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Operation Satya: एक महीने में 112 नशा तस्कर पहुंचे जेल, बनाई जा रही ये योजना

ऑपरेशन सत्य को एक माह पूरा हो गया है। पुलिस ने इस एक महीने में 112 नशा तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। नशे के खिलाफ अभियान को जारी रखते हुए पुलिस अब दूसरे राज्यों में सक्रिय नशा तस्करों की गिरफ्तारी की योजना बना रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 01 Nov 2020 03:20 PM (IST)
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एक महीने में 112 नशा तस्कर पहुंचे जेल।
देहरादून, जेएनएन। दून पुलिस की ओर से नशे के खिलाफ चलाए गए 'ऑपरेशन सत्य' को एक माह पूरा हो गया है। पुलिस ने इस एक महीने में 112 नशा तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। नशे के खिलाफ अभियान को जारी रखते हुए पुलिस अब दूसरे राज्यों में सक्रिय नशा तस्करों की गिरफ्तारी की योजना बना रही है। 

योजना के तहत पुलिस एनडीपीएस एक्ट के तहत जमानत पर रिहा आरोपितों और मुख्य आरोपितों का सत्यापन कर उनकी गतिविधियों की जानकारी हासिल करेगी। यही नहीं, एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार आरोपितों को सजा दिलाने के लिए विवेचकों की विवेचना में गुणवत्ता लाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। 

एक माह में 56 लोगों ने छोड़ा नशा 

ऑपरेश सत्य के दौरान पुलिस ने न सिर्फ नशा तस्करों को पकड़ा, बल्कि नशे के दलदल में फंस चुके नौजवानों को नशा  छोड़ने के लिए जागरूक किया। इसी का नतीजा है कि एक महीने के भीतर छप्पन लोगों ने नशा छोड़ दिया। अभियान के तहत पुलिस की ओर से 842 व्यक्ति चिह्नित किए गए थे। उनकी पहले थाना स्तर पर काउंसलिंग की गई। इसके बाद 142 की पुलिस लाइन में एक्सपर्ट पैनल की ओर से काउंसलिंग की गई और नशा छोड़ने की चाह रखने वाले 35 लोगों को नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती कराया। 

शॉर्ट फिल्मों से दिखाएंगे नशे के दुष्परिणाम 

नशा सेहत के लिए कितना नुकसानदायक है और इसके दुष्परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं यह सब शॉर्ट फिल्मों में देखने को मिलेगा। डीआइजी अरुण मोहन जोशी के निर्देशन में एसपी क्राइम लोकजीत सिंह की ओर से नशे के दुष्परिणाम को दर्शाती शॉर्ट फिल्में बनाई गई हैं। इसके अलावा नशे से पीड़ित लोगों को नशे से दूर रखने के लिए पुलिस जल्द ही खेल गतिविधियां शुरू करने जा रही है। 

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डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि ऑपरेशन सत्य के तहत न सिर्फ नशा तस्करों को पकड़ा गया, बल्कि नशे के दलदल में फंस चुके युवाओं को बाहर भी निकाला जा रहा है। नशा छुड़वाने के लिए लगातार चिकित्सकों से उनकी काउंसलिंग कराई जा रही है। कुछ ने नशा छोड़ भी दिया है, जबकि कुछ को उनके स्वजनों की सहमति से नशा मुक्ति केंद्र में भी भर्ती कराया गया है।     

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