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उत्तराखंड में जनवरी से अब तक हो चुकी 14 बाघों की मौत, बिसरा रिपोर्ट से सुझलेगी मौत की गुत्थी

बाघों के सरंक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे उत्तराखंड में इस वर्ष जनवरी से अब तक 14 बाघों की अलग-अलग क्षेत्रों में हुई मौत की गुत्थी बिसरा रिपोर्ट से सुलझेगी। बाघों के मौत के मामले में अभी तक की जांच में मौत के पीछे प्रतिशोध व शिकार की बात सामने नहीं आई है। बाघों के घने जंगल में मिलने और इनके सभी अंग सुरक्षित पाए जाने के दृष्टिगत यह दावा किया जा रहा है।

By Riya.PandeyEdited By: Riya.PandeyUpdated: Wed, 21 Jun 2023 09:31 PM (IST)
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बिसरा रिपोर्ट से सुलझेगी 14 बाघों की अलग-अलग क्षेत्रों में हुई मौत की गुत्थी
राज्य ब्यूरो, देहरादून: बाघों के सरंक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे उत्तराखंड में इस वर्ष जनवरी से अब तक 14 बाघों की अलग-अलग क्षेत्रों में हुई मौत की गुत्थी बिसरा रिपोर्ट से सुलझेगी।

बिसरा रिपोर्ट में सामने आयेगा बाघों की मौत का सच

बाघों के मौत के मामले में अभी तक की जांच में मौत के पीछे प्रतिशोध व शिकार की बात सामने नहीं आई है। बाघों के घने जंगल में मिलने और इनके सभी अंग सुरक्षित पाए जाने के दृष्टिगत यह दावा किया जा रहा है। हालांकि अब इन मामलों में भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) से बिसरा रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है। इससे कारणों के संबंध में स्पष्टता आ सकेगी।

अब तक 14 बाघों की मौत

राज्य में कार्बेट टाइगर रिजर्व में चार,तराई पूर्वी,पश्चिमी व केंद्रीय,अल्मोड़ा और रामनगर वन प्रभागों में नौ, राजाजी टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मौत जनवरी से अब तक अलग-अलग तिथियों में हुई। इससे विभाग में हड़कंप मचना स्वाभाविक है। स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी विभाग को इन प्रकरणों की गहनता से पड़ताल करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं, कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशकों से रिपोर्ट मांगी गई। प्रारंभिक रिपोर्ट में बाघों की मौत प्राकृतिक रूप से होना पाया गया। यद्यपि, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा समीर सिन्हा ने रिपोर्ट मिलने के बाद कुछ और बिंदुओं पर स्पष्टता चाही है।

जहर से नहीं हुई बाघों की मौत

सूत्रों ने बताया कि इस अवधि में जितने भी बाघ मृत मिले उनके खाल, हड्डियां व दांत सुरक्षित पाए गए। एक शव सड़ा-गला था लेकिन सभी हड्डियां सुरिक्षत थीं। इसके साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इन्हें जहर देने की बात भी सामने नहीं आई है। ऐसे में इनके शिकार व प्रतिशोध में मार डालने की संभावना नहीं है। सभी मृत बाघों का बिसरा जांच के लिए आइवीआरआइ भेजा गया।

मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं व दोनों टाइगर रिजर्व के निदेशकों की ओर से अब आइवीआरआई से बिसरा रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है। इसके साथ ही बाघों की मौत किन परिस्थितियों में हुई इसकी गहनता से पड़ताल की जा रही है।

राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा सिन्हा ने बताया कि मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं और दोनों टाइगर रिजर्व के निदेशकों को फाइनल रिपोर्ट जल्द देने को कहा गया है।

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