सैलानियों के लिए खुली फूलों की घाटी, यहां के अद्भुत सौंदर्य का आप भी करें दीदार
विश्व धरोहर फूलों की घाटी सैलानियों के लिए खोल दी गई है। पहले दिन 27 सैलानी घाटी के दीदार को पहुंचे।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 01 Jun 2019 08:25 PM (IST)
जोशीमठ(चमोली), जेएनएन। चमोली जिले में समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी सैलानियों के लिए खोल दी गई है। पहले दिन 27 सैलानी घाटी के दीदार को पहुंचे। इनमें पांच विदेशी भी शामिल हैं। बीते वर्ष रिकॉर्ड 14000 पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे थे। तो आप भी देर मत कीजिए और अद्भुत सौंदर्य का लुत्फ उठाने चले आइए फूलों की घाटी।
87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली घाटी जैव विविधता का खजाना है। घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं और यह दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतुओं का वास स्थल भी है। वर्ष 2005 में घाटी को यूनेस्को से विश्व धरोहर का दर्जा मिला था। घाटी हर साल एक जून से 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है।
वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती ने बताया कि घाटी में अब दो फीट बर्फ जमा है। कई जगह हिमखंडों को काटकर रास्ता बनाया गया है। उन्होंने बताया कि घाटी में निगरानी के लिए वन विभाग ने नौ कैमरा ट्रैप लगाए हैं। भारती ने बताया कि इन दिनों यहां 45 प्रजाति के फूल खिले हैं। सितंबर में घाटी में बहार अपने चरम पर होगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल पहले दिन 27 सैलानी पहुंचे हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह तादाद बढ़ेगी।
प्रवेश शुल्क
भारतीयप्रति व्यक्ति-150 रुपये
प्रति बच्चा -75 रुपयेविदेशी
प्रति व्यक्ति-600 रुपयेप्रति बच्चा-300 रुपये
बीते पांच वर्ष में फूलों की घाटी पहुंचे पर्यटक वर्ष, पर्यटक
2018 14000 2017 13752
2016 6503 2015 181 2014 484 कैसे पहुंचेंफूलों की घाटी पहुंचने के लिए चमोली जिले का अंतिम बस अड्डा गोविंदघाट तीर्थनगरी ऋषिकेश से 275 किलोमीटर की दूरी पर है, जो कि जोशीमठ- बदरीनाथ के मध्य पड़ता है। ऋषिकेश तक रेल से भी पहुंचा जा सकता है, जबकि निकटतम हवाई अड्डा ऋषिकेश के पास जॉलीग्रांट (देहरादून) में है। गोविंदघाट से फूलों की घाटी के प्रवेश स्थल घांघरिया की दूरी 13 किलोमीटर है। जहां से पर्यटक तीन किलोमीटर लंबी और आधा किलोमीटर चौड़ी फूलों की घाटी का दीदार कर सकते हैं। जोशीमठ से गोविंदघाट की दूरी 19 किलोमीटर है।यह भी पढ़ें: राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे लैंसडौन और हरिद्वार वन प्रभागों में भी महफूज रहेंगे बाघयह भी पढ़ें: उच्च हिमालय में हिम तेंदुओं पर रखी जाएगी नजर, लगाए गए कैमरे
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