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ऋषिकेश में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान, 72 वर्ष पुराने अवैध निर्माण किए ध्वस्त Dehradun News

अतिक्रमण के खिलाफ ऋषिकेश में नगर निगम ने अभियान चलाया। इस दौरान 72 वर्ष पुराने अवैध निर्माण किए ध्वस्त किए गए। इसके लोगों में हड़कंप मचा है।

By Edited By: Updated: Wed, 04 Sep 2019 08:29 AM (IST)
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ऋषिकेश में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान, 72 वर्ष पुराने अवैध निर्माण किए ध्वस्त Dehradun News
ऋषिकेश, जेएनएन। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में अतिक्रमण के खिलाफ नगर निगम का अभियान जारी है। नगर निगम ने झंडा चौक, पुराना बदरीनाथ मार्ग, सुभाष चौक व मायाकुंड क्षेत्र में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाते हुए दर्जनों स्थायी और अस्थायी अतिक्रमण ध्वस्त किए। इस दौरान पुराना बदरीनाथ मार्ग पर 72 वर्ष पूर्व निकाय द्वारा शरणार्थियों को व्यवसाय के लिए दी गई भूमि पर हुए निर्माण भी ध्वस्त किए गए। 

वर्ष 1947 में आजादी के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को तत्कालीन नगर निकाय की ओर से व्यवसाय करने के लिए जगह आवंटित की गई थी। शर्त यह थी कि इस जमीन में अस्थायी निर्माण नहीं किया जाएगा। बाद में इस जगह पर अवैध रूप से दुकानें बन गई, जो अब नगर निगम में अवैध कब्जे के रूप में चिह्नित की थी। 

नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त उत्तम सिंह नेगी, नायब तहसीलदार करण सिंह, वरिष्ठ उप निरीक्षक मनोज नैनवाल के नेतृत्व में टीम ने झंडा चौक से अतिक्रमण हटाना शुरू किया। यहां बदरीनाथ मार्ग पर करीब एक दर्जन अवैध अतिक्रमण जेसीबी ने ध्वस्त किए। 

पुलिस फोर्स के साथ शुरू हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का कुछ जगह व्यापारियों ने विरोध किया, लेकिन पुलिस के समक्ष उनका विरोध ज्यादा देर तक नहीं चल सका। इस दौरान कई लोग खुद ही दुकानों के आगे हुए अतिक्रमण हटाते नजर आए। 

निगम कर्मियों ने यहां से आगे बढ़ते हुए सुभाष चौक होते हुए मायाकुंड की ओर अभियान चलाया। यहां भी दर्जनों दुकानों के स्थायी व अस्थायी अतिक्रमण ध्वस्त किये गये। नगर निगम की इस कार्रवाई से व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है। 

नगर निगम अन्य स्थानों से अतिक्रमण हटाएगी, जिसे लेकर व्यापारी परेशान हैं। नगर आयुक्त उत्तम सिंह नेगी ने बताया कि सभी चिह्नित अतिक्रमणों को ध्वस्त किया जाना है, इसके लिए आठ सितंबर तक लगातार अभियान जारी रहेगा। उन्होंने लोगों से स्वयं चिह्नित अतिक्रमण को हटाने की अपील की है।

अन्य विभाग नहीं आए हरकत में 

ऋषिकेश के आरटीआइ कार्यकर्ता अनिल गुप्ता की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त 2018 को नगर निगम ऋषिकेश सहित मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन, आयुक्त गढ़वाल, जिलाधिकारी देहरादून, अधिशासी अभियंता राजमार्ग खंड लोक निर्माण विभाग डोईवाला, अधिसाशी अभियंता लोनिवि निर्माण खंड ऋषिकेश, उपाध्यक्ष एचआरडीए को पक्षकार बनाते हुए ऋषिकेश में सरकारी भूमि, फुटपाथ पर हुए अतिक्रमण को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। 

मगर, इसके बाद भी अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। जिसके बाद आरटीआइ कार्यकर्ता अनिल गुप्ता ने अवमानना की याचिका दायर की थी। जिस पर उच्च न्यायालय ने सभी पक्षकारों को तीन सप्ताह के भीतर अतिक्रमण हटाकर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफ के साथ जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद नगर निगम तो हरकत में आ गया। मगर, अन्य विभाग अभी भी नींद में हैं। उल्लेखनीय है कि ऋषिकेश व आसपास क्षेत्र में विभिन्न विभागों से जुड़ी सरकारी भूमि पर तीन हजार से अधिक अतिक्रमण हैं।

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याचिका के बावजूद खुद नहीं हटाया अतिक्रमण 

अतिक्रमण हटाने को लेकर विभाग सहित अन्य लोगों पर सवाल उठाने वाले वाले याचिकाकर्ता ने खुद का अतिक्रमण नहीं हटाया। जब नगर निगम की टीम मौके पर पहुंची तो ही उन्होंने अपनी दुकान के बाहर का अतिक्रमण ध्वस्त किया। अतिक्रमण के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने वाले अनिल गुप्ता की भी मायाकुंड में दुकान है। इस दुकान के बाहर भी नाली पर स्लैप बना हुआ है, जो अतिक्रमण के रूप में नगर निगम ने चिह्नित किया था। एक तरफ याचिकाकर्ता को दूसरों का अतिक्रमण नजर आया, लेकिन यह अतिक्रमण उन्हें इस दौरान नजर नही आया। 

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वे केवल सरकारी मशीनरी और लोगों पर अतिक्रमण न हटाने पर सवाल उठाते रहे, लेकिन अपनी दुकान के आगे हुए अतिक्रमण को ध्वस्त करने की उन्होंने पहल नहीं की। अब जब अतिक्रमण हटाने को जब नगर निगम की टीम झंडा चौक, सुभाष चौक होते हुए अतिक्रमण हटाने मायाकुंड पहुंची तो यहां याचिकाकर्ता अनिल गुप्ता अपने दो भाइयों के साथ दुकान का अतिक्रमण स्वयं हटाते नजर आए।

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