अब भला कौन छुड़ाएगा सड़क का 12 फीट हिस्सा, जानिए पूरा मामला Dehradun News
शहर की तमाम सड़कों पर दोनों तरफ करीब छह-छह फीट के जो फुटपाथ बने हैं उन पर न तो राहगीर चल पा रहे हैं और न ही उनका उपयोग मूल सड़क के काम आ पा रहा है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 10 Aug 2019 02:24 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। यह सीधा सवाल सड़क बनाने वाली एजेंसी लोनिवि से है, जिले के सबसे बड़े अधिकारी जिलाधिकारी से है, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से है और उतना ही सवाल शहर की व्यवस्था देख रहे नगर आयुक्त से भी है।
शहर की तमाम सड़कों पर दोनों तरफ करीब छह-छह फीट (कुल 12 फीट) के जो फुटपाथ बने हैं, उन पर न तो राहगीर चल पा रहे हैं और न ही उनका उपयोग मूल सड़क के काम आ पा रहा है। स्पष्ट है कि सड़क का इतना चौड़ा भाग, जिस पर वाहन चल सकते थे, जरूरत के मुताबिक वाहन खड़े हो सकते थे, उन्हें खुलेआम अधिकारियों की नाक के नीचे कब्जा लिया गया है। सवाल यह भी है कि जब फुटपाथ पर लोगों के चलने की जगह ही नहीं है तो क्यों नहीं इस 12 फीट के हिस्से को मूल सड़क में मिला दिया जाता। क्योंकि फुटपाथ कम से कम 15 सेंटीमीटर (इंडियन रोड कांग्रेस के मानक के अनुसार) की ऊंचाई पर बने हैं, लिहाजा इन पर लोगों की जरूरत के मुताबिक सार्वजनिक पार्किंग भी नहीं कराई जा सकती। दूसरी तरफ इन पर दुकानें सजी हैं, व्यापारियों के निजी वाहन खड़े हैं, वर्कशॉप तक चल रही हैं। बेशक यह अतिक्रमण अस्थायी हैं, मगर दिन चढ़ते ही जब राहगीरों और उनके वाहनों को सड़क की जरूरत होती है, तब इन पर बाजार सजे होते हैं। देर रात तक जब व्यापारी अपना कारोबार समेटते हैं, तब इन खुले फटपाथों पर चलने के लिए लोग नहीं होते। यानी कि इन अस्थायी कब्जों को भी स्थायी माना जा सकता है। फिर भी पुलिस और प्रशासन की आंखें अतिक्रमित फुटपाथों पर हमेशा बंद रहती हैं। इस स्थिति में लोगों ने भी मान लिया है कि फुटपाथ पर उनका अधिकार है ही नहीं, या कब्जों की स्थिति को देखते हुए उन्होंने जान जोखिम में डालकर सड़क पर चलने को ही नियति मान लिया है।
एक लेन के बराबर है यह चौड़ाई
दून शहर ट्रैफिक के भार तले दबा है। राह को सुगम बनाने के नाम पर पुलिस झटपट जगह-जगह कट बंद करने में, बिना कारगर प्लान सड़कों को वन-वे करने में रुचि तो दिखाती है, पर इस सवाल पर मंथन नहीं किया जाता है कि यदि कब्जा लिए गए फुटपाथ को सड़क में मिला लिया जाए तो एक अतिरिक्त लेन के बराबर जगह मिल जाएगी। प्रायोगिक रूप से यह इसलिए भी करना जरूरी है कि जिन कारोबारियों ने फुटपाथ को निजी जागीर समझ लिया है, उनके यहां आने वाले ग्राहक इसके बाद मूल सड़क को घेरकर अपने वाहन खड़े करते हैं। इससे जाम की समस्या और बढ़ जाती है, पूरा खामियाजा शहर की करीब नौ लाख की आबादी को भुगतना पड़ता है।
नौ करोड़ के फुटपाथ और रेलिंग की सौगात अतिक्रमणकारियों को
घंटाघर से आइएसबीटी तक की जिस सड़क को मॉडल रोड का नाम देकर 22 जून 2017 को नौ मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में अतिक्रमण से मुक्त कराया गया था, तब लग रहा था कि यह पहल पूरे शहर के लिए नजीर बनेगी। वह इसलिए कि सड़कों पर से कब्जों को हटाकर फुटपाथ दुरुस्त कर दिए गए थे और उन पर कब्जे न हों, इसलिए लोहे की रेलिंग भी लगा दी गई। इस काम में लोनिवि प्रांतीय खंड, लोनिवि निर्माण खंड व राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला ने करीब नौ करोड़ रुपये का बजट भी खपा डाला। व्यवस्था बन गई थी और अब जिम्मेदारी अधिकारियों की थी कि व्यवस्था को बहाल रखा जाता। मगर, आज साफ नजर आता है कि नौ करोड़ रुपये खर्च कर जो फुटपाथ बनाए गए हैं, रेलिंग लगाई गई हैं, वह अतिक्रमणकारियों की निजी सुविधा का हिस्सा बन गई हैं। दुकानों के आगे फुटपाथ पर रेलिंग लग जाने से कारोबारी अपने-अपने हिस्सों पर कुर्सी डालकर बैठे रहते हैं और उनके वाहन भी आराम से फुटपाथ पर खड़े हो रहे हैं।
