जोशीमठ के होटलों में चल रहे राहत शिविर बुकिंग को लेकर दुविधा में हैं व्यापारी
तीर्थ यात्रियों के इस उत्साह से व्यवसायी खुश हैं मगर जिन होटल और होम स्टे में राहत शिविर बने हैं उनके संचालक बुकिंग को लेकर दुविधा में हैं। क्योंकि राहत शिविरों में रह रहे प्रभावित पुनर्वास और मुआवजा मिलने तक शिविर छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Thu, 02 Mar 2023 11:07 AM (IST)
रणजीत रावत, जोशीमठ। चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण के साथ तीर्थ यात्री होटलों में एडवांस बुकिंग भी करा रहे हैं। बदरीनाथ धाम के प्रमुख पड़ाव आपदाग्रस्त जोशीमठ में भी प्रशासन के आदेश के बाद होटल व होम स्टे संचालकों ने तीर्थ यात्रियों की बुकिंग लेनी शुरू कर दी है। नगर में लगभग 150 होटल और होम स्टे हैं, जो दरारों से सुरक्षित हैं। इनमें लगभग पांच हजार यात्री ठहर सकते हैं। अब तक 10 प्रतिशत कमरों की बुकिंग हो चुकी है।
तीर्थ यात्रियों के इस उत्साह से व्यवसायी खुश हैं, मगर जिन होटल और होम स्टे में राहत शिविर बने हैं, उनके संचालक बुकिंग को लेकर दुविधा में हैं। क्योंकि, राहत शिविरों में रह रहे प्रभावित पुनर्वास और मुआवजा मिलने तक शिविर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में व्यवसायियों को चिंता सता रही कि यात्रा शुरू होने से पहले होटल-होम स्टे खाली न होने पर बुकिंग और तीर्थ यात्रियों का क्या होगा? बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खोले जाने हैं।
38 होटल-होम स्टे में रह रहे 753 आपदा प्रभावित
चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव के कारण बीते दो माह से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। नगर में दरार वाले 868 भवन हैं। इनमें से 181 असुरक्षित हैं। यहां रहने वाले 298 परिवार पुश्तैनी घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जा चुके हैं। इनमें से 232 परिवारों के 846 सदस्य राहत शिविरों में रह रहे हैं। प्रशासन ने नगर में कुल 45 राहत शिविर बनाए हैं। इनमें से 38 शिविर होटल और होम स्टे में हैं, जहां 208 परिवारों के 753 सदस्य रह रहे हैं।
तीन माह के लिए पांच-पांच हजार रुपये
प्रशासन आपदा प्रभावित परिवारों को किराये के भवन में निवास के लिए प्रति माह पांच हजार रुपये दे रहा है। यह धनराशि तीन माह तक दी जानी है। अब तक प्रभावितों को किराये के लिए 1.87 लाख की धनराशि वितरित की जा चुकी है। वर्तमान में 66 प्रभावित परिवार किराये पर रह रहे हैं।प्रभावितों की व्यथासिंहधार निवासी दिगंबर बिष्ट पालिका गेस्ट हाउस में संचालित राहत शिविर में रह रहे हैं। कहते हैं, ‘प्रशासन ने शिविर में शिफ्ट करने के बाद हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया है। अधिकारी बताएं, जोशीमठ में कौन-सी जगह सुरक्षित है, जहां हम किराये का कमरा लेकर रहें। पुनर्वास होने तक हम शिविर छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।”
जोशीमठ बचाओ अभियान के तहत नगर के नौ युवाबुधवार को जोशीमठ से देहरादून के लिए 290 किमी की पैदल यात्रा पर रवाना हुए। आपदाग्रस्त जोशीमठ का दर्द सरकार और शासन तक पहुंचाने के लिए यह दल 14 मार्च को देहरादून के गांधी पार्क पहुंचेगा और इसी के साथ यात्रा का समापन होगा। पहले दिन दल ने जोशीमठ से हेलंग तक करीब 15 किमी का सफर तय किया और हेलंग में रात्रि विश्राम किया।
यात्रा के दौरान दल ने रास्ते में पड़ने वाले कस्बों और गांवों के निवासियों के समक्ष जोशीमठ की आपदा के लिए जल विद्युत परियोजनाओं और हिमालय से हो रही छेड़छाड़ को जिम्मेदार बताते हुए आपदा प्रभावितों की पीड़ा से अवगत कराया। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती व आपदा प्रभावित परिवारों ने इस दल को दोपहर में तहसील गेट से विदा किया। इस दौरान अतुल सती ने कहा कि पद यात्रा में शामिल युवाओं का जोश बड़े परिर्वतन की तरफ संकेत कर रहा है।
दल का उत्साह बढ़ाने के लिए जगह-जगह सामाजिक कार्यकर्त्ता और ग्रामीण भी यात्रा में प्रतिभाग कर जोशीमठ के दर्द में शमिल होंगे। यात्रा में शामिल युवाओं ने तहसील प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजकर जोशीमठ को बचाने का आग्रह किया है।ज्ञापन में कहा गया है कि जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव का शीघ्र उपचार किया जाए, जिससे देश-विदेश में जोशीमठ के सुरक्षित होने का संदेश जाए। यात्रा का नेतृत्व कर रहे सचिन रावत ने कहा कि यात्रा पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए भी निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर हिमालयी क्षेत्र में किया जा रहा अंधाधुंध निर्माण ही आपदाओं की जननी है। हिमालय को बचाना हमारा संकल्प होना चाहिए।
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