Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

बागेश्‍वर धाम बाबा की बातों का तीन लड़कियों पर पड़ा ऐसा प्रभाव, 70 दिनों तक नंगे पैर पैदल चल पहुंचीं उत्तराखंड के चारधाम

Chardham Yatra 2024 तीन युवतियों ने उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा नंगे पैर करने का प्रण लिया और 70 दिनों में अपना संकल्प पूरा भी किया। इस दौरान उन्हें उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा के दौरान जो प्यार सम्मान मिला उससे वह अभिभूत हैं। कहना है कि यात्रा के दौरान महिला सशक्तिकरण धर्म अनुरुप आचरण के साथ सनातन धर्म के प्रति जागरुकता के लिए संदेश दिया।

By Devendra rawat Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 01 Sep 2024 12:00 AM (IST)
Hero Image
Chardham Yatra 2024: बदरीनाथ धाम में खाक चौक आश्रम में बाबा बालक योगेश्वर दास के साथ युवतियां। जागरण

संवाद सहयोगी,जागरण, गोपेश्वर। Chardham Yatra 2024: अमूमन पढ़ लिखकर हर कोई रोजगार या नौकरी के प्रयासों में जुट जाता है। यही हर युवा का सपना भी होता है। लेकिन तीन युवतियों ने स्नातक करने के बाद उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा नंगे पैर करने का प्रण लिया और 70 दिनों में अपना संकल्प पूरा भी किया।

इस दौरान उन्हें उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा के दौरान जो प्यार और सम्मान मिला उससे वह अभिभूत है। कहना है कि यात्रा के दौरान महिला सशक्तिकरण धर्म अनुरुप आचरण के साथ सनातन धर्म के प्रति जागरुकता के लिए संदेश दिया। इन युवतियों की भगवान के प्रति आस्था को सभी सलाम कर रहे थे।

सत्‍संग में सुना था प्रवचन

उत्तर प्रदेश के झांसी बडुवासागर मौहल्ले की रहने वाली 22 वर्षीय मोनिका कुसवाहा, यूपी बुलंदशहर जिले के ग्राम नूरपूर निवासी 23 वर्षीय अंजना व बिहार पटना कंकरबाग निवासी 25 वर्षीय सिद्धि शुक्ला भले ही अलग अलग जगह की रहने वाली होंं, लेकिन वे छत्तरपुर गड़ागांव में बागेश्वर धाम में आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचनों से प्रभावित हुईं। सत्संग के दौरान उन्हें सनातन धर्म प्रचार के साथ तीर्थ धामों की यात्रा को लेकर भी बातें सुनी ।

यह भी पढ़ें- Uttarakhand: शिक्षा विभाग ने ट्रांसजेंडर के प्रमाणपत्रों में लिंग-नाम परिवर्तन से किया था इन्कार, हाई कोर्ट ने लगाई लताड़

उनके हिंदू राष्ट्र को लेकर सनातन धर्म की जागरुकता पर इन युवतियों के मन में तीर्थ धामों के प्रति ऐसा आर्कषण हुआ कि उन्होंने अलग अलग स्थानों के रहने के बाद भी आपस में दोस्ती कर ठान ली कि हमें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ की यात्रा के साथ ऋषिकेश, हरिद्धार, वृंदावन मथुरा, चित्रकूट धाम से होते हुए वापस बागेश्वर धाम में अपनी यात्रा का प्रथम चरण समाप्त करना है।

21 जून को बागेश्वर धाम से पैदल ही निकल पड़ीं

युवतियों ने इस यात्रा को नंगे पैर पैदल करने का संकल्प लिया तो स्वजनों सहित अन्य लोगों ने हिमालय की इस कठिन यात्रा को लेकर उनसे कई सवाल किए, लेकिन गुरु के प्रति आस्था और मजबूत इरादे से लिए गए संकल्प को पूरा करने के लिए 21 जून को बागेश्वर धाम से पैदल ही निकल पड़ीं।

नंगे पैर यात्रा करने के दौरान रास्ते में नागरिकों, खासतौर पर महिलाओं, किशोरियों, युवतियों को ये धर्म का संदेश दे रही हैं। महिला सशक्तिकरण को लेकर युवतियों का कहना है कि सनातन धर्म के सिद्धांतों के अनुरुप आगे बढ़कर महिला सशक्तिकरण मजबूती से हो सकता है।

यात्रा के दौरान सिद्धि शुक्ला ने व्रत रख कर फलाहार लेने का संकल्प लिया है। जिसे वह बखूबी निभा रही हैं। वहीं मोनिका व अंजना भी दिनभर में एक समय का भोजन लेकर व्रत संकल्प कर यात्रा कर रहे हैं।

प्रतिदिन 20 किमी की यात्रा

सिद्धि शुक्ला का कहना है कि मन में मजबूत इरादे हों ओर सही कार्य के लिए आगे बढ़े तो स्वंय भगवान व गुरु राह के कांटों को दूर कर देते हैं। कहना है कि प्रतिदिन 20 किमी की यात्रा तय करते हैं। इस दौरान रास्ते में उन्हें नए नए लोग मिलते हैं। सनातन धर्म की मर्यादा के साथ लोगों को आगे बढ़ने का संदेश देते हैं।

उनका कहना है कि आज देश में असामाजिक तत्वों के क्रियाकलापों से महिलाओं पर दुष्कर्म सहित अन्य अत्याचार हो रहे हैं। इनसे महिलाएं तभी सुरक्षित रह सकती हैं जब वे धर्म के साथ मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़कर झांसी की रानी जैसे इरादे रखेंगी।

यह भी पढ़ें- Dehradun News: दून मेडिकल कालेज अस्पताल के फोर्थ फ्लोर पर चढ़ा युवक, कहा- 'मेरा मोबाइल लाओ वरना कूद जाऊंगा'

मोनिका का कहना है कि इस यात्रा के दौरान स्वजनों की चिंताएं भी अपनी जगह ठीक थी। इस दौर में बालिकाओं की पैदल दूर हिमालय की यात्रा पर जाने की बात को लेकर उनकी चिंता का समाधान यात्रा के बाद खुद ही हो गया है।

यात्रा से पहले वे चिंतित थे, लेकिन अब स्वजन हम पर गर्व कर रह हैं। अंजना का भी कहना है कि पहले उत्तराखंड के इन तीर्थों की यात्रा पैदल ही होती थी। यही विचार करने के बाद तीनों सहेलियों ने पैदल नंगे पैर यात्रा कर प्रभु की भक्ति का पौराणिक मार्ग चुना जो शुरु में सभी कठिन लग रहा था, लेकिन प्रभु व गुरु कृपा से राह आसान हो गई।

उनका कहना है कि उत्तराखंड के लोग अतिथि देवो भव: का आचरण करते हैं। यहां जिस रास्ते से वे गुजरे उन्हें मिलने वालों ने अपने परिवार के सदस्यों की तरह सम्मान व आश्रय दिया जो उनके लिए एक अलग ही अनुभव था। इन अनोखे तीर्थयात्रियों को बदरीनाथ धाम में खाक चौक आश्रम में बाबा बालक योगेश्वर दास द्वारा सम्मानित भी किया गया। उन्‍होंन कहा इनकी आस्था अद्धितीय है।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर