इस आइएएस दंपती ने अपने बेटे का आंगनबाड़ी केंद्र में कराया दाखिला
चमोली की डीएम स्वाति एस भदौरिया ने गोपेश्वर गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में अपने बच्चे का दाखिला कराया है। वह अन्य बच्चों के साथ क, ख, ग, घ के साथ ए, बी, सी, डी सीख रहा है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 01 Nov 2018 05:15 PM (IST)
गोपेश्वर, चमोली [जेएनएन]: जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया के दो वर्षीय बेटे अभ्युदय गोपेश्वर गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में दाखिला लेकर इन दिनों क, ख, ग, घ के साथ ए, बी, सी, डी सीख रहा है। इस दौरान आम बच्चों के साथ उसकी दिनचर्या से मां-बाप खासे उत्साहित हैं। उन्हें इस बात की खुश है कि घर के बंगले के अंदर की हलचल से हटकर आम बच्चों के साथ रहकर बच्चा खुश है। आइएएस दंपती की मंशा है कि आंगनबाड़ी केंद्र में आम बच्चों के साथ रहकर बच्चा सोशल, मेंटल, फिजिकल ग्रोथ करेगा तथा आम बच्चों के बीच रहकर बच्चे का विकास होगा।
सभी को साथ में रहकर पढ़ाई करनी चाहिए: डीएम चमोलीचमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने गोपेश्वर गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे का दाखिला कराया है। आम बच्चों के बीच खास के बच्चे कम ही दिखते हैं। जिलाधिकारी का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में खाना, नाश्ता, वजन, चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था है। यहां पर टेक होम के जरिये आसपास के बच्चों को भी राशन दी जाती है। बच्चे में सोशल विकास के लिए आम हो या खास सभी को साथ में रहकर पढ़ाई करनी चाहिए। सरकारी व्यवस्थाओं का लाभ भी लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदी व अंग्रेजी दोनों ही माध्यम से आंगनबाड़ी में बच्चों को ज्ञान दिया जाता है। खिलौने भी उपलब्ध हैं।
डीएम पिता बोले, आंगनबाड़ी केंद्र में मिल रहा बेहतर माहौल
ऐसे में खुद व उनके पति जिलाधिकारी अल्मोड़ा नितिन भदौरिया ने संयुक्त निर्णय लेकर बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्र में रखा है। जिलाधिकारी ने कहा कि दिनभर अन्य बच्चों के साथ बेटा भी आंगनबाड़ी की दिनचर्या से खुश था। उसने आंगनबाड़ी केंद्र में बनने वाला खाना भी खाया तथा अपने टिफिन को भी सहपाठियों में बांटा। नितिन भदौरिया ने कहा कि हमने यह निर्णय एक अभिभावक के रूप में लिया है। हर अभिभावक यह चाहता है कि अपने बच्चों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करा सकें। आंगनबाड़ी केंद्र को देखकर यह लगा कि यहां पर बच्चों के लिए बहुत अच्छा वातावरण है। ईश्वर ने सबको बराबर बनाया है। शुरू से ही बच्चा आम बच्चों के साथ ही खेलता था। आंगनबाड़ी केंद्र में उसे बेहतर माहौल मिल रहा है। घर पर अकेला रहेगा तो कई चीजें नहीं सीख पाएगा। घर से बाहर निकलकर ग्रुप में रहकर बच्चे का विकास भी होगा। आंगनबाड़ी में बेहतर व्यवस्थाएं हैं। इसके लिए वे अभिभावक के रूप में बाल कल्याण विभाग की प्रमुख राधा रतूड़ी का धन्यवाद देते हैं।
एक दिन में ही यह बच्चा सबसे घुल-मिल गयागोपेश्वर आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकत्री माधुरी किमोठी का कहना है कि इस आंगनबाड़ी केंद्र में टेक होम राशन वाले 23 बच्चों को खाद्यान्न वितरित किया जाता है, जबकि जिलाधिकारी के बेटे सहित 11 बच्चे स्कूल में आते हैं। सुबह गुड़, चना नाश्ते में व दोपहर में छोले, परांठे दिए गए। आंगनबाड़ी कार्यकत्री का कहना है कि अभ्युदय ने अपने साथ लाए गए मखने व आलू के गुटखे को सहपाठियों सहित शिक्षिकाओं को भी खिलाया। उन्होंने कहा कि एक दिन में ही यह बच्चा ऐसे घुल-मिल गया कि बच्चों के अलावा शिक्षिकाओं को भी खुद जाकर अपने टिफिन को बांटता है।
जिलाधिकारी का यह प्रयास सराहनीय हैराजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी का कहना है कि जिलाधिकारी का यह प्रयास सराहनीय है। सभी को सरकारी शिक्षा का लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा के नाम पर खुले व्यावसायिक केंद्रों को बंद कर सरकारी विद्यालयों में संसाधन जुटाकर शिक्षा अनिवार्य करनी चाहिए। राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप भंडारी राजकीय इंटर कालेज केदारूखाल में तैनात हैं। उनका कहना है कि शिक्षकों के साथ सभी लोग अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में रखेंगे तो इससे बेहतर शिक्षा का माहौल बनेगा।
आइएएस, जो बदलना चाहते हैं शिक्षा की तस्वीर
सरकारी शिक्षण संस्थाओं के प्रति लोगों के टूटते भरोसे को पुनस्र्थापित करने के लिए नए आइएएस अधिकारी न सिर्फ अनूठी पहल कर रहे हैं, बल्कि स्वयं भी इस पहल का हिस्सा बन रहे हैं। इसकी शुरुआत की रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल व उनकी पत्नी उषा घिल्डियाल ने। आम जनता के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध रहने वाले मंगेश ने जिले की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को अपना मुख्य ध्येय बनाया है। वह सरकारी स्कूलों में छात्रों से रू-ब-रू होकर न केवल उनकी समस्याएं सुनते हैं, बल्कि होनहार छात्रों की लिस्ट भी तैयार करते हैं। इसके अलावा वह इंटर कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को मेडिकल, इंजीनियरिंग व सिविल सेवा की निश्शुल्क तैयारी भी करा रहे हैं। इस कार्य में मंगेश का हाथ बंटा रही हैं उनकी पत्नी उषा घिल्डियाल। वह स्वयं राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में नियमित रूप से छात्राओं को विज्ञान विषय पढ़ाती हैं।
बेहतर शिक्षा के लिए धड़कता है आशीष का दिलपांच दिसंबर 2016 से तीन अक्टूबर 2017 तक उत्तरकाशी के जिलाधिकारी रहे डॉ. आशीष श्रीवास्तव का दिल बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए धड़कता है। जब तक वे उत्तरकाशी में डीएम रहे, सप्ताह में एक दिन अनिवार्य रूप से राजकीय इंटर कॉलेज में 12वीं के छात्रों को जीव विज्ञान विषय पढ़ाते थे। साथ ही विषय पाठ का भी टेस्ट लेते थे। डॉ. श्रीवास्तव कहते हैं, किसी भी समाज की बेहतरी में क्वालिटी एजुकेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान में डॉ. श्रीवास्तव देहरादून में मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष हैं।
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