37 कैडेट्स भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्यधारा में हुए शामिल
आर्मी कैडेट कॉलेज की 112वीं ग्रेजुएशन सेरेमनी में 37 कैडेट्स भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्यधारा में शामिल हुए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 30 Nov 2018 08:37 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। सिपाही के रूप में फौज के आधारभूत ढांचे को करीब से समझा और अब अधिकारी बनकर सेना को अपने नेतृत्व कौशल से मजबूत बनाएंगे। आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की 112वीं ग्रेजुएशन सेरेमनी में 37 कैडेट्स भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) की मुख्यधारा में शामिल हुए। अब वह अकादमी में एक साल का कड़ा प्रशिक्षण लेकर सेना में अधिकारी के रूप में पदार्पण करेंगे।
शुक्रवार को आइएमए के कार्यवाहक कमांडेंट मेजर जनरल जेएस नेहरा ने इन्हें उपाधि और अवार्ड दिए। 20 कैडेट ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम और 17 साइंस स्ट्रीम से ग्रेजुएट बने। कॉलेज से पासआउट होने के बाद कैडेट आइएमए में एक साल का प्रशिक्षण लेंगे। मेजर जनरल नेहरा ने सैन्य अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेट्स को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कैडेट्स को याद दिलाया कि एसीसी ने देश को बड़ी संख्या में ऐसे जांबाज अफसर दिए हैं, जिन्होंने अपनी क्षमता के बलबूते कई पदक जीते। आर्मी कैडेट कॉलेज के कमांडर ब्रिगेडियर वीएम चौधरी ने सभी कैडेट व उनके परिजनों को शुभकामनाएं दी। प्राचार्य डॉ. नवीन कुमार ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इन कैडेट्स को मिला अवार्ड
- चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल (सीओएएस)-जितेंद्र चाहर
- सीओएएस सिल्वर मेडल-संजय सिंह
- सीओएएस ब्रॉन्ज मेडल- हरि प्रसाद
- कमांडेंट्स सिल्वर मेडल
- सर्विस सब्जेक्ट्स-जितेंद्र चाहर
- ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम-संजोक क्षेत्री
- साइंस स्ट्रीम-संजय सिंह
श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ
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- कैडेट्स ने दिखाया बहुमुखी हुनर
- आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की नींव दि किचनर कॉलेज के रूप में वर्ष 1929 में तत्कालीन फील्ड मार्शल बिर्डवुड ने नौगांव (मध्य प्रदेश) में रखी।
- 16 मई 1960 में किचनर कॉलेज आर्मी कैडेट कॉलेज के रूप में कार्य करने लगा, जिसका शुभारंभ तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्णा व जनरल केएस थिमैया ने किया।
- यहां से कोर्स की पहली पीओपी 10 फरवरी 1961 को हुई।
- वर्ष 1977 में कॉलेज भारतीय सैन्य अकादमी से अटैच कर दिया गया।
- वर्ष 2006 में कॉलेज आइएमए का अभिन्न अंग बन गया।
- कॉलेज सैनिकों को अधिकारी बनने का मौका देता है। अब तक एसीसी से साढ़े चार हजार से अधिक सैनिक अफसर बन चुके हैं।
- कॉलेज से पास होकर कैडेट आइएमए में जेंटलमेन कैडेट के रूप में ट्रेनिंग लेकर सैन्य अफसर बनने की खूबियां अपने भीतर समाहित करते हैं।