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अब अपने वतन लौट सकेंगे नेपाली मजदूर

चमोली जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मजदूरी करने आए नेपाली मजदूरों को बनवसा तक जाने की अनुमति मिल गई है। बुधवार को नेपाल सरकार ने सीमा खोल दी है।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 27 May 2020 04:49 PM (IST)
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अब अपने वतन लौट सकेंगे नेपाली मजदूर

संवाद सूत्र, पोखरी: चमोली जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मजदूरी करने आए नेपाली मजदूरों को बनवसा तक जाने की अनुमति मिल गई है। बुधवार को नेपाल सरकार ने सीमा खोल दी है। इसके बाद अब यहां से नेपाली मजदूरों को वापस जाने की अनुमति दे दी गई है। इसके लिए जिला प्रशासन से पास जारी किए जा रहे हैं।

अपर जिलाधिकारी चमोली मोहन सिंह बर्निया ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले नेपाल ने अपनी सीमाएं सील कर रखी थी। जिसमें पिथौरागढ़ व चंपावत के जिलाधिकारियों ने किसी भी नेपाली मजदूरों को नेपाल जाने के लिए अनुमति न देने का पत्र जारी किया था। पहले उन्होंने 1500 नेपालियों को नेपाल जाने के पास दिए थे। नेपाल सरकार ने सीमा सील करने पर उन्हें बॉर्डर पर रोक दिया था, जिस वजह उनको अनुमति नहीं दी जा रही थी। लेकिन, बुधवार को नेपाल सरकार ने सीमा खोल दी है। अब नेपालियों को जाने की अनुमति जारी की जा रही है। उन्होंने नेपाली मजदूरों को अपने-अपने क्षेत्र के एसडीएम कार्यालय से अनुमति प्रमाण पत्र प्राप्त करने को कहा है।

बनवसा बॉर्डर तक जाने की मांग

श्रीनगर गढ़वाल : श्रीनगर गढ़वाल में करीब 150 नेपाली श्रमिकों ने नेपाल जाने की मांग की है। श्रमिकों का कहना है कि उन्हें बनवसा सीमा तक ही जाने दिया जाए। बुधवार को प्रदीप सिंह, कृष्ण कुमार के नेतृत्व में नेपाली श्रमिक श्रीनगर कोतवाली पहुंचे, जहां उन्होंने नेपाल भिजवाने की गुहार लगाई। जिस पर कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने उन्हें नेपाल भेजने का आश्वासन देकर शांत किया। कहा कि अभी तक नेपाल सरकार ने ही सीमा पर रोक लगाई थी। यदि भोजन की कोई समस्या है तो सभी लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद कुछ लोग पास लेने के प्रयास में तहसील कार्यालय भी पहुंचे। जहां उन्हें बताया गया कि नेपाल जाने के लिए पास फिलहाल नहीं दिए जा रहे हैं।

घर जाने को दर-दर भटक रहे नेपाली श्रमिक

कोटद्वार: नेपाली श्रमिक घर जाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। हालत यह है कि हर रोज सैकड़ों नेपाली श्रमिक अपने परिवार के साथ घर जाने की उम्मीद लिए पहाड़ी क्षेत्रों से पैदल चलकर कोटद्वार पहुंच रहे हैं। प्रशासन की ओर से सभी श्रमिकों को तहसील में निर्माणाधीन बार एसोसिएशन भवन में रुकवाया गया है। नेपाली श्रमिक रामविलास, रघुराज ने बताया कि उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में मजदूरी करते हुए 20 साल से अधिक का समय हो चुका, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी। दो माह से वह बचत के पैसों से अपना गुजारा कर रहे थे, लेकिन अब सिर्फ घर जाने तक का ही किराया जेब में बचा हुआ है। काम-काज नहीं मिलने से घर जाना उनकी मजबूरी है। एसडीएम योगेश मेहरा के अनुसार शासन की गाइडलाइन के अनुसार ही नेपाली श्रमिकों को उनके घर तक भेजने की व्यवस्था की जाएगी। श्रमिकों के रहने व खाने की व्यवस्था प्रशासन की ओर से की गई है।

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