Shardiya Navratri 2022: चमोली में स्थित है मां नंदा देवी का मंदिर, यहां 12 साल में होता राज जात का आयोजन
Shardiya Navratri 2022 उत्तराखंड के चमोली के नंदानगर घाट ब्लाक के कुरूड़ गांव में मां नंदा देवी का मंदिर है। नंदा देवी की प्रत्येक वर्ष यहां से श्रद्धालु लोक जात यात्रा का आयोजन कर कैलाश जाते हैं। वहीं 12 साल में राज जात होती है।
By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiUpdated: Sat, 01 Oct 2022 07:06 PM (IST)
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर (चमोली)। Shardiya Navratri 2022: चमोली जिले के ब्लाक नंदानगर घाट के कुरूड़ गांव में सिद्धपीठ मां नंदा देवी मंदिर है। केदारखंड सहित अन्य धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि हिमालय की आराध्य देवी मां नंदा का मायका यहां है।
यह है मंदिर का इतिहास
- धार्मिक मान्यता के अनुसार कुरूड़ में जिस जगह पर मंदिर है वहां पर भैंसा व मेंडे की लड़ाई हो रही थी।
- इसी दौरान मवेशियों के खुर से मिट्टी हटने के बाद स्यभू शिला मूर्ति प्रकट हुई। मां नंदा देवी को हिमालय की आराध्य देवी व भोलेनाथ की पत्नी के रूप में पूजित किया जाता है।
- नंदा देवी की प्रत्येक वर्ष यहां से श्रद्धालु लोक जात यात्रा का आयोजन कर कैलाश जाते हैं। जहां पूजा अर्चना कर मां नंदा को ससुराल के लिए विदा करते हैं।
- यह पैदल यात्रा 14 दिन के पड़ावों में 100 से अधिक गांवों से होकर गुजरती है। यात्रा के दौरान यहां के लोग मां नंदा को बेटी के रूप में विदा करते हैं।
- मां नंदा देवी की 12 सालों राज जात का भी आयोजन होता है। यह एशिया की सबसे बड़ी दुर्गम हिमालय में होनी वाली पैदल धार्मिक यात्रा मानी जाती है।
यह है धार्मिक महत्व
- मां नंदा देवी सिद्धपीठों में शामिल है। नवरात्रों में यहां पर विशेष पूजा अनुष्ठान होता है।
- कुरूड़ मंदिर का वर्णन केदारखंड, शिव पुराण सहित अन्य ग्रंथों में मिलता है।
- मां नंदा देवी को राजराजेश्वरी के रूप में भी पूजित किया जाता है।
यह भी पढ़ें:- Shardiya Navratri 2022: भक्तों की मनोकामना पूरी करती है मां वैष्णो देवी, वर्ष भर खुला रहता है मंदिर
मां नंदा देवी की पूजा अर्चना वर्ष भर होती है। यहां देश विदेश से भक्तों की आवाजाही रहती है। नवरात्रों में मां के भक्तों की पूजा अर्चना के लिए यहां भीड़ रहती है। भक्तों की मनोकामना मां नंदा हमेशा पूरी करती है।
-मुंशी चंद्र गौड, पुजारी मां नंदा देवी मंदिर कुरूड़मां नंदा देवी को यहां पर अपनी ध्याण यानी बेटी के रूप में पूजा जाता है। नंदा के प्रति आस्था है कि यहां के लोग आज भी नंदा को प्रत्येक वर्ष कैलाश विदा करने के लिए जाते हैं। नंदा देवी मंदिर सिद्धपीठों में शामिल हैं। नवरात्रों में यहां पर पूजा का विशेष महत्व है।
-वीरेंद्र थोकदार, मां नंदा देवी मंदिर समिति कुरूड़यह भी पढ़ें:- Shardiya Navratri: 51 शक्तिपीठों में से एक है हरिद्वार का माया देवी मंदिर, पूजा से पूर्ण होती सभी मनोकामनाएं
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।