पाश्चात्य संगीत की उम्र थोड़ी, शास्त्रीय संगीत है अमर: देशपांडे
जागरण संवाददाता, देहरादून : कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित शास्त्रीय संगीतकार अश्विनी भिड़े द
By JagranEdited By: Updated: Fri, 27 Oct 2017 07:48 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून :
कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित शास्त्रीय संगीतकार अश्विनी भिड़े देशपांडे ने कहा कि शास्त्रीय संगीत ही उनका जीवन है। संगीत नहीं तो जीवन में कुछ भी नहीं है। देशपांडे ने कहा कि भले ही आज पश्चिम का संगीत हावी हो, लेकिन दिल को सुकून तो भारतीय शास्त्रीय संगीत से ही मिलता है। शुक्रवार को स्पिक मैके की ओर से दून में आयोजित तीन दिवसीय ¨हदुस्तानी शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम के अंतिम दिन संगीतकार अश्विनी देशपांडे ने कहा कि वर्तमान में भारतीय शास्त्रीय संगीत बुरे दौर से गुजर रहा है। आज देश की युवा पीढ़ी पाश्चात्य संगीत की ओर खिंची चली जा रही है। वह पाश्चात्य संगीत को ही पंसद कर रही है और उसी में उसे भविष्य भी नजर आ रहा है। लेकिन, उसे नहीं मालूम कि संगीत के नए स्वरूपों का प्रचलन अधिक समय तक नहीं रहता। समय के साथ इनकी मांग घटती चली जाती है। जबकि, शास्त्रीय संगीत सनातन है। उसकी मांग हमेशा बनी रहती है। संगीतकार देशपांडे ने बताया कि छोटी उम्र से ही उन्हें शास्त्रीय संगीत के प्रति लगाव हो गया था। धीरे-धीरे इससे इतना सुकून मिलने लगा कि उन्होंने इसे ही अपनी जिंदगी बनाने का फैसला किया। आज भले ही उनकी उम्र काफी हो गई हो, लेकिन वह शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों का हिस्सा बनने से खुद को रोक नहीं पाती हैं। उन्होंने युवाओं का भी शास्त्रीय संगीत को अपनाने का आह्वान किया।
शास्त्रीय संगीत की अमिट छाप छोड़ी कार्यक्रम में संगीतकार अश्विनी देशपांडे ने शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विनोद लेले ने तबले और विनय मिश्रा ने हारमोनियम पर संगत दी।
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