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Joshimath आपदा के छह माह: कुछ के आंसू पोंछे, आज भी रिस रहे कुछ जख्म; पढ़ें अब कैसा है जोशीमठ का हाल?

Joshimath जोशीमठ आपदा को छह माह का समय पूरा हो चुका है। सरकार की मदद से कुछ आपदा प्रभावितों का जीवन पटरी पर लौट आया है जबकि कुछ अभी राहत के इंतजार में हैं। प्रशासन के सर्वे में नगर में दरार वाले 868 भवन चिह्नित किए गए थे। यहां रहने वाले परिवारों में से 118 को पुनर्वास पैकेज के तहत 26 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं।

By Devendra rawatEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 07 Jul 2023 10:52 AM (IST)
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Joshimath: जोशीमठ आपदा को छह माह का समय पूरा हो चुका है।

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर: Joshimath: जोशीमठ आपदा को छह माह का समय पूरा हो चुका है। आपदा प्रभावितों को पुनर्वास के लिए तीन विकल्प देने के साथ भूधंसाव की तह तक जाने को शोध किया गया है। इस बीच सरकार की मदद से कुछ आपदा प्रभावितों का जीवन पटरी पर लौट आया है, जबकि कुछ अभी राहत के इंतजार में हैं।

कई आपदा प्रभावितों के दुख-दर्द से उबरने की उम्मीद कागजों में उलझी हुई है। ऐसे में वह राहत शिविर या रिश्तेदारों के घर रह रहे हैं। वहीं, मदद की बाट जोह रहे कुछ परिवार फिर से टूटे-फूटे घरों में रहने के लिए लौट आए हैं। विदित हो कि प्रशासन के सर्वे में नगर में दरार वाले 868 भवन चिह्नित किए गए थे। इनमें से 181 भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। यहां रहने वाले परिवारों में से 118 को पुनर्वास पैकेज के तहत 26 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं।

जब आपदा ने घेरा

  • जोशीमठ में भूधंसाव की समस्या वर्ष 1970 से बनी हुई है।
  • तब अलकनंदा नदी में आई बाढ़ से यहां काफी नुकसान हुआ था।
  • वर्ष 1976 में गठित महेश मिश्रा कमेटी ने जोशीमठ में भूधंसाव व घरों में दरार पड़ने का उल्लेख अपनी रिपोर्ट में किया। साथ ही शहर के ड्रेनेज प्लान को सुव्यवस्थित करने की संस्तुति की थी।
  • बीते वर्ष सरकार की ओर कराए गए सर्वे में भी यही बात सामने आई।
  • इससे पहले कि सुरक्षात्मक कदम उठाए जाते इस वर्ष दो जनवरी की रात नगर के कई मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गईं। जेपी कालोनी में पानी का रिसाव शुरू हो गया।
  • इसके बाद प्रशासन ने असुरक्षित भवनों को चिह्नित कर प्रभावित परिवारों को राहत शिविरों में भेजना शुरू किया।
  • वर्तमान में 64 परिवारों के 259 सदस्य राहत शिविरों में रह रहे हैं, जबकि 232 परिवारों के 736 सदस्य रिश्तेदार या किराये के भवन में हैं।

बरसात बढ़ा रही चिंता

बरसात ने आपदा प्रभावितों की चिंता बढ़ा दी है। वर्षा से भूमि व मकानों में आई दरारें चौड़ी होने और चट्टानों के खिसकने का खतरा बढ़ गया है। हाल ही में सुनील गांव और नृसिंह मंदिर के पास दो जर्जर भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं।

49 परिवारों को मिला किराया

असुरक्षित भवनों से 300 से अधिक परिवार राहत शिविरों में भेजे गए थे। इनमें से 232 परिवार रिश्तेदार या किराये के भवन में रहने चले गए। इनको सरकार से प्रतिमाह 5000 रुपये किराया चुकाने को मिलने थे, लेकिन अब तक 49 परिवारों को ही किराया मिला है। इससे कुछ प्रभावित परिवार फिर असुरक्षित घरों में लौट आए। किराया वितरण को लेकर तहसील प्रशासन कार्यवाही गतिमान होने की बात कह रहा है।

खाली पड़े प्री-फेब्रिकेटेड हट

आपदा प्रभावितों के पुनर्वास को प्रशासन ने जोशीमठ से 14 किमी दूर उद्यान विभाग की भूमि पर 15 प्री-फेब्रिकेटेड हट बनाए हैं। तीन महीने से ये हट खाली पड़े हैं। प्रभावितों का कहना है कि नगर से इतनी दूर जाकर खेती-बाड़ी और मवेशियों का ध्यान कैसे रख पाएंगे। बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा।

118 प्रभावित परिवारों को पुनर्वास पैकेज के तहत 26 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। मुआवजा प्राप्त करने के बाद फिर से क्षतिग्रस्त घर में लौटने पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, जांच में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।

-कुमकुम जोशी, उप जिलाधिकारी, जोशीमठ

आपदा प्रभावितों को मुआवजा बांटा जा रहा है। राहत शिविरों में भी प्रभावितों को सुरक्षित रखा गया है। मानसून में किसी भी तरह की दिक्कत से निपटने के लिए आपदा कंट्रोल रूम शुरू कर दिया गया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ भी तैनात है।

-नंद किशोरी जोशी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी, चमोली

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