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ऑल वेदर रोड के लिए दी जाएगी 12 हजार पेड़ों की बलि

चारधाम के लिए ऑल वेदर रोड तैयार करने के लिए सरकार ने कसरत तेज कर दी है। इसके लिए 12 हजार से अधिक पेड़ों की बलि दी जा रही है। हालांकि इससे अधिक संख्या में वहां पौधरोपण होगा।

By BhanuEdited By: Updated: Sun, 05 Nov 2017 08:42 PM (IST)
ऑल वेदर रोड के लिए दी जाएगी 12 हजार पेड़ों की बलि

देहरादून, [राज्य ब्यूरो: उत्तराखंड प्रदेश में चारधाम के लिए महत्वाकांक्षी आल वेदर रोड परियोजना को लेकर शासन स्तर पर कसरत तेज हुई है। इस कड़ी में परियोजना से जुड़े जिन सात खंडों में वन भूमि हस्तांतरण से संबंधित 16 मामलों में केंद्र से स्वीकृति मिल चुकी है, वहां एक पखवाड़े के भीतर पेड़ कटान का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। 12 हजार से अधिक पेड़ इस परियोजना की जद में आ रहे हैं। 

हालांकि, इस भूमि के बदले में वन विभाग को मिलने वाली भूमि में इसके दुगने से अधिक पौधे लगाए जाएंगे। वहीं, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी वन समेत अन्य विभागों को निर्देश दिए हैं कि परियोजना से जुड़े प्रथम चरण के कार्यों को अविलंब पूरा किया जाए।

आल वेदर रोड परियोजना को लेकर अब तक वन भूमि हस्तांतरण के 27 प्रस्ताव आए हैं। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आरके महाजन के मुताबिक इनमें से 16 को केंद्र सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है, जबकि छह मामले अंतिम चरण में है और एकाध दिन में ये भी क्लीयर हो जाएंगे। 

शेष पांच मामलों में कार्रवाई चल रही है, जिसे जल्द पूरा करा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन 16 मामलों में स्वीकृति मिल चुकी है, वहां पेड़ कटान प्रांरभ करने के निर्देश उत्तराखंड वन विकास निगम को दिए जा चुके हैं। निगम जल्द ही यह कार्य प्रारंभ कर देगा।

वहीं, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी इस परियोजना से जुड़े वन, भूमि अध्याप्ति, राजस्व समेत अन्य विभागों के अधिकारियों की बैठक में समीक्षा की। उन्होंने बताया कि परियोजना के सात पैकेज में सड़क तैयार होनी है। 

इसके लिए सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि भूमि अध्याप्ति, वन भूमि हस्तांतरण, पेड़ कटान से संबंधित मामलों का पखवाड़ेभर के भीतर निस्तारण सुनिश्चित करा लिया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि पहला कार्य भूमि की उपलब्धता का है, लिहाज पहले इस पर फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि परियोजना की कड़ी निगरानी रखी जाएगी, ताकि कार्य तेजी से हों। सरकार की मंशा है कि इस सड़क के माध्यम से यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों के निवासियों को भी लाभ मिले।

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