उत्तराखंड में गेहूं की खरीद को 200 केंद्र, किसानों के खातों में सीधे जाएगी रकम
राज्य सरकार ने दो लाख मीटिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है और इसके लिए प्रदेशभर में 200 से ज्यादा खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। किसानों को भुगतान सीधे बैंक खातों में किया जाएगा।
By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Sat, 11 Apr 2020 11:17 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। खेतों में खड़ी रबी की मुख्य फसल गेहूं पककर तैयार है और मैदानी क्षेत्रों में कटाई भी शुरू हो गई है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने दो लाख मीटिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है और इसके लिए प्रदेशभर में 200 से ज्यादा खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। किसानों से खरीदे जाने वाले गेहूं का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा। इसकी व्यवस्था कर ली गई है।
अलबत्ता, हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक जिलों में फसल कटाई के लिए श्रमिकों के न मिलने से सरकार की पेशानी पर बल पड़े हैं। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार इस समस्या के मद्देनजर केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मनरेगा को कृषि कार्यों से जोड़ दिया जाए। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों के फसल कटाई के कार्य में लगने से श्रमिकों के न मिलने की समस्या दूर हो जाएगी। केंद्र ने विचार करने का भरोसा दिलाया है।
प्रदेश में 3.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की मुख्य फसल गेहूं की खेती होती है। इसमें करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर रकबा ऊधमसिंहनगर व हरिद्वार जिलों का है, जबकि शेष 11 जिलों का। इस बीच कोरोना वायरस की दस्तक और फिर इसकी रोकथाम के लिए घोषित लॉकडाउन का असर कृषि कार्यों पर भी पड़ा है।
हालांकि, सरकार पहले ही फसल कटाई-बुआई के साथ ही फसल की ढुलाई, इसमें लगने वाले श्रमिकों, वाहनों के अलावा खाद-बीज व रसायन केंद्रों को खुला रखने और कृषि निवेशों के परिवहन को लॉकडाउन से छूट दे चुकी है। बावजूद इसके चुनौती बनी हुई है।
असल में लॉकडाउन के चलते दूसरे प्रदेशों से आने वाले कृषि कार्य करने वाले श्रमिक यहां नहीं पहुंच पाए। जो श्रमिक यहां थे भी वे लॉकडाउन से पहले अपने प्रदेशों को चले गए। ऐसे में मुख्य दिक्कत हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर जिलों के साथ ही दूसरे मैदानी क्षेत्रों में आ रही है। यही कारण भी है कि मैदानी क्षेत्रों में खेतों में पककर तैयार खड़ी गेहूं की फसल कटाई की रफ्तार कुछ धीमी है।
किसानों को मिलेंगे सेनिटाइजर व मास्ककोरोना के संक्रमण से बचाव के मद्देनजर उठाए गए कदमों से किसानों को दिक्कत न हो, कृषि कार्यों को लॉकडाउन से छूट देने केसाथ ही अब परंपरागत कृषि विकास योजना में मुहैया कराए जाने वाले एग्रीकल्चर इनपुट में सेनिटाइजर, फेस मास्क व ग्लब्स को भी शामिल कर लिया गया है। इस सिलसिले में उत्तराखंड के आग्रह को स्वीकार करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रलय ने इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं। इससे उत्तराखंड के 2.80 लाख से किसानों को फायदा होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल ही में वीसी के जरिए राज्यों के साथ समीक्षा बैठक में कृषि, कृषि क्षेत्र केउत्पादों के उपार्जन, परिवहन पर चर्चा करने के साथ ही लॉकडाउन में कृषि एवं बागवानी क्षेत्र में इसके असर की विवेचना की थी।
जूट के बोरों की भी है कमीकृषि मंत्री ने बताया कि सरकार की जानकारी में आया है कि गेहूं खरीद के लिए जूट के बोरों की कमी है। इस बारे में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि गेहूं खरीद के दृष्टिगत राज्य को जूट के बोरों की जल्द से जल्द उपलब्धता कराई जाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही यह बोरे मिल जाएंगे।गेहूं की कटाई-मंडाई के लिए किसानों को मिलें मशीनें
कोरोना वायरस के चलते किए लॉकडाउन के कारण गेहूं की कटाई के लिए श्रमिक नहीं मिल पा रहे। ऐसे में जरूरी है कि समय से गेहूं की कटाई और मंडाई के लिए प्रत्येक ब्लाक में चार थ्रैसिंग मशीनें किसानों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। यह भी पढ़ें: Coronavirus: गेहूं की फसल पककर तैयार, शारीरिक दूरियां बनाकर हो रही कटाई
हरिद्वार जिले के नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रमुखों ने शुक्रवार को जिले के प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज से वार्ता के दरम्यान यह सुझाव रखा। दरअसल, हरिद्वार जिले के प्रभारी मंत्री महाराज ने कोरोना वायरस की रोकथाम के मद्देनजर चल रहे कार्यों और कठिनाइयों के सबंध में पंचायतों व नगर निकायों के प्रमुखों से टेलीफोन पर वार्ता की।यह भी पढ़ें: Uttarakhand lockdown: लॉकडाउन के चलते अब उत्तराखंड में 15 अप्रैल से होगी गेहूं की खरीद
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