Move to Jagran APP

तेज रफ्तार का शौक लगा रहा जिंदगी पर 'ब्रेक', प्रदेश में ओवरस्पीड से 78 प्रतिशत दुर्घटनाएं घटीं

उत्तराखंड में तेज रफ्तार का शौक जिंदगी पर ब्रेक लगा रहा है। जान पर रफ्तार का जुनून भारी पड़ रहा है और इसे कानून भी नहीं रोक पा रहा है। बता दें कि प्रदेश में 78 प्रतिशत हादसे ओवरस्पीड के चलते हो रहे हैं। पिछले 9 महीने में कुल 643 लोगों की मौत हो गई। ये सभी लोग ओवरस्पीड के चलते हादसे का शिकार हुए।

By Soban singh Edited By: Sakshi Gupta Updated: Tue, 12 Nov 2024 08:52 PM (IST)
Hero Image
ओवरस्पीड के चलते प्रदेश में 78 प्रतिशत हादसे हुए। (तस्वीर जागरण)
जागरण संवाददाता, देहरादून। वाहन चालकों की एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ की प्रवृति जिंदगी पर ब्रेक लगा रही है। सोमवार देर रात ओवरस्पीड के कारण 6 युवक-युवतियों की जान चली गई। हादसे रोकने के बजाए पुलिस और परिवहन सिर्फ चालान तक सीमित हो रही है। जिले की 434 किलोमीटर तक सड़कों पर वाहनों की गति पर नियंत्रण के जो मानक भारत सरकार ने तय किए हैं, उनका पालन कराने की जिम्मेदारी सड़कों पर लगे मूक स्लोगन ही अधिक निभा रहे हैं।

आकंड़ों की बात करें तो साल 2024 में जनवरी से सितंबर तक कुल 1311 हादसाें में 770 लोगों की जान गई और 1145 घायल हुए। इसमें से ओवरस्पीड के कारण प्रदेश में कुल 1114 हादसे हुए, जिसमें 643 लोगों की जान गई, जबकि 954 लोग घायल हुए। वर्ष 2023 में कुल 1220 हादसों में सिर्फ ओवरस्पीड के कारण 750 की जान गई। वर्ष 2022 में कुल 1219 हादसे हुए, जिसमें 750 लोगों की जान ओवरस्पीड के कारण गई। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 78 प्रतिशत मौतें ओवरस्पीड के कारण हो रही हैं।

साइबर अटैक के बाद स्मार्ट सिटी के कैमरों की नहीं सुधरी हालत

अक्टूबर माह में उत्तराखंड सरकार के डाटा सेंटर पर हुए साइबर हमले के कारण अब तक स्थिति पटरी पर नहीं आ पाई है। शहर में तिराहों व चौराहों पर 49 जगह स्मार्ट सिटी की ओर से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इनमें से 34 चालू स्थिति में हैं। साइबर हमले के कारण स्मार्ट सिटी की ऐप पूरी तरह से ठीक नहीं है। जिसके चलते कैमरों की अपडेट नहीं आ पा रही है। ऐसे में सीसीटीवी कैमरे कहां-कहां खराब पड़े हैं, इसकी जानकारी यातायात पुलिस को नहीं मिल पा रही है। सोमवार देर रात ओएनजीसी के जिस चौराहे पर यह हादसा हुआ, वहां का सीसीटीवी कैमरा भी खराब पड़ा हुआ है। ऐसे में पुलिस को भी हादसे के कारणों की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।

कंट्रोल रूम से निगरानी के नाम पर हो रही है खानापूर्ति

सड़क दुर्घटनाओं में जब 78 प्रतिशत का कारण अत्याधिक गति है तो फिर क्यों मशीनरी का ध्यान रफ्तार पर अंकुश की तरफ मुख्य रूप से नहीं रहता। देहरादून की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर भी रफ्तार दिखाने वाले वाहन चालक दिख जाएंगे। विशेषकर राजपुर रोड, जीएमएस रोड, हरिद्वार बाइपास, प्रेमनगर, रायपुर रोड, सहस्त्रधारा रोड पर तय सीमा से अधिक गति से वाहनों का संचालन दिखना आम बात हो गई है।

इन मार्गों पर रफ्तार पर रोक के लिए कोई इंतजाम नहीं

  • मोहकमपुर से ऋषिकेश
  • राजपुर रोड
  • मसूरी रोड
  • कालसी मार्ग
  • चकराता मार्ग
  • सहस्त्रधारा रोड
  • रायपुर-थानों मार्ग

तेज रफ्तार का चालान महज खानापूर्ति

ओवरस्पीड से वाहन चलाने पर पुलिस ने वर्ष 2024 में 19957 चालान किए, जबकि जिस तरह से सड़कों पर तेज रफ्तार का जुनून नजर आता है, वह सिर्फ खानापूर्ति है। तेज रफ्तार वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस की ओर से और तेजी लानी पड़ेगी। चालान के लिए पुलिस का सबसे आसान टारगेट नो पार्किंग, बिना हेलमेट व दोपहिया वाहनों पर तीन सवारी बैठाने हैं। जबकि रात के समय अपनी व दूसरों की जिंदगी को खतरे पर डालने वालों पर पुलिस कार्रवाई नजर नहीं आती।

इसे भी पढ़ें- ऋषिकेश में पुलिस की लापरवाही, CM के निर्देश पर दो महीने बाद दर्ज हुआ मुकदमा

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।