Uttarakhand Tourism: नेपाल बॉर्डर पर मौजूद यह जिला बना पर्यटन हब, भा रही वादियां; आठ डेस्टिनेशन कर रहे आकर्षित
Uttarakhand Tourism कोरोना के बाद पर्यटकों की संख्या कम होने से पर्यटन व्यवसाय पर विपरीत असर पड़ा था लेकिन हालात सामान्य होने के बाद फिर से पर्यटकों की आमद बढ़ने लगी है। वर्ष 2018 से 2022 तक यहां 500522 देशी पर्यटक आ चुके हैं जबकि 661 विदेशी पर्यटक ही पहुंचे।
By vinod chaturvediEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 08 May 2023 11:26 AM (IST)
विनोद चतुर्वेदी, चंपावत : Uttarakhand Tourism: नेपाल सीमा से लगे चंपावत जनपद की सुरम्य वादियां हमेशा से ही पर्यटकों को आकर्षित करती रही हैं, लेकिन सुविधा का अभाव एवं पिकनिक स्पाट का विकास नहीं होने से विदेशी पर्यटकों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है।
विदेशी पर्यटकों की तुलना में यहां देशी पर्यटक ज्यादा आते हैं। पर्यटन विभाग के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं। कोरोना के बाद पर्यटकों की संख्या कम होने से पर्यटन व्यवसाय पर विपरीत असर पड़ा था, लेकिन हालात सामान्य होने के बाद फिर से पर्यटकों की आमद बढ़ने लगी है।
पांच वर्षों में जिले में 5,00,522 देशी पर्यटक आए
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 में 1.88 लाख से अधिक देशी तथा 213 विदेशी पर्यटक यहां आए। वर्ष 2019-20 में देशी पर्यटकों का यह आंकड़ा 2.10 लाख से अधिक पहुंच गया जबकि विदेशी पर्यटकों की संख्या 191 तक आ गई। वर्ष 2020-21 में 47 हजार से कुछ अधिक देशी पर्यटक जिले में पहुंचे। कोरोना के हालातों के बीच वर्ष 2021-22 में पर्यटकों की आमद कम हो गई और महज 15 हजार से कुछ अधिक ही देशी पर्यटक यहां आए।इस वर्ष विदेशी पर्यटकों की संख्या और कम हो गई और मात्र सात विदेशी पर्यटक ही चंपावत पहुंचे। कोरोना के हालात में सुधार के बाद वर्ष 2022-23 में फिर से पर्यटक सैर पर निकले और देशी पर्यटकों की संख्या बढ़कर 36 हजार से अधिक पहुंच गई। जबकि विदेशी पर्यटकों की संख्या 205 तक आ गई। वर्ष 2018 से 2022 तक पांच वर्षों में जिले में 5,00,522 देशी पर्यटक आ चुके हैं जबकि महज 661 विदेशी पर्यटक ही जिले में पहुंचे हैं।
विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी का मुख्य कारण यहां के होटलों में सुविधाओं का अभाव और पर्यटक स्थलों का विकास नहीं होना है। लेकिन पर्यटन विभाग का कहना है कि जिले के सभी पर्यटन स्थलों का विकास तेज गति से किया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप काफी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं।
इधर कोरोना की स्थिति सामान्य होने के बाद से वर्ष 2022 से जिले में पर्यटकों की संख्या बढऩे से पर्यटन व्यवसाय बढ़ने लगा है। अधिकांश पर्यटक होटलों में रुकना पंसद करते हैं, जिसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को अच्छा रोजगार मिल रहा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।चंपावत के प्रमुख दर्शनीय स्थल
- बालेश्वर मंदिर : जिला मुख्यालय में चंद शासकों ने बालेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर में मुख्य देवता भगवान शिव हैं। पत्थर की नक्कासी और वास्तुकला देखने लायक है।
- एकहथिया नौला : चंपावत से पांच किमी दूर यह नौला दुनियांभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। माना जाता है कि एक राज मिस्त्री ने एक ही हाथ से एक ही रात में नौले का निर्माण किया था।
- मायावती आश्रम : चंपावत से 22 किमी और लोहाघाट से नौ किमी दूर इस आश्रम की स्थापना स्वामी विवेकानंद के अंग्रेज शिष्य ने की थी। यह स्थान अपनी खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
- श्यामलाताल : वर्ष 1915 में यहां स्वामी विवेकानंद के शिष्य स्वामी विरजानंद ने विवेकानंद आश्रम की स्थापना की थी। यहां एक खूबसूरत झील है जो श्यामलाताल के नाम से प्रसिद्ध है।
- एबटमाउंट : लोहाघाट से आठ किमी दूर एबटमाउंट की खोज जॉन एबट नामक अंग्रेज ने की थी। यहां अंग्रेजों का पुराना चर्च है। इस जगह से हिमालय की पर्वतमालाओं के दर्शन होते हैं। अपने आप में भी यह खूबसूरत जगह है।
- गुरुद्वारा रीठासाहिब : लधिया एवं रतिया नदी के संगम पर स्थित यह क्षेत्र सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यहां गुरुनानक देव भी पहुंचे थे। वर्ष 1960 में यहां गुरुद्वारे की स्थापना की गई।
- मां पूर्णागिरि धाम : समुद्रतल से तीन हजार फीट की ऊंचाई पर मां अन्नपूर्णा का मंदिर है। यह धाम चंपावत से 92 किमी और टनकपुर से 22 किमी दूर है। इसकी गिनती 52 शक्तिपीठों में होती है।
- बाणासुर किला : यह किला लोहाघाट से सात किमी दूर कर्णकरायत में स्थित है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने यहीं पर बाणासुर नामक दैत्य की सेना के साथ युद्ध कर बाणासुर का वध किया था।