Move to Jagran APP

Joshimath: संकटग्रस्त परिवारों की सुरक्षा को युद्ध स्‍तर पर काम, इन स्‍थानों पर किया जा सकता है स्थानांतरित

Joshimath संकटग्रस्त परिवारों की सुरक्षा के लिए तेजी से काम कर रही है। पुनर्वास के लिए सरकार ने गौचर पीपलकोटी और कोटी कालोनी समेत कुछ अन्य स्थान चयनित किए हैं। परिवारों को तत्काल स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 09 Jan 2023 09:18 AM (IST)
Hero Image
Joshimath: संकटग्रस्त परिवारों की सुरक्षा के लिए युद्ध स्‍तर पर काम

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: Joshimath: जोशीमठ में भूधंसाव से प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित करने के बाद सरकार यहां निवास कर रहे संकटग्रस्त परिवारों की सुरक्षा के लिए तेजी से काम कर रही है।

इन परिवारों को तत्काल स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई है। पुनर्वास के लिए सरकार ने गौचर, पीपलकोटी और कोटी कालोनी समेत कुछ अन्य स्थान चयनित किए हैं। गौचर और पीपलकोटी चमोली जिले में ही स्थित हैं, जबकि कोटीकालोनी टिहरी जिले में है।

गौचर:

  • समुद्रतल से करीब 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौचर वैसे तो चमोली जिले के भीतर कर्णप्रयाग तहसील में स्थित एक हिल स्टेशन है, मगर इसकी भौगोलिक संरचना काफी हद तक मैदानी है।
  • यह उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सबसे बड़ा मैदानी क्षेत्र है, जहां करीब 15000 की आबादी निवासी करती है।
  • जोशीमठ से करीब 88 किमी पहले अलकनंदा नदी के बायें किनारे पर स्थित है और बदरीनाथ हाइवे से जुड़ा हुआ है।
  • गौचर और इसके आसपास राजस्व की काफी जमीन खाली पड़ी है। इसी भूमि पर प्रभावित परिवारों को स्थानांतरित करने की योजना पर शासन काम कर रहा है।

यह भी पढ़ें: Joshimath: वर्ष 1970 से शुरू हुआ था तबाही का सिलसिला, अलकनंदा में आई भीषण बाढ़ के बाद दिखीं थी घरों पर दरार

पीपलकोटी:

  • अलकनंदा नदी के किनारे बसे पीपलकोटी की जोशीमठ से दूरी करीब 36 किमी, जबकि चमोली से दूरी करीब 17 किमी है।
  • समुद्रतल से 1260 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग-7 को जोड़ता है।
  • यहीं से होकर श्रद्धालु बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब जाते हैं।
  • पांच हजार की आबादी वाले पीपलकोटी और इसके आसपास स्थित राजस्व की भूमि पर प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

कोटी कालोनी:

  • टिहरी जिले में स्थित कोटी कालोनी टिहरी बांध से करीब 20 किमी की दूरी पर स्थित है।
  • यह स्थान निकट भविष्य में उत्तराखंड में साहसिक खेलों और जल क्रीड़ाओं का प्रमुख केंद्र होगा।
  • जोशीमठ में भूधंसाव के चलते संकटग्रस्त परिवारों को स्थानांतरित करने के लिए यहां भी राजस्व की भूमि पर पुनर्वास की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
  • हालात अनुकूल होने पर प्रभावित परिवारों को यहां बसाया जा सकता है।

जोशीमठ से बड़े ढांचे हटाए जाएं, वहन क्षमता का हो आकलन

जोशीमठ में भूधंसाव की कई स्थिति सामने आ चुकी है और अब सरकारी मशीनरी से लेकर विशेषज्ञ बचाव व समाधान की बात कर रहे हैं। इस क्रम में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकास्ट) के पूर्व महानिदेशक डा. राजेंद्र डोभाल ने विभिन्न सुझाव साझा किए।

यह भी पढ़ें: Joshimath Sinking: विज्ञानियों की टीम के हाथ लगी चौंकाने वाली वजह, कहा- बदल सकता है पूरे क्षेत्र का नक्शा

जागरण से बातचीत में डा. डोभाल ने कहा कि जोशीमठ के नीचे पहाड़ नहीं है और यहां की जमीन अपेक्षाकृत कमजोर है। लिहाजा, इस पूरे क्षेत्र में सालों से चल रहे बड़े-बड़े निर्माण ने जोशीमठ पर क्षमता से अधिक भार लाद दिया है।

सरकार को सबसे पहले बड़े निर्माण जैसे बहुमंजिला होटल आदि को तत्काल हटाना चाहिए। जिन बड़े भवनों में दरार दिख रही हैं, उन्हें सबसे पहले गिराना चाहिए। इसके अलावा अधिक दरार वाले छोटे भवन भी गिराए जाने चाहिए।

45 डिग्री से अधिक ढाल वाले सभी नगरों में हो नियमित सर्वे

यूकास्ट के पूर्व महानिदेशक डा. डोभाल के अनुसार, 45 डिग्री से अधिक ढाल वाले नगरों में नियमित रूप से जियोलाजिकल, जियोहाइड्रोलाजिकल व जियोटेक्निकल अध्ययन कराए जाएं।

इससे संबंधित भूभाग की क्षमता का आकलन होगा। प्रदेश में ऐसे नगरों की संख्या करीब 56 है। जब ऐसे नगरों की वहनीय क्षमता (कैरिंग कैपिसिटी) का पता चलेगा तो वहां निर्माण की प्रकृति भी तय की जा सकेगी।

हर पानी के होते हैं अपने आइसोटोप सिग्नेचर

डा. राजेंद्र डोभाल के अनुसार, वर्तमान में यह बहस छिड़ी है कि तपोवन-विष्णुगाड़ के पावर हाउस को जोड़ने के लिए बनाई जा रही टनल के पानी से भूधंसाव हो रहा है।

इसकी पुष्टि के लिए जोशीमठ में जेपी कालोनी व इसके आसपास के जलस्रोतों के आइसोटोप सिग्नेचर मैच कराए जाने चाहिए। ताकि स्पष्ट हो सके कि रिसाव का असली कारण टनल है या कुछ और बात है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।