Champawat जिला अस्पताल में प्रसव के लिए न जाएं! चली गईं दो गाइनोकोलॉजिस्ट, अल्मोड़ा से भेजी डॉक्टर भी नहीं आईं
Champawat District Hospital जिला अस्पताल में तैनात दोनों गाइनोकोलॉजिस्ट के छोड़कर चले जाने के बाद अल्मोड़ा से संबद्ध की गईं डाक्टर एक सप्ताह बाद भी चंपावत नहीं आई हैं। गाइनोकोलॉजिस्ट के अभाव में जिला अस्पताल में प्रसव व प्रसव पूर्व देखभाल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। सीएमओ डा केके अग्रवाल का कहना है कि स्वास्थ्य निदेशक को पत्र लिखकर किसी अन्य डाक्टर को भेजने का आग्रह किया है।
जागरण संवाददाता, चंपावत। Champawat District Hospital: इसे सीमांत चंपावतवासियों की बदकिस्मती कहें या डाक्टरों का चंपावत में तैनाती पाने से बचने की जुगत। जिला अस्पताल में तैनात दोनों गाइनोकोलॉजिस्ट के छोड़कर चले जाने के बाद अल्मोड़ा से संबद्ध की गईं डाक्टर एक सप्ताह बाद भी चंपावत नहीं आई हैं।
ऐसे में सीएमओ ने किसी अन्य गाइनोकोलॉजिस्ट को चंपावत भेजने की मांग की है। गाइनोकोलॉजिस्ट के अभाव में जिला अस्पताल में प्रसव व प्रसव पूर्व देखभाल की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
जून में छोड़कर चली गईं दोनों डाक्टर
चंपावत जिला अस्पताल में तैनात गाइनोकोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका व डा. मंदाकिनी बिना अवकाश के अस्पताल नहीं आ रहे हैं। एक डाक्टर जून अंतिम सप्ताह व दूसरी पहली जुलाई से नहीं आई हैं।महिला की मौत के बाद जागा विभाग
बीते दिनों लोहाघाट निवासी गर्भवती अमीषा पत्नी पान सिंह के जिला अस्पताल में बच्चा जनने के बाद गंभीर हालत में रेफर कर दिया गया था। नवजात को जन्म देने के बाद प्रसूता ने गाइनोकोलॉजिस्ट के अभाव में दम तोड़ दिया था। स्थानीय जनता व कांग्रेस ने विभाग और सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन कर स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का आरोप लगाया था।
विरोध के बीच निदेशक स्वास्थ्य ने 17 जुलाई को अल्मोड़ा जिला अस्पताल की गायनी डा. प्रियंका लस्पाल को चंपावत जिला अस्पताल से संबद्ध किया। एक सप्ताह बीतने के बाद भी गायनी ने कार्यभार नहीं संभाला है। इस संबंध में उनका कोई जवाब भी नहीं आया है। गाइनोकोलॉजिस्ट के अभाव में चंपावत, बाराकोट, लोहाघाट, पाटी क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है।