लक्खीबाग चौकी के सामने घुमा दिया फुटपाथ लोनिवि के वह अधिकारी भी क्या फुटपाथ खाली कराने का जतन कर पाएंगे, जिन्होंने सड़क की जरूरत को दरकिनार करते हुए व्यापारियों के लाभ के लिए सीधे बनने वाले फुटपाथों को जहां-जहां मोड़कर सड़क को और संकरा बना दिया। गांधी रोड पर लक्खीबाग चौकी के सामने बना फुटपाथ इस बात का जीता जागता उदाहरण है। प्रिंस चौक की तरफ से फुटपाथ सीधा आ रहा है, मगर इस भाग पर इसे सड़क की तरफ कुछ अधिक ही घुमाकर बनाया गया है। यह सड़क पहले ही दो हिस्सों में बंटी है और फुटपाथ वाले हिस्से पर चौड़ाई सिंगल लेन से भी अधिक रह गई है। इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों की धज्जियां अधिकारी न तो सड़क की जरूरी चौड़ाई को बरकरार रखने के लिए फुटपाथ को सड़क के स्तर पर ला रहे हैं, न ही इंडियन रोड कांग्रेस (आइआरसी) के मानकों के अनुरूप ही फुटपाथ का निर्माण कर रहे हैं। आइआरसी के मानकों में स्पष्ट है कि फुटपाथ पूरी तरह से खुले होने चाहिए। उनमें न तो कहीं बीच में खंभे निकले हों, न ही किसी तरह की अन्य बाधा हो। यहां तक कि यदि फुटपाथ के ऊपर कोई शेड लगा है तो उसकी ऊंचाई कम से कम 2.2 मीटर होनी चाहिए। इन मानकों को धरातलीय स्थिति पर परखें तो जगह-जगह अस्थाई शेड बनाकर फुटपाथ पर कब्जे किए गए हैं। सहारनपुर रोड पर ही भूसा स्टोर के पास एक बड़ा ट्रांसफार्मर फुटपाथ के बीचों बीच खड़ा है। जहां फुटपाथ नहीं, वहां भी सड़क का हिस्सा गायब जहां सड़क पर फुटपाथ नहीं बने हैं, वहां भी सड़क को पूरी चौड़ाई नहीं मिल पा रही। ऐसे स्थानों पर सड़क के दोनों तरफ बनी नालियों के ऊपर मजबूत स्लैब नहीं बनाए गए हैं। यदि स्लैब बनाए गए होते तो नाली के दोनों तरफ उसका प्रयोग पार्किंग के लिए हो सकता था। इससे सीधे तौर पर पता चलता है कि सड़क पर वाहनों की राह सुगम करने के लिए अधिकारियों में उपयुक्त सोच की कमी भी है। स्मार्ट पार्किंग में व्यवस्था बन सकती है तो पूरे शहर में क्यों नहीं घंटाघर से सिलवर सिटी तक सड़क के दोनों तरफ दर्जनों स्थान पर स्मार्ट पार्किंग की व्यवस्था चल रही है। सड़क पर सुव्यवस्थित पाकिंर्ग इसलिए संभव हो पा रही है, क्योंकि यहां फुटपाथ सड़क के स्तर तक बने हैं। इस तरह जहां सड़क पर अधिक चौड़ी जगह है, वहां सैकड़ों वाहनों को आराम से खड़ा किया जा रहा है। यदि यहां भी कम से कम 15 सेंटीमीटर ऊंचे फुटपाथ बना दिए जाते तो निश्चित तौर पर वह कब्जे की भेंट चढ़ गए होते और लोगों को पार्किंग की जगह भी नहीं मिल पाती। यह भी पढ़ें: 23 लाख खर्च और चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्लान डंप, पढ़िए पूरी खबरयह भी पढ़ें: दून शहर को बना डाला ट्रैफिक की प्रयोगशाला, लोगों की परेशानी बढ़ी Dehradun Newsयह भी पढ़ें: देहरादून में चैन के पल हो रहे काफूर, ध्वनि प्रदूषण पर सिस्टम के कान बंद Dehradun Newsअब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
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