Champawat News: पीएम मोदी के उत्तराखंड दौरे को लेकर लोगों में उत्साह, लोहाघाट के निवासियों को भी काफी उम्मीदें
PM Narendra Modi Uttarakhand Visit प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित दौरे को लेकर पूरे जिले में उत्साह और उमंग का माहौल है। यह दौरा कितना गुल खिलाएगा यह तो आने वाले कुछ दिनों में पता लगेगा लेकिन दौरे को लेकर लोहाघाट के लोगों की उम्मीदें परवाज भर रही हैं। पीएम के दौरे से लोगों को उनकी दशकों पुरानी नजूल भूमि की समस्या का समाधान होने की उम्मीद है।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Fri, 06 Oct 2023 02:12 PM (IST)
विनोद चतुर्वेदी, चंपावत। PM Narendra Modi Uttarakhand Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित दौरे को लेकर पूरे जिले में उत्साह और उमंग का माहौल है। यह दौरा कितना गुल खिलाएगा यह तो आने वाले कुछ दिनों में पता लगेगा, लेकिन दौरे को लेकर लोहाघाट के लोगों की उम्मीदें परवाज भर रही हैं। पीएम के दौरे से लोगों को उनकी दशकों पुरानी नजूल भूमि की समस्या का समाधान होने की उम्मीद है।
नगर के लोग वर्षों से नजूल भूमि फ्री होल्ड करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक की सरकारों ने इस दिशा में गंभीरता से काम नहीं किया है। मामला भले ही कोर्ट में लंबित है, लेकिन सरकार पहल करें तो निश्चित ही इसका समाधान हो सकता है।
नहीं मिला भूमि का मालिकाना हक
वर्ष 1908 में अंग्रेजों द्वारा बसाए गए लोहाघाट नगर की नजूल भूमि फ्री होल्ड न होने से यहां के लोग आज भी अपने मकानों में भी बिना स्वामित्व के रहने को मजबूर हैं। दशकों से यहां के लोग भूमि फ्री होल्ड करने की मांग कर रहे हैं। लगभग 92 वर्ष पूर्व कृषि कार्य के लिए यहां को लोगों को लीज पर जमीन दी गई। वर्ष 1978 तक भूमि का नजराना भी लिया जाता था।1978 से जिला प्रशासन के नियंत्रण में है यहां की नजूल भूमि
1962 में हुए बंदोबस्त के समय भूमि के खतौनी नक्शे बनाए गए और प्रशासन द्वारा लोगों को पट्टे पर भूमि देने के साथ भवन बनाने की अनुमति दी गई थी। वर्ष 1975 में जिला परिषद द्वारा नजूल प्लाटों का नीलाम किया गया था, लेकिन पट्टे नहीं मिले। 1978 से यहां की नजूल भूमि जिला प्रशासन के नियंत्रण में है।
वर्ष 1987 के शासनादेश के तहत तीन प्लाट आवंटित कर लोगों से विनियमितीकरण के लिए प्रचलित दर पर नजराना व किराया जमा किया गया। जमा हुई धनराशि जनवरी 1991 में कोषागार लोहाघाट में जमा की गई थी।
अप्रैल 1995 में जमा की थी धनराशि
वर्ष 1994 में जारी शासनादेश के अनुसार, नगर के 30 भवन लीज पट्टा स्वामियों ने वर्ष 1991 के सर्किल रेट के आधार पर अप्रैल 1995 में धनराशि जमा की थी। जिसके आधार पर उनके भवनों की रजिस्ट्री भी हो गई, लेकिन फिर भी मालिकाना हक नहीं मिल पाया। इस प्रकरण में उसे नजूल भूमि की जगह खाम भूमि बताया गया जिसके कारण अन्य भूमि व भवन स्वामी अपने पट्टों को फ्री होल्ड नहीं करा पाए।
नगर निवासी एडवोकेट नवीन मुरारी, नगर पालिका अध्यक्ष गोविंद वर्मा, पूर्व चेयरमैन भूपाल सिंह मेहता, सतीश खर्कवाल, राज्य आंदोलनकारी राजू गड़कोटी, बृजेश ढेक, सुरेश ढेक आदि ने बताया कि जनप्रतिनिधियों द्वारा इस मामले में गंभीरता दिखाई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरान लोहाघाट के लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है।
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