1000 घोस्ट विलेज हैं यहां, तीन लाख घरों पर ताले; कागजों में योजनाएं
उत्तराखंड 2.85 लाख घरों में ताले लटके हैं और करीब 1000 गांव घोस्ट विलेज घोषित हो चुके हैं। ऐसे में विचारणीय प्रश्न है कि सरकारों ने पलायन रोकने के लिए क्या किया।
देहरादून, [जेएनएन]: पृथक उत्तराखंड के लिए भले ही उत्तराखंड की एक पीढ़ी ने दिन-रात एक कर दिया हो, भले ही उस पीढ़ी के सैंकड़ों नौजवानों ने जान गंवा दी हो। लेकिन अलग राज्य बनने के बाद भी सपनों का उत्तराखंड सपनों में ही है। विकास हुआ है तो सिर्फ नेताओं का। 17 साल में 8 मुख्यमंत्री देख चुके उत्तराखंड में पलायन पहले की तुलना में साल 2000 के बाद कई गुणा बढ़ गया। आज राज्य में 2.85 लाख घरों में ताले लटके हैं और करीब 1000 गांव घोस्ट विलेज घोषित हो चुके हैं। ऐसे में विचारणीय प्रश्न है कि पिछली सरकारों ने पलायन रोकने के लिए क्या किया और मौजूदा सरकार क्या कर रही है।
भयावाह हैं पलायन के आंकड़े
पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड से गांव लगातार खाली हो रहे हैं। 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि पलायन के चलते 2.85 लाख घरों में ताले लटके हैं। यही नहीं, 968 गांव भुतहा घोषित किए जा चुके हैं। यानी इन गांवों में कोई नहीं रहता और वहां के घर खंडहर में तब्दील हो गए हैं। दो हजार के लगभग गांव ऐसे हैं, जिनके बंद घरों के दरवाजे पूजा अथवा किसी खास मौके पर ही खुलते हैं। इस सबका का असर खेती पर भी पड़ा है।
बंजर हुई कृषि भूमि
सरकार भी मानती है कि राज्य गठन से अब तक 70 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर में तब्दील हो गई है। हालांकि, गैर सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो बंजर कृषि भूमि का रकबा एक लाख हेक्टेयर से अधिक है।
वीरान पड़े गांव को आबाद करने की कोशिश
कोशिशें परवान चढ़ीं तो राज्य के 95 विकासखंडों में वीरान गांव भी खूब चमक बिखरेंगे। गांवों से लगातार हो रहे पलायन को थामने के लिए सरकार ने हर ब्लाक में किसानों को केंद्र में रखकर एक मॉडल गांव बनाने का निर्णय लिया है। सभी तरह की सुविधाओं से लैस मॉडल गांव के आधार अन्य गांवों को भी धीरे-धीरे इसी तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
लिए जा रहे हैं सुझाव
इस सिलसिले में कृषि, सहकारिता, उद्यान, डेयरी, पशुपालन, ग्राम्य विकास समेत अन्य विभागों से सुझाव लिए जा रहे हैं। सहकारिता राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अनुसार जल्द ही मॉडल गांव घोषित कर वहां विभिन्न योजनाएं संचालित की जाएंगी।
हर विकासखंड में बनेगा एक मॉडल गांव
देर से ही सही, लेकिन अब सरकार ने गांवों में पलायन को रोकने के लिए कसरत शुरू कर दी है। मौजूदा सरकार ने गांव की आत्मा यानी किसान को ध्यान में रखकर प्रत्येक विकासखंड में एक मॉडल गांव विकसित करने की ठानी है। वैसे भी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी है। इस लिहाज से उसका यह कदम अभूतपूर्व हो सकता है।
सहकारिता राज्यमंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मॉडल गांव बनाने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इसके साथ ही मॉडल गांव का खाका तैयार करने की कवायद भी प्रारंभ कर दी गई है। डॉ.रावत के अनुसार मॉडल गांव में किसान को केंद्र में रखकर सभी विभाग वहां मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही विभिन्न योजनाएं संचालित करेंगे। रोजगारपरक कार्यक्रम भी संचालित होंगे।
उन्होंने बताया कि मॉडल गांव पूरे विकासखंड के लिए एक आधार होंगे और फिर इसी तर्ज पर अन्य गांव भी विकसित किए जाएंगे। इससे जहां पलायन पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी, वहीं खेती संवरने से किसानों की आय भी दोगुना होगी।
उत्तराखंड की तस्वीर
7555 कुल ग्राम पंचायतें
16793 गांवों की संख्या
3000 गांव अब तक खाली
3200000 लोगों ने पहाड़ छोड़ा
280000 घरों में लटके हैं ताले
750 स्कूल भवन हो चुके जर्जर
5000 सड़क सुविधा से वंचित गांव
2344 प्राथमिक व जू.हा.बंदी के कगार पर
पर्वतीय क्षेत्र में खाली घर
जनपद-------------संख्या
अल्मोड़ा-----------36401
पौड़ी---------------35654
टिहरी-------------33689
पिथौरागढ़--------22936
देहरादून----------20625
चमोली-----------18535
नैनीताल----------15075
उत्तरकाशी-------11710
चम्पावत---------11281
रुद्रप्रयाग---------10970
बागेश्वर---------10073
प्रदेश में घोस्ट विलेज
जिला--------------संख्या
पौड़ी---------------331
अल्मोड़ा----------105
हरिद्वार----------94
टिहरी-------------88
चमोली-----------76
बागेश्वर---------73
चंपावत-----------55
नैनीताल---------44
टिहरी------------35
पिथौरागढ़-------23
देहरादून---------17
ऊधमसिंहनगर--14
उत्तरकाशी------13
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