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Uttarakhand: अनुसूचित जाति के युवक ने ढोल नहीं बजाया तो पूरे समाज का बहिष्कार, न पानी पीने दे रहे न दुकानों से लेने दिया सामान

Scheduled Caste Society Boycotted अनुसूचित जाति के युवक ने धार्मिक कार्यक्रम में रातभर ढोल नहीं बजाया तो कुछ ग्रामीणों ने पंचायत कर उस पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगा दिया। गांव में पंचायत बुलाई गई और अनुसूचित जाति के सभी लोगों का पूर्ण बहिष्कार कर दिया गया। पीड़ित पक्ष ने यह शिकायत जोशीमठ कोतवाली में की है जिसके बाद 28 ग्रामीणों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है।

By Devendra rawat Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 18 Jul 2024 08:17 AM (IST)
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Scheduled Caste Society Boycotted: वाहनों से आवाजाही नहीं करने की दी चेतावनी, जातिसूचक गालियां देने का भी आरोप

संवाद सहयोगी, जागरण, गोपेश्वर। Scheduled Caste Society Boycotted: अनुसूचित जाति के युवक ने धार्मिक कार्यक्रम में रातभर ढोल नहीं बजाया तो कुछ ग्रामीणों ने पंचायत कर उस पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगा दिया।

पीड़ित ने जुर्माना भर दिया, बावजूद इसके गांव में रह रहे अनुसूचित जाति के सभी परिवारों का बहिष्कार कर दिया गया। इतना ही नहीं, उन्हें गांव में किसी भी तरह की सुविधा लेने से वंचित कर दिया गया। पीड़ित पक्ष ने यह शिकायत जोशीमठ कोतवाली में की है, जिसके बाद 28 ग्रामीणों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है।

बैसाखी पर मेले का आयोजन किया गया था

घटना सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ विकासखंड में स्थित सुभाई-चांचड़ी गांव की है। जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 70 किमी दूर स्थित गांव में इसी वर्ष अप्रैल में बैसाखी पर मेले का आयोजन किया गया था। इस दौरान गांव के मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम भी हुआ, जिसमें अनुसूचित जाति के ढोल वादक पुष्कर लाल को ढोल बजाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

15 जुलाई को पुलिस को दी गई तहरीर में बताया गया है कि स्वास्थ्य खराब होने के कारण पुष्कर दो घंटे ही ढोल बजा पाए, जबकि मंदिर समिति और ग्रामीण चाहते थे कि वह रातभर ढोल बजाएं। आरोप है कि इससे नाराज गांव के सवर्णों ने पंचायत बुलाकर पुष्कर पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगा दिया। पुष्कर ने तीन मई को जुर्माने की रकम जमा कर दी।

अनुसूचित जाति के सभी लोगों का पूर्ण बहिष्कार

आरोप है कि इसके बाद 14 जुलाई को गांव में फिर पंचायत बुलाई गई और अनुसूचित जाति के सभी लोगों का पूर्ण बहिष्कार कर दिया गया। अब उन्हें गांव के प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी नहीं लेने दिया जा रहा।

दुकानों में सामान नहीं दिया जाता। वाहनों से आवाजाही नहीं करने देने की भी चेतावनी दी गई है। यह भी आरोप है कि उन्हें गांव छोड़ने के लिए विवश किया जा रहा है और जातिसूचक गालियां दी जा रही हैं। पीड़ित पक्ष ने इसकी शिकायत उप जिलाधिकारी जोशीमठ से भी की है।

पुलिस उपाधीक्षक प्रमोद शाह मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि तहरीर के आधार पर गांव के 28 लोगों के विरुद्ध एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है। बुधवार को पुलिस उपाधीक्षक ने उप जिलाधिकारी जोशीमठ चंद्रशेखर वशिष्ठ के साथ गांव जाकर पीड़ित पक्ष के बयान दर्ज किए हैं।