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Weather Update: कमजोर चक्रवात के असर से उत्तराखंड से ठंड गायब, दिवाली के बाद ही बदलेगा मौसम

Weather Update उत्तराखंड में कमजोर चक्रवात के कारण ठंड का असर अभी तक नदारद है। पहाड़ से लेकर मैदान तक न्यूनतम तापमान सामान्य से 4 डिग्री अधिक बना हुआ है। अक्टूबर में 91 प्रतिशत कम बारिश हुई है। दिवाली के बाद ही मौसम में बदलाव की उम्मीद है। मौसम विज्ञानी इसके पीछे की वजह वर्षा न होने को मानते हैं। जानिए मौसम वैज्ञानिक क्या कहते हैं।

By ganesh pandey Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 23 Oct 2024 02:26 PM (IST)
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Weather Update: उत्तराखंड से ठंड गायब. File Photo
गणेश पांडे, जागरण चंपावत। Weather Update: बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात के कमजोर रहने से उत्तराखंड में ठंड अभी तक बेअसर रही है। इसका असर पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों में दिखा है। पिछले वर्षों की अपेक्षा न्यूनतम तापमान चार डिग्री तक अधिक बना हुआ है।

मौसम विज्ञानी इसके पीछे की वजह वर्षा न होने को मानते हैं। दो अक्टूबर को उत्तराखंड से मानसून की विदाई के बाद से अभी तक बंगाल की खाड़ी में मजबूत साइक्लोन (चक्रवात) नहीं बना है। इसकी वजह से अक्टूबर की वर्षा में 91 प्रतिशत तक कमी आई है।  उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मैदानी भूभाग में सुबह-शाम के तापमान में भले थोड़ी गिरावट आई है, लेकिन पिछले वर्षों के साथ ही सामान्य तापमान की अपेक्षा अधिक बना हुआ है।

खास असरदार महसूस नहीं हो रही ठंड

पिथौरागढ़, चंपावत में लोगों को कहते सुना जा रहा कि अक्टूबर विदाई की दहलीज पर है और ठंड खास असरदार महसूस नहीं हो रही। इस पर बात करने पर जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के मौसम विज्ञानी डा. आरके सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में अक्टूबर में वर्षा बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात के प्रभाव से होती है।

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हवा अपने साथ नमी लेकर आती है और उच्च हिमालयी क्षेत्रों के साथ देहरादून, हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर तक वर्षा देकर जाती है। इस बार मजबूत साइक्लोन नहीं बने हैं। एक से 22 अक्टूबर के बीच प्रदेश में 28.9 मिमी वर्षा होती है। इस बार मात्र 2.7 मिमी वर्षा हुई है। देहरादून, पौड़ी, टिहरी, ऊधमसिंह नगर व उत्तरकाशी में अक्टूबर में बूंद तक नहीं गिरी।

नवंबर से आने शुरू होंगे पश्चिमी विक्षोभ

अक्टूबर से दिसंबर के बीच पोस्ट मानसून अवधि में होने वाली वर्षा बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात व पश्चिमी विक्षोभ पर निर्भर करती है। डा. सिंह ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ आने की शुरुआत नवंबर से होगी। बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात को नवंबर से पश्चिमी विक्षोभ का साथ मिलने लगेगा। इससे वर्षा व हिमपात की गतिविधि बढ़ने से ठंड प्रभावी होने लगेगी। पश्चिमी विक्षोभ का असर मध्य अप्रैल तक देखा जाता है।

प्रमुख स्थानों का न्यूनतम तापमान (डिग्री सेल्सियस में)

  • स्थान -तापमान -सामान्य से अधिक
  • मुक्तेश्वर -9.4-         0.9
  • पंतनगर -19.4 -4.0
  • अल्मोड़ा -8.7 -2.0
  • पिथौरागढ़-   12.5 -1.9
  • देहरादून-    17.5 -2.2
  • टिहरी -11.7 -1.2
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पिछले 10 वर्षों में सबसे सर्द अक्टूबर

पिछले 10 वर्षों का ट्रेंड देखें तो कुमाऊं के मुक्तेश्वर में 2012 में 25 अक्टूबर को सबसे कम 4.9 डिग्री तापमान पहुंचा था। 7.9 डिग्री के साथ 27 अक्टूबर 2020 सबसे कम सर्द था। पंतनगर में 29 अक्टूबर 2012 को सबसे कम 8.9 डिग्री पारा रहा। 13.2 डिग्री तापमान के साथ 22 अक्टूबर 2019 सबसे कम ठंडा रहा।

वर्षा में कमी की वजह से इस बार तापमान में अपेक्षानुरूप कमी नहीं आई है। 22 व 23 अक्टूबर को उच्च हिमालय में आंशिक बादल रहेंगे। अगला एक सप्ताह शुष्क बीतना है। पश्चिमी विक्षोभ आने के साथ हवा बदल जाएगी।  - डा. आरके सिंह, मौसम विज्ञानी

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