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Champawat Upchunav : चंपावत में कैसे होंगे उपचुनाव? नहीं मिल रहे प्रत्याशी- राजनीति से हो रहा मोह भंग!

Champawat Upchunav जिले में दो ग्राम प्रधान व 167 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद आगे भी खाली रहने वाले हैं। पंचायतें मजबूत हों और वह आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं बना सकें इसके लिए पंचायतीराज व्यवस्था लागू की गई। लोकसभा व विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए हाल ही में महिला आरक्षण कानून लाया गया है। इसके बाद भी जनप्रतिनिधि आगे नहीं आ रहे।

By vinay sharmaEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Mon, 25 Sep 2023 05:39 PM (IST)
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Champawat Upchunav : चंपावत में कैसे होंगे उपचुनाव
गणेश पांडे, चंपावत : जनप्रतिनिधियों के खाली पदों को भरने के लिए निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायतों में उपचुनाव का ऐलान किया। बैठक, प्रशिक्षण समेत सभी तैयारी भी कर ली गई। सभी कुछ होने के बाद भी चंपावत में उपचुनाव होने वाला नहीं है।

जिले में ग्राम प्रधान के तीन पद रिक्त हैं। दो में किसी ने नामांकन नहीं किया। एक पंचायत में अकेला नामांकन आने से निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया। ऐसे में चुनाव की नौबत नहीं है।

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नहीं आगे आ रहे जनप्रतिनिधि

जिले में दो ग्राम प्रधान व 167 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद आगे भी खाली रहने वाले हैं।  पंचायतें मजबूत हों और वह आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं बना सकें इसके लिए पंचायतीराज व्यवस्था लागू की गई। लोकसभा व विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए हाल ही में महिला आरक्षण कानून लाया गया है। इसके बाद भी जनप्रतिनिधि आगे नहीं आ रहे। त्रिस्तरीय पंचायतों के उपचुनाव में इसकी झलक दिखी है।

नहीं कराया किसी ने नामांकन

चंपावत जिले के चार ब्लाकों में तीन ग्राम प्रधान व 167 वार्ड सदस्यों के खाली पदों पर चुनाव होना था। चंपावत ब्लाक के चौड़ा डुमखरी ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान पद के लिए कविता कठायत ने नामांकन कराया है। बाराकोट ब्लाक के सिंगदा व मिरतोली में ग्राम प्रधान के लिए किसी ने नामांकन नहीं कराया। ऐसे में दोनों पंचायतें प्रधान विहीन रहेंगी। पाटी में वार्ड सदस्यों के लिए दो नामांकन आए, जांच में दोनों रद हो गए। इस तरह चंपावत में 59, लोहाघाट में 20, पाटी में 56 व बाराकोट में 32 वार्ड सदस्यों के पद खाली रहेंगे।

पारिवारिक जिम्मेदारी ने छुड़ाई प्रधानी

बाराकोट ब्लाक की सिंगदा व मिरतोली में ग्राम प्रधान की सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। आरओ खजान जोशी ने बताया कि सिंगदा की पूर्व ग्राम प्रधान पिथौरागढ़ में रहकर बच्चों को पढ़ा रही हैं। मिरतोली की ग्राम प्रधान पति के साथ मुरादाबाद चली गईं। पंचायत को समय नहीं दे पाने की वजह से दोनों ने कुछ अंतराल पर त्यागपत्र दे दिया। गांव में आरक्षित वर्ग के कुछ ही परिवार हैं। कई समझाने के बाद भी चुनाव में उतरने को कोई तैयार नहीं हुआ। बीडीओ खजान जोशी ने बताया कि उप प्रधान को कार्यभार दिया गया है।

दो तिहाई बहुमत की जरूरत 

ग्राम पंचायत में प्रस्तावों को पारित करने व किसी महत्वपूर्ण निर्णय में समर्थन जुटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। किसी ग्राम पंचायत में वार्ड सदस्य के नौ पद हैं तो बहुमत के लिए छह सदस्य होना जरूरी है। ऐसे में जनहित व विकास के मुद्दों में वार्ड की भागीदारी भले नहीं होगी लेकिन संसदीय प्रक्रिया में किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा। यही वजह है कि वार्ड सदस्य बनने, बनाने में लोग व अधिकारी दोनों रुचि नहीं दिखाते।

महिलाओं का क्षमता विकास जरूरी: पाठक

लंबे समय से सामाजिक चेतना का काम कर रहे प्रकाश पाठक बताते हैं कि अभी भी कई लोगों में नेतृत्व क्षमता की भावना मजबूत नहीं हो पाई है। खासकर महिलाएं संकोच महसूस करती हैं। महिलाओं के क्षमता विकास की जरूरत है। ग्राम प्रधान या वार्ड सदस्य के पद को लाभ या रोजगार के तौर पर देखने के बजाय पंचायत के विकास का अवसर समझना होगा।

कविता बनीं चौड़ादुमखरी की प्रधान

चंपावत ब्लाक के चौड़ादुमखरी ग्राम पंचायत की ग्राम प्रधान कविता बनीं हैं। एकमात्र नामांकन होने से उन्हें विजेता घोषित किया। मुख्य विकास अधिकारी आरएस रावत ने कविता के निर्विरोध निर्वाचित होने की घोषणा की। पूर्व प्रधान मनोज कठायत का असामयिक निधन होने पर सीट खाली हुई थी।

मनोज कविता की पति थे। वर्जन ग्राम प्रधान के एक पद पर एकमात्र आवेदन आने से निर्विरोध निर्वाचन हो गया। प्रधान के दो व वार्ड सदस्यों के 167 पदों पर वैध नामांकन नहीं हैं। ऐसे में निर्वाचन की नौबत नहीं आएगी। -हेमंत वर्मा, एडीएम चंपावत

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