Move to Jagran APP

जंगली जानवरों से करनी है फसल की रक्षा तो करें Chamomile की खेती, इस जड़ी-बूटी का चाय में भी होता है उपयोग

Chamomile Flowers Cultivation उत्तराखंड के किसान जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान से परेशान हैं। चंपावत जनपद में जंगली जानवरों का काफी अधिक आतंक है। कृषि विज्ञान केंद्र की उद्यान विज्ञानी डॉ. रजनी पंत के अनुसार कैमोमाइल के फूलों की गंध से जंगली जानवर दूर भागते हैं। किसान अपने खेतों के आस-पास कैमोमाइल के फूल लगाकर फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं।

By ganesh pandey Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 03 Nov 2024 05:32 PM (IST)
Hero Image
Chamomile Flowers Cultivation: कैमोमाइल फूल लगाइए, जंगली जानवरों को दूर भगाइए. Jagran
संवाद सहयोगी, जागरण चंपावत। Chamomile Flowers Cultivation: जिले के पहाड़ और मैदान सभी जगह जंगली जानवरों का आतंक व्याप्त है। पर्वतीय इलाकों में बंदर और लंगूर तथा मैदानी क्षेत्र टनकपुर और बनबसा में हाथी किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।

किसान अपने खेतों के आस-पास कैमोमाइल फूल लगाएं तो जंगली जानवरों के आतंक से काफी हद तक निजात पाई जा सकती है। इस फूल में विभिन्न प्रकार के केमिकल की गंध होती है, जिससे जंगली जानवर स्वयं ही खेत से दूर भाग जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की उद्यान विज्ञानी डा. रजनी पंत ने बताया कि चंपावत जनपद में जंगली जानवरों का काफी अधिक आतंक है।

यह भी पढ़ें- Uttarakhand Weather Update: ...तो क्‍या दीवाली के बाद बढ़ेगी ठंड, पढ़ें क्‍या कहती है मौसम विभाग की भविष्‍यवाणी?

कई जगह किसान इस फूल का कर रहे बहुआयामी उपयोग

खासकर बंदर, लंगूर, सूअर और हाथी किसानों की फसल, बागवानी एवं सब्जियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जंगली जानवरों के आतंक को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसान अपने खेतों की मेड़ अथवा खेतों के किनारे कैमोमाइल फूल लगाएं तो जंगली जानवरों के आतंक से काफी हद तक निजात पाई जा सकती है।

बताया कि राज्य में कई जगह किसान इस फूल का बहुआयामी उपयोग कर रहे हैं, लेकिन चंपावत में जानकारी कम होने से कैमोमाइल फूल का उपयोग नहीं हो पा रहा है।

बताया कि कैमोमाइल विशेष प्रकार का फूल है, जिसे जड़ी बूटी की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम मैट्रिकेरिया चैमोमिल्ला है, यह गर्मी वाले स्थानों पर ज्यादा पैदा होता है। कैमोमाइल से चाय भी बनाई जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। इसके पौधे अप्रैल और अक्टूबर माह में लगाए जाते हैं।

डा. पंत ने बताया कि पिछले वर्ष कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किसानों को कैमोमाइल फूल की उपयोगिता की जानकारी दी गई थी। जिसके बाद कुछ किसानों ने इस फूल को खेतों के चारों ओर लगाया। इस बार भी प्रयोग के तौर पर कुछ किसानों ने इसका उपयोग किया। जिसके सार्थक परिणाम देखने में आए हैं।

यह भी पढ़ें- Online Gaming के लिए 10वीं के छात्र ने अपने ही घर में करवाई 40 लाख की चोरी, उत्‍तराखंड में सामने आया चौंकाने वाला मामला

तिमूर और गुलाब की बाड़ भी है कारगर

विज्ञानी डा. रजनी पंत ने बताया कि जंगलों में भोजन के अभाव और भोजन की तलाश में जंगली जानवर किसानों के खेतों तक पहुंच जाते हैं। इन जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए किसान इलेक्ट्रिक तार की बाड़ या झटका मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

एक एकड़ में तार-बाढ़ लगाने पर लगभग 10 से 12 हजार तक का खर्चा आ जाता है। यदि किसान झटका मशीन नहीं लगा सकते तो कंटीले फलों, फूलों और औषधीय पौधों को खेतों के किनारे बाड़ के रूप में लगा सकते हैं। कंटीले फूलों में गुलाब को भी लगाया जा सकता है। गुलाब के फूलों से जल या सीधे फूलों को बेचकर किसान अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं।

कैमोमाइल विशेष प्रकार का फूल है, यह अधिकतर गर्म इलाकों में होता है। मौसम चक्र में बदलाव के कारण यह पर्वतीय इलाकों में भी खूब उग रहा है। इसकी गंध से जंगली जानवर दूर भागते हैं। अधिक से अधिक किसानों को बीज उपलब्ध कराकर इसका रोपण करवाया जाए तो जंगली जानवरों की समस्या काफी कम की जा सकती है। - डा. रजनी पंत, उद्यान विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र सुंई (लोहाघाट)

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।