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Maa Purnagiri Mela 2023: मेला पूर्णागिरि धाम में, रौनक पड़ोसी देश नेपाल तक

Maa Purnagiri Mela 2023 प्रसिद्ध पूर्णागिरि मेला नौ मार्च को शुरू हो गया है। तीन माह चलने वाले मेले में उत्तर भारत से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। भारत-नेपाल का सीमांकन करने वाली शारदा नदी के तट पर इन दिनों आस्था का अद्भुत संगम उमड़ रहा है।

By vinay sharmaEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sun, 12 Mar 2023 09:35 AM (IST)
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Maa Purnagiri Mela 2023: पूर्णागिरि मेला नौ मार्च को शुरू हुआ है।
गणेश पांडे, चंपावत : Maa Purnagiri Mela 2023: भारत-नेपाल का सीमांकन करने वाली शारदा नदी के तट पर इन दिनों आस्था का अद्भुत संगम उमड़ रहा है। टनकपुर ककराली गेट से भैरव मंदिर तक 17 किमी सड़क रोशनी में नहाई प्रतीत हो रही है।

रास्तेभर मातारानी के जयकारे गूंज रहे हैं। सिर, गले व हाथ पर चुनरी लपेटे भक्त जत्थों के रूप में पूर्णागिरि दरबार की तरफ बढ़ रहे हैं। भारत के पूर्णागिरि धाम में लगने वाले आस्था के मेले की रौनक पड़ोसी देश नेपाल तक है।

तीन माह चलता है मेला

प्रसिद्ध पूर्णागिरि मेला नौ मार्च को शुरू हो गया है। तीन माह चलने वाले मेले में उत्तर भारत से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पूर्णागिरि धाम आने वाले श्रद्धालु सिद्धबाबा के दर्शनों के लिए नेपाल के ब्रह्मदेव स्थित मंदिर जाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि माता के अनन्य भक्त रहे सिद्धबाबा के दर्शन के बिना पूर्णागिरि की यात्रा पूर्ण नहीं होती। हर दिन पूर्णागिरि धाम आ रहे हजारों भक्त सिद्धबाबा के दर्शन पाने नेपाल जा रहे हैं। पूर्णागिरि की तरह ब्रह्मदेव स्थित सिद्धबाबा मंदिर में भी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। आस्था का संगम दोनों देशों को जोड़ रहा है।

सिद्धबाबा मंदिर में दर्शनों के लिए भक्तों की लंबी कतार लग रही है। दो से तीन घंटे खड़े रहने के बाद दर्शनों का अवसर मिल रहा है। भक्तों में अद्भुत धैर्य दिखाई पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से आए सूरज राजपूत बता रहे हैं कि मां पूर्णागिरि व सिद्धबाबा के दर्शन पाकर वे खुद को धन्य महसूस कर रहे हैं। यह परम सौभाग्य उन्हें मातारानी की कृपा से प्राप्त हुआ है। सूरज ने पूर्णागिरि क्षेत्र को शांति व सुकून प्रदान करने वाला बताया। सिद्धबाबा आ रहे भक्त नेपाल के आसपास के क्षेत्रों में घूमने भी जा रहे हैं।

संचार सेवा बेहतर बनाने की जरूरत

गोंडा से साथ आए अविनाश व अतुल ने बताया कि पूर्णागिरि धाम के बारे में बहुत सुना-पढ़ा था। मां के धाम में आकर खुद को बहुत सौभाग्यशाली समझ रहे हैं। भारत व नेपाल में श्रद्धालुओं के लिए एक समान व्यवस्था की गई हैं।

श्रद्धालुओं को निश्शुल्क यात्री शेड, धर्मशालाएं, स्नानागार आदि उपलब्ध कराए जाते हैं। भारत को सीमावर्ती क्षेत्र में संचार सेवाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है। इससे श्रद्धालु लाइव अपने स्वजनों व मित्रों से जुड़ सकेंगे।

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