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अब गुलाब की खुशबू से महकेंगे किसानों के घर, सुधरेगी आर्थिकी

चमोली जिले के जोशीमठ में अब गुलाब की खेती किसानों के घरों को महकाएगी। गांवों में गुलाब की खेती से अब दोहरा लाभ होगा। मनरेगा के तहत इन गांवों में खेती की जाएगी।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 25 Jul 2018 05:18 PM (IST)
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अब गुलाब की खुशबू से महकेंगे किसानों के घर, सुधरेगी आर्थिकी
जोशीमठ, [रणजीत रावत]: जोशीमठ विकासखंड के गांवों में गुलाब की खेती से अब दोहरा लाभ होगा। मनरेगा के तहत इन गांवों में खेती की जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 13 गांवों का चयन किया है। इससे न केवल ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार मिलेगा बल्कि गुलाब के फूल और उसके उत्पाद बेचकर वह दोहरा लाभ कमा सकेंगे। जोशीमठ में नूरजहां, हिमरोज तथा दमिक्स प्रजाति के गुलाब के फूलों की महक घर-घर बिखरेगी। 

अभी तक जोशीमठ विकास खंड के मेरग, परसारी, तपोवन, सुनील, सुरांईथोटा समेत दर्जनभर गांवों में ग्रामीण अपने स्तर से गुलाब की खेती कर रहे थे। ग्रामीण गुलाब के फूलों की बिक्री के साथ-साथ गुलाब जल व गुलाब का तेल बेचकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे थे। जोशीमठ में गुलाब की बेहतर खेती की संभावनाओं को देखते हुए अब विकास खंड की ओर से मनरेगा योजना के तहत गुलाब की खेती का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिए 13 गांवों को चिह्नित किया है। विकासखंड की योजना है कि सभी 13 गांवों में एक साथ मनरेगा योजना के तहत गुलाब की खेती कराई जाए।

किसानों को मिलेगा दोहरा लाभ

मनरेगा योजना से गुलाब की खेती में ग्रामीणों को दोहरा लाभ मिलेगा। खेतों की घेरबाड़, मरम्मत व खेती की देखरेख का खर्चा तीन वर्षों तक विकास खंड वहन करेगा। गुलाब का फूल तीन साल में उगता है। लिहाजा तीन साल तक मनरेगा योजना के तहत ही सभी धनराशि खर्च होगी। जब गुलाब का फूल उगेगा, तब सहयोगी संस्था के माध्यम से काश्तकार उगाए गए गुलाब की बिक्री करेंगे। चाहें तो घर में गुलाब का तेल निकालकर भी सहयोगी संस्था को निर्धारित दामों पर बेच सकेंगे।

1285 काश्तकार होंगे लाभान्वित

मनरेगा योजना से गुलाब की खेती को जोड़कर इससे 285 काश्तकारों को लाभान्वित किया जाएगा। विकासखंड जोशीमठ की 13 ग्राम पंचायतों में 10 हेक्टेयर क्षेत्र में गुलाब के खेती की जाएगी। इस भूमि पर 27 हजार पौध सगंध पौधा केंद्र सेलाकुई की ओर से दिए जाएंगे। जोशीमठ में नूरजहां, हिमरोज तथा दमिक्स प्रजाति के गुलाब के फूलों की संभावना को देखते हुए इन्हीं प्रजातियों की पौध काश्तकारों को बांटी जाएगी।

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