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Holi 2024: अंग्रेजों से लेकर राजा भी रहे उत्‍तराखंड की इस होली के रसिक, हर साल रहता था इंतजार; पढ़ें खास बातें

Holi 2024 सुर से सुर व कदम से कदम मिलाने का अद्भुत कौशल शब्दों में ठहराव एवं उतार-चढ़ाव ऐसा कि देखने वाला भी खुद को होली में सम्मिलित पाता है। यही कारण है कि अंग्रेज से लेकर चंद राजा तक कुमाऊं की इस होली के रसिक रहे। खड़ी होली गायन करने बाद होल्यार समापन पर सभी लोगों को आशीर्वाद देते हैं।

By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 21 Mar 2024 11:18 AM (IST)
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Holi 2024: कुमाऊं की खड़ी होली के अंग्रेज से लेकर चंद राजा तक रसिक रहे
गौरी शंकर पंत, लोहाघाट : Holi 2024: अपने आप में कई विशिष्टता को समेटे काली कुमाऊं की खड़ी होली के अंग्रेज से लेकर चंद राजा तक रसिक रहे। सुर से सुर व कदम से कदम मिलाने का अद्भुत कौशल, शब्दों में ठहराव एवं उतार-चढ़ाव ऐसा कि देखने वाला भी खुद को होली में सम्मिलित पाता है। यही वजह रही होगी कि अंग्रेज शासकों से लेकर राजा व दरबारियों को भी खड़ी होली का इंतजार रहता था।

आमतौर पर होली के माने रंग-गुलाल से माना जाता है। उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल में रंग-गुलाल से कई आगे इसे गायकी के तौर पर देखा जाता है। सामूहिक गायन की यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी से आगे बढ़ रही है। फागुन आते ही हवा में नई रंगत घुलने लगती है।

अंग्रेज शासक भी कुमाऊंनी खड़ी होली के शौकीन

सर्दी की विदाई व गर्मी के आगमन के बीच अंकुरित होती नई पंखुड़िया भी जैसे मौसम का आनंद लेना चाहती हैं। बुजुर्ग कलाकार बताते हैं कि चंद राजा सहित अंग्रेज शासक भी कुमाऊंनी खड़ी होली के शौकीन रहे। खड़ी होली गायन करने बाद होल्यार समापन पर सभी को सब फगुवा मिल दे हो आशीष तुम-हम जी रो लाख भरी.. कहते हुए आशीर्वाद देते हैं।

नौजवान अपनी संस्कृति छोड़ कर पाश्चात्य संस्कृति की ओर खींचे चले जा रहा है। अपनी संस्कृति व धरोहर को बचाने में युवाओं का सबसे अधिक हाथ है। बस जरूरत है तो सिर्फ युवाओं को सही रास्ते पर लाने की।-कैलाश चंद्र जोशी, होल्यार

होली गायन के लिए गांववासी एक माह पूर्व से होली गायन की तैयारियों में जुट जाते हैं। जिसमें ढोल की साज सज्जा व उनको ठीक कराया जाता है। अभ्यास के बाद होल्यार कदम से कदम मिलाते हैं।-भुवन चंद्र बिष्ट, होल्यार

रंग महोत्सव जैसे आयोजन संस्कृति व परंपरा को जीवित रखने के साथ नई पीढ़ी को हस्तांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एकादशी से शुरू होने वाला खड़ी होली का सिलसिला टीके तक रहता है।-चंद्रशेखर बगौली, होल्यार

होली ऐसा त्यौहार है जिसे बच्चे-बुजुर्ग व जवान हर्षोल्लास से मनाते हैं। काली कुमाऊं की प्रसिद्ध खड़ी का लोहा अंग्रेज भी मानते थे। चंद शासकों ने भी होली को प्रोत्साहित किया। परंपरा बनाए रखना जरूरी है।-रमेश पुनेठा, होल्यार

पिछले 12 वर्षों से रंग महोत्सव काली कुमाऊं की प्रसिद्ध खड़ी होली को नया आयाम दे रहा है। श्रीराम सेवा सांस्कृतिक समिति के सदस्यों की पहल से शुरू महोत्सव संस्कृति संरक्षण का सांझा मंच तैयार करता है।-जीवन सिंह मेहता, अध्यक्ष, राम सेवा समिति, लोहाघाट

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