यहां 100 वर्ग किमी वन क्षेत्र पर 13 गुलदार, भोजन का बना है संकट
पौड़ी में राजाजी टाइगर रिजर्व व कार्बेट टाइगर रिजर्व के बीच के जंगलों में गुलदार के लिए ना के बराबर भोजन (वन्यजीव) बचा है। यहां करीब 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 13 गुलदार हैं।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 22 Aug 2019 08:49 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। पौड़ी में राजाजी टाइगर रिजर्व व कार्बेट टाइगर रिजर्व के बीच के जंगलों में गुलदार के लिए ना के बराबर भोजन (वन्यजीव) बचा है। वहीं, यहां करीब 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 13 गुलदार सक्रिय हैं, जिनकी संख्या भोजन के लिहाज से अधिक है। ऐसे में ये आबादी में घुसकर मानव के साथ संघर्ष को बढ़ा रहे हैं।
भारतीय वन्यजीव संस्थान में आयोजित हिमालयन रिसर्च सेमिनार में इस बात को साझा करते हुए शोधार्थियों ने इसकी रोकथाम की तकनीक पर भी प्रकाश डाला। सेमिनार में शोधार्थियों ने बताया कि गुलदार को आबादी में घुसने से रोकने के लिए जंगल के सटे गांवों में 15 फॉक्स लाइट लगाई गई हैं। ये लाइटें ऊंचे स्थानों पर लगी हैं और इनसे अलग-अलग रंग की आकृतियां बनती हैं। इससे गुलदारों की घुसपैठ में 80 फीसद तक की कमी आई है। शोधार्थियों ने बल दिया कि इस तरह की फॉक्स लाइट अधिक से अधिक प्रभावित क्षेत्रों में लगाई जानी चाहिए। इसके अलावा वन क्षेत्रों में घुरड़, काकड़, जंगली खरगोश आदि की संख्या बढ़ाने के लिए भी वन विभाग को प्रयास करने के सुझाव दिए गए। यही नहीं वन्यजीवों के अवैध शिकार पर भी रोक लगाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
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इसके अलावा विभिन्न पोस्टर प्रस्तुतिकरण भी सेमिनार में किए गए। कार्यक्रम में डीन डॉ. जीएस रावत, बीएस बोनाल, डॉ. के रमेश, एस लिंगदोह, डॉ. बीएस अधिकारी, डॉ. रुचि बडोला, डॉ. वीपी उनियाल आदि उपस्थित रहे।
विश्व में लुप्त हो चुकी उड़न गिलहरी गंगोत्री में
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सेमिनार में बताया गया कि विश्वभर में लुप्त हो चुकी और 10 साल पहले सिर्फ पाकिस्तान में रिपोर्ट की गई उड़न गिलहरी गंगोत्री नेशनल पार्क में पाई गई है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस सत्यकुमार ने बताया कि यह गिलहरी अब तक रिपोर्ट की गई गिलहरियों में से सबसे बड़ी है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में तिब्बतन अर्गली, तिब्बतन सैंड फॉक्स, तिब्बती खरगोश, यूरेशियन लिंक्स आदि के आचार-व्यवहार पर भी प्रकाश डाला गया।
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