बदरीनाथ धाम में ऑनलाइन हो रही पूजाओं की बुकिंग, अब तक हो चुकी 10 लाख रुपये की बुकिंग
बावजूद इसके बदरीनाथ धाम में पूजाओं की ऑनलाइन बुकिंग श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की वेबसाइट पर ही हो रही है। अब तक लगभग 10 लाख रुपये की बुकिंग हो चुकी है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 28 Apr 2020 01:47 PM (IST)
गोपेश्वर, जेएनएन। चारों धाम में यात्रा व्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आ चुका है। बावजूद इसके बदरीनाथ धाम में पूजाओं की ऑनलाइन बुकिंग श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की वेबसाइट पर ही हो रही है। हालांकि, देश में कोरोना महामारी के चलते बहुत कम श्रद्धालु ही पूजाओं के लिए ऑनलाइन बुकिंग करा रहे हैं। फिर भी अब तक लगभग 10 लाख रुपये की बुकिंग हो चुकी है। धाम के कपाट आगामी 15 मई को खोले जाने हैं।
इस वर्ष चारों धाम में समस्त यात्रा व्यवस्थाएं देवस्थानम बोर्ड के तहत संचालित होनी थी। लेकिन, कोरोना महामारी के चलते अभी तक ऐसा संभव नहीं हो पाया है और अस्तित्व में न होने पर भी मंदिर समिति के नियमों के तहत ही कार्य हो रहा है। यहां तक कि पूजाओं की ऑनलाइन बुकिंग भी मंदिर समिति की वेबसाइट badrinath-kedarnath.gov.in पर ही हो रही है।
बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि पूजा-आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले श्रद्धालु की विधिवत रसीद कटती है। इसके बाद पूजा के दौरान धर्माधिकारी व वेद-पाठी श्रद्धालु के गोत्र व परिवार के नाम से पूजा में संकल्प दिलाते हैं। मंदिर समिति के निवर्तमान मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ बताते हैं कि लॉकडाउन खुलने पर यदि यात्रा शुरू करने के बारे में फैसला हो जाता है तो पूजाओं के लिए ऑनलाइन बुकिंग बढ़ने की उम्मीद है।
बदरीशपुरी की सुंदरता निखार रही झीलबदरीश पुरी में नर पर्वत की तलहटी में स्थित शेष नेत्र झील इन दिनों बर्फ के साफ पानी से लबालब है। मान्यता है इसी स्थान पर शेषनाग भगवान नारायण के भक्त के रूप में विराजमान हैं और उन्हीं के भक्ति रूपी अश्रुओं से इस झील का निर्माण हुआ। इसलिए कपाट खुलने के बाद श्रद्धालु यहां पर आचमन का पुण्य अर्जित करते हैं।
स्कंद पुराण के केदारखंड में उल्लेख है कि भगवान नारायण की तपस्थली बदरीनाथ में शेषनाग ने तप भी तप किया था। माना जाता है कि शेषनाग यहां दो रूपों में विराजमान हैं। एक रूप ठीक मंदिर के पीछे के पर्वत पर दिखता है। इस पर्वत को बदरीनाथ मंदिर का सुरक्षा प्रहरी माना गया है।यह भी पढ़ें: केदारनाथ यात्रा पर भी कोरोना का साया, सितंबर से पटरी में आने की उम्मीद
श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि बदरीनाथ में भारी बर्फबारी के बाद जब हिमखंड टूटते हैं तो यह शेषनाग रूपी यह पहाड़ मंदिर व उसके आसपास कभी भी हिमखंडों को नहीं गिरने देता। बताते हैं कि नर पर्वत के तलहटी में भी शेषनाग नेत्र रूप में विद्यमान हैं। इन्हीं नेत्रों से बहने वाली अश्रुगंगा का जल एकत्रित होकर शेष नेत्र झील का निर्माण करता है। शेष नेत्र झील के पास एक शिला पर भगवान शेषनाग की दो खुली आंखें दिखती हैं। शास्त्रीय मान्यता है कि शिला पर विद्यमान नेत्र निरंतर भगवान नारायण की ओर टकटकी लगाए रहते हैं। श्रद्धालु इस झील के जल से आचमन कर भगवान शेषनाग की स्तुति करते हैं।
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