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Joshimath: राहत शिविरों में कम पड़ रही सुविधाएं, कहीं एक ही कमरे में रह रहे कई परिवार तो कहीं शो पीस बने हीटर

Joshimath वर्षा व बर्फबारी के चलते ठंड बढ़ने से राहत शिविरों में व्यवस्थाएं कम पड़ने लगी हैं। प्रभावितों को ठंड से बचने के लिए प्रशासन की ओर से हीटर तो उपलब्ध कराए गए हैं लेकिन कमरों में पावर प्वाइंट न होने के कारण इनका भी उपयोग नहीं हो पा रहा।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sun, 22 Jan 2023 09:34 AM (IST)
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Joshimath: वर्षा व बर्फबारी के चलते ठंड बढ़ने से राहत शिविरों में व्यवस्थाएं कम पड़ने लगी हैं।
संवाद सूत्र, जोशीमठ(चमोली): Joshimath: वर्षा व बर्फबारी के चलते ठंड बढ़ने से राहत शिविरों में व्यवस्थाएं कम पड़ने लगी हैं। इससे वहां रह रहे परिवारों की मुश्किलें बढ़ना लाजिमी है। कुछ शिविर में तो एक ही कमरे में कई-कई परिवार रह रहे हैं। यही नहीं, बिस्तरों की भी कमी बनी हुई है।

प्रभावितों को ठंड से बचने के लिए प्रशासन की ओर से हीटर तो उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन कमरों में पावर प्वाइंट न होने के कारण इनका भी उपयोग नहीं हो पा रहा। सबसे बड़ा संकट शौचालय का है। कई शिविरों में तो सिर्फ एक ही शौचालय है। ऐसे में प्रभावितों की परेशानी समझी जा सकती है।

संस्कृत महाविद्यालय को राहत शिविर बनाया, जिसके भवन में भी दरारें

प्रशासन ने शहर में स्थित संस्कृत महाविद्यालय को राहत शिविर बनाया है, जिसके भवन में दरारें आ चुकी हैं। इस शिविर के 14 कमरों में 26 परिवारों के 89 सदस्य रह रहे हैं। यहां न तो पर्याप्त संख्या में बिस्तर मौजूद हैं, न हीटर लगाने के लिए पावर प्वाइंट है।

यहां तक कि मोबाइल चार्ज करने के लिए भी प्रभावितों को नंबर लगाना पड़ रहा है। इस शिविर में रह रहे सिंहधार निवासी रोशन सिंह रावत बताते हैं कि प्रभावितों को बिस्तर के नाम पर सिर्फ कंबल उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसे में उन्हें बिस्तर की व्यवस्था स्वयं करनी पड़ रही है। ठंड लगने से दस बच्चे व कई बुजुर्ग सर्दी-जुकाम की चपेट में हैं।

सिंहधार निवासी देवेश्वरी देवी का कहना है किसी भी कक्ष में हीटर लगाने के लिए पावर प्वाइंट नहीं है, लिहाजा हीटर शो-पीस बने हुए हैं। ठंड बढ़ने के कारण सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों व बुजुर्गों को हो रही है। शिविर में गर्म पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

ठंड से चार प्रभावितों का स्वास्थ्य भी बिगड़ गया

सिंहधार स्थित प्राथमिक विद्यालय में बने राहत शिविर का भी यही हाल है। यहां दो कक्ष में छह परिवार रखे गए हैं। इनके लिए विद्यालय में सिर्फ एक शौचालय है। पर्याप्त बिस्तर न होने के कारण शिविर में रह रहे परिवार अलाव या अंगीठी के सहारे रात गुजार रहे हैं।

ठंड लगने से चार प्रभावितों का तो स्वास्थ्य भी बिगड़ गया। इसी शिविर में रह रहे सिद्धी लाल कहते हैं कि होटलों में बने राहत शिविरों में तो सभी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन विद्यालयों में बने शिविर में रह रहे परिवारों की सुध नहीं ली जा रही।

‘आपदा प्रभावित क्षेत्र में 42 राहत शिविर बनाए गए हैं। इनमें 269 परिवारों के 921 सदस्य रह रहे हैं। शिविरों में पर्याप्त भोजन, बिस्तर व हीटर की व्यवस्था है। प्रत्येक शिविर के लिए प्रभारी अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो लगातार व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं।’

- हिमांशु खुराना, जिलाधिकारी, चमोली

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