Move to Jagran APP

उत्तराखंड में 20 हजार पदोन्नति और नई भर्तियों की राह हुई आसान

पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश के सभी विभागों में लंबित करीब बीस हजार पदोन्नति और नई भर्तियों राह भी खुलती नजर आ रही है।

By BhanuEdited By: Updated: Sun, 09 Feb 2020 08:08 PM (IST)
Hero Image
उत्तराखंड में 20 हजार पदोन्नति और नई भर्तियों की राह हुई आसान
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश के सभी विभागों में लंबित पदोन्नतियों के खुलने व इसके सापेक्ष रिक्त होने वाले पदों पर भर्तियों की राह भी खुलती नजर आ रही है। 

उत्तराखंड में बीते मई माह से विभागों में पदोन्नति रुकी हुई थीं। अधिकांश विभागों में पदोन्नति के बाद ही निचले पद खाली होने थे, जिन पर भर्ती की जानी थी। इनकी संख्या तकरीबन 20 हजार के आसपास मानी जा रही है। हालांकि, सही आंकड़ा जुटाने के लिए कार्मिक विभाग सभी विभागों से विस्तृत जानकारी लेने की तैयारी कर रहा है।

प्रदेश सरकार ने बीते सितंबर माह में प्रदेश में सभी विभागों में डीपीसी बैठकों को स्थगित करते हुए पदोन्नति प्रक्रियाओं पर रोक लगा दी थी। इसका आधार हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण के मसले को लेकर चल रहे मुकदमों को बताया गया।कोर्ट में चल रहे इन मुकदमों का सबसे अधिक असर नौकरी की राह ताक रहे युवाओं और सेवानिवृति की दहलीज पर खड़े कार्मिकों पर पड़ा। 

दरअसल, प्रदेश के विभिन्न विभागों में निचली श्रेणी के अधिकांश पद सीधी भर्ती के हैं। इनके उपर के पदों पर भी आधे पद सीधी भर्ती तो आधे पदोन्नति के जरिये भरे जाते हैं। वर्ष 2018 में सरकार ने जब ऐसे पदों की गणना की थी तब इनकी संख्या 26 हजार आंकी गई थी। 

हालांकि, इसके बाद इनमें से कुछ पदों पर तो भर्ती हुई लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में पद रिक्त पड़े हुए हैं। इनमें राजस्व, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, परिवहन, वन विभाग, वन निगम, सिंचाई विभाग, खाद्य-आपूर्ति, आबकारी, उद्योग व आयुष आदि समेत 40 विभागों के पद शामिल हैं। अपर सचिव कार्मिक सुमन सिंह वाल्दिया ने कहा कि कोर्ट का फैसला आने के बाद अब जल्द डीपीसी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। विभागों से भी पदोन्नति के सापेक्ष रिक्त होने वाले पदों का ब्योरा लिया जाएगा। 

अब रोस्टर को कैबिनेट उप समिति पर टिकी निगाहें

पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब सोमवार 10 फरवरी को पदोन्नति पर लगी रोक समाप्त होने की उम्मीदें जग गई हैं। इसके साथ ही कर्मचारी संगठनों की नजरें अब सीधी भर्ती के आरक्षण रोस्टर ०पर टिक गई है। इस पर मंगलवार को कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा निर्णय लिया जाना है। अब इस मामले में दबाव बनाने के लिए कर्मचारी संगठन जुट गए हैं।

पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आए निर्णय के बाद प्रदेश में सरकार द्वारा सभी विभागों में पदोन्नति पर लगाई गई रोक के हटने की उम्मीद है। इस रोक के हटने के बाद इन विभागों में पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इनके सापेक्ष रिक्त होने वाले पदों पर भर्ती का रास्ता भी खुल जाएगा।

यह नई भर्तियां कार्मिक विभाग द्वारा तैयार किए गए आरक्षण रोस्टर के आधार पर की जाएंगी। शासन ने यह रोस्टर बीते वर्ष सितंबर में तैयारी किया था। इस रोस्टर के जारी होने के बाद ही बवाल मचना शुरू हो गया था। दरअसल, आरक्षण रोस्टर में की गई नई व्यवस्था के तहत सामान्य वर्ग को पहले अनुसूचित जाति को छठवें, अन्य पिछड़ा वर्ग को आठवें, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10वें और अनुसूचित जनजाति को 25वें क्रम में रखा गया है। 

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद तय करेंगे रणनीति

इसी तरह नए रोस्टर में आरक्षण के लिहाज से की गई पदों की गणना में क्षैतिज आरक्षण की गणना करने की व्यवस्था की गई है। इस नए रोस्टर का अनुसूचित जाति-जनजाति से जुड़े कार्मिक संगठनों ने तीव्र विरोध करते हुए पूर्ववर्ती व्यवस्था लागू करने की मांग की थी। इस मामले में कर्मचारी संगठनों के तल्ख तेवर देखते हुए शासन ने नए रोस्टर के परीक्षण के संबंध में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। यह समिति 11 फरवरी को कर्मचारी संगठनों के साथ इस संबंध में वार्ता करेगी। ऐसे में अभी कार्मिक संगठनों की नजरें इस बैठक पर टिक गई हैं। 

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने का आदेश बहाल

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।