन औली और निकटवर्ती गौरसों बुग्याल की ढलानों पर जमकर पसीना बहा रहे हैं। साथ ही उन्हें माइनस 40 डिग्री तापमान पर अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने की बारीकियां सिखाई जा रही हैं। 

औली में भारतीय पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान की स्थापना वर्ष 1972 में की गई थी। तब से यहां आइटीबीपी के हिमवीरों को प्राकृतिक आपदा और हिमालयी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके लिए जहां उन्हें डेमो के माध्यम से बर्फ में युद्ध लड़ने का प्रशिक्षण दिया जाता है, वहीं स्कीइंग करते हुए बंदूक से गोलाबारी, बंकर में युद्ध लड़ने की कला और बर्फीला तूफान आने पर बचाव की बारीकियां भी सिखाई जाती हैं।

संस्थान के प्रधानाचार्य गंभीर सिंह चौहान ने बताया कि हिमवीरों को सीमा पर तैनाती के दौरान पर्वतीय युद्ध कौशल व रेस्क्यू के लिए हर समय तैयार रहना पड़ता है। इसके लिए संस्थान की ओर से उन्हें कमांडो की तरह प्रशिक्षित किया जाता है। इसमें उन्हें हिमाच्छादित सीमाओं की सुरक्षा, लंबी गश्त के दौरान बर्फीले तूफान में फंसने पर रेस्क्यू, रॉक क्लाइंबिंग, स्कीइंग, राफ्टिंग और अति कठिन जीवन जीने के गुर सिखाए जाते हैं। बताया कि इस बार अच्छी बर्फबारी प्रशिक्षण में काफी मददगार साबित हो रही है।

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