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चमोली: वन विभाग की पर्यावरण संरक्षण के लिए अनोखी पहल, पर्यटक व रुद्रनाथ की यात्रा में शामिल लोग भी बनें हिस्सा

Rudranath Dham वन विभाग ग्रामीणों व यात्री पर्यटकों की मुहिम का नतीजा है कि आस्था तीर्थाटन पर्यटन व ट्रैकिंग की त्रिवेणी चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम में प्लास्टिक उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अब तक आए छह हजार यात्री पर्यटक अपने साथ ले गई प्लास्टिक कचरे को वापस वन विभाग के कार्यालय में जमा कर दिया गया स्वच्छता शुल्क वापस ले गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Tue, 26 Sep 2023 08:01 AM (IST)
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Rudranath Dham: पर्यावरण संरक्षण के लिए वन विभाग ने शुरू की अनोखी पहल

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। Rudranath Dham: वन विभाग ग्रामीणों व यात्री पर्यटकों की मुहिम का नतीजा है कि आस्था, तीर्थाटन, पर्यटन व ट्रैकिंग की त्रिवेणी चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम में प्लास्टिक उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अब तक आए छह हजार यात्री, पर्यटक अपने साथ ले गई प्लास्टिक कचरे को वापस वन विभाग के कार्यालय में जमा कर दिया गया स्वच्छता शुल्क वापस ले गए हैं। इस मुहिम का नतीजा है कि यात्री शत प्रतशित कचरे को अपने साथ लेकर स्वच्छता की राशि पाने में सफल रहे।

पर्यटकों की आवाजाही से पर्यावरण संरक्षण एक चुनौती

चमोली जिले में समुद्रतल से 11808 फीट की ऊंचाई पर स्थित चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की यात्रा अति दुर्गम है। रुद्रनाथ के लिए जिला मुख्यालय गोपेश्वर से चोपता मोटर मार्ग पर तीन किमी हाइवे से सफर तय कर सगर गांव से 19 किमी पैदल यात्रा करनी पड़ती है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के बफर जोन में होने के चलते पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, ट्रेकरों की आवाजाही से पर्यावरण संरक्षण किसी चुनाैती से कम नहीं था।

जंगली जानवरों के प्लास्टिक खाने का खतरा

समस्या यह थी कि इस क्षेत्र में कस्तूरा, मोनाल, हिम तेदुंआ सहित कई दुलर्भ वन्य जीव जन्तुओं का प्राकृतिक आवास है। यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों द्वारा खाने-पीने के बाद कूड़ा जगह-जगह फेंकने से मखमली बुग्यालों में गंदगी आम बात थी।

जंगली जानवरों के इस प्लास्टिक कचरे को खाने का खतरा भी रहता था। वन नियमों की दुहाई देने के साथ साथ नियमों के तहत कार्रवाई करने के बाद भी प्लास्टिक कचरे पर लगाम नहीं लगाया जा रहा था।

प्लास्टिक व कचरा बनी समस्या 

चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम की यात्रा भले ही ग्रीष्मकाल में छह माह होती है लेकिन इस रूट पर प्लास्टिक व कचरा एक बड़ी समस्या बनकर आ रही थी। वर्ष 2020-21 में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ विचार विमर्श कर निर्णय लिया कि प्लास्टिक कचरों से बुग्यालों, जंगलों को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाए।

यात्री पर्यटकों को भी यात्रा के साथ पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान के लिए प्रेरित किया जाए। फिर रुद्रनाथ के प्रवेश द्वार सगर में तीर्थयात्री के पंजीकरण का निर्णय लेते हुए स्वच्छता शुल्क भी निर्धारित किया गया।

100 रुपये स्वच्छता शुल्क

वर्तमान समय में 150 रुपये पंजीकरण शुल्क के अलावा 100 रुपये स्वच्छता शुल्क लिया जा रहा है। इस दौरान वन विभाग की चेक पोस्ट में चैकिंग के दौरान तीर्थयात्रियों के साथ किसी भी रूप में जाने वाले प्लास्टिक कचरे की सूची बनाई जाती है। यात्री पर्यटकों को इससे वन्य जीवों, मखमली बुग्यालों में हो रहे नुकसान को समझाते हुए पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है।

वन विभाग की मुहिम का हिस्सा बनें यात्री

यात्री पर्यटक भी अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए वन विभाग की इस मुहिम का हिस्सा बनने के लिए खुशी खुशी राजी हो जाता है। धाम से लौटते हुए वन विभाग के चैक पोस्ट पर फिर से यात्री, पर्यटक, ट्रेकर के सामान सूची की जांच होती है।

यात्री यात्रा के दौरान अपने साथ ले गई कचरे को जमा करने पर स्वच्छता शुल्क की धनराशि लौटा दी जाती है। हालांकि अगर वह कचरा नहीं लाए तो यह धनराशि जब्त होती है। वन विभाग जमा कचरे को सुरक्षित रखकर इसे बेचता है।

तीर्थयात्री पर्यटक व ट्रैकरों से जुटी आठ लाख से अधिक की आय

वन विभाग को अब तक तीर्थयात्री, पर्यटक व ट्रैकरों से आठ लाख से अधिक की आय हो चुकी है। बताया गया कि अगर कोई पर्यटक, यात्री यात्रा मार्ग पर कचरा देखता है तो वह उसकी सूचना भी वन विभाग को देता है। वन विभाग अपने नियमित गश्त में इस कचरे को एकत्रित कर वापस लाना सुनिश्चित करता है।

20 मई को चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम के कपाट थे खुले

इसके बाद स्थानीय नागरिक सहित छ: हजार से अधिक श्रद्धालु रुद्रनााथ जी के दर्शन कर चुके हैं। सगर गांव के स्थानीय निवासी भी यात्रियों को घोडे, पोर्टल, गाइड उपलब्ध कराने से पूर्व प्लास्टिक कचरे को लेकर यात्रियों को सरकारी नियमों का पाठ पढ़ाते हैं। इसके साथ ही स्थानीय नागरिक यह भी सुनिश्चित करता है कि यात्री कई पर भी कोई कचरा न फैलाए।

क्या कहते हैं अधिकारी

गोपेश्वर के वनाधिकारी केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग इंद्र सिंह नेगी के अनुसार, रुद्रनाथ धाम की यात्रा आरक्षित वन्य क्षेत्र में होती है यहां पर दुलर्भ वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास है। ऐसे में प्लास्टिक कचरा बुग्यालों में पर्यावरण सिस्टम को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। लिहाजा वन विभाग ने पंजीकरण शुल्क के साथ कचरे की मॉनटिरिंग की जा रही है जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं यात्री कचरे को अपने साथ वापस ले रहे हैं। 

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ये है शुल्क

  • एक से 11 साल के उम्र तक यात्रा : निशुल्क
  • 12 से 18 आयु वर्ग के- 38 रुपये
  • छात्रों पर - 75 रुपया शुल्क
  • वयस्क - 150 रुपये शुल्क
  • वरिष्ठ नागरिक 60 वर्ष से ऊपर - 75 रुपये शुल्क
  • विदेशी - 600 रुपये शुल्क

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