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पहाड़ पर 'पहाड़' जैसी दुश्वारियां: दर्द से कराहती गर्भवती महिला को 7 KM पालकी पर बैठाकर लाना पड़ा सड़क तक

उत्तराखंड के गोपेश्वर में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर 7 किलोमीटर दूर तक कुर्सी की पालकी पर ले जाया गया। प्राणमति गांव से सितेल मोटर मार्ग तक की यह यात्रा क्षतिग्रस्त पैदल रास्तों से होकर गुजरी जिससे महिला और उसके साथ चलने वालों की जान जोखिम में पड़ गई। इस घटना ने क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे की कमी को उजागर किया है।

By Devendra rawat Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 08 Oct 2024 07:41 PM (IST)
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नंदानगर विकासखंड के प्राणमति गांव से कुर्सी की पालकी बनाकर गर्भवती महिला को चिकित्सालय तक लाते ग्रामीण । जागरण

संवाद सहयोगी, जागरण, गोपेश्वर। नंदानगर विकासखंड के दूरस्थ प्राणमति गांव से सात किमी की पैदल दूरी तय कर गर्भवती को कुर्सी की पालकी बनाकर सितेल मोटर मार्ग तक पहुंचाया गया। यहां से निजी वाहन से सामुदायिक स्वास्थ केंद्र नंदानगर लाया गया।

गांव के सामाजिक कार्यकर्ता लखपत सिंह ने बताया कि प्राणमति गांव की कौशल्य देवी पत्नी अनुज कुमार को मंगलवार तड़के प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी। इसके बाद ग्रामीण कुर्सी की पालकी बनाकर गर्भवती महिला को क्षतिग्रस्त पैदल रास्तों से जान जोखिम में डालकर गांव से पैदल सात किमी की दूरी तय कर सितेल गांव लाए।

यहां से निजी वाहन से गर्भवती को नंदानगर चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। लोगों का कहना है कि आए दिन गांव के ग्रामीणों के लिए बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को कुर्सी की पालकी बनाकर सड़क मार्ग तक लाना चुनौती बना हुआ है।

सड़क की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन को मौखिक व लिखित रूप से अवगत कराया, लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि एक दशक से सिर्फ गांव में सर्वें किए जाने का ही आश्वासन ग्रामीणों को दिया जा रहा है।

